Rahu-Ketu: कुंडली में राहू और केतु का होना प्राय अच्छा नहीं माना जाता है. हालांकि, अगर राहू-केतु अनुकूल स्थिति में हों तो फायदा भी मिल सकता है. ज्योतिषनुसार यदि आप केतु (Ketu) के विपरीत प्रभाव से परेशान हैं तो कुछ उपायों के माध्यम से केतु से बचकर रह सकते हैं. बता दें कि केतु को ग्रह माना जाता है जिसे छाया ग्रह (Chhaya Grah) भी कहते हैं. जातक की कुंडली में केतु के होने से दिक्कतें आ सकती हैं इसलिए केतु को शांत करना अनिवार्य होता है.
केतु के प्रभाव से बचने के उपाय
राहू और केतु के विषय में माना जाता है कि राहू और केतु एक सर्प (Snake) के 2 हिस्से हैं जिसमें सर्प की पूंछ और मनुष्य के धड़ वाले केतु हैं और सर्प का सिर और मनुष्य के पैर वाले राहू. केतु की अनुकूल स्थिति की बात करें तो केतु को स्थिरता, नाम, सकारात्मक्ता और शोहरत का प्रतीक भी माना जाता है. इसके साथ ही केतु को माघ, मूल और अश्विनी नक्षत्र का स्वामी कहा जाता है.
- जिन लोगों की कुंडली में केतु बलवान होते हैं वे नकारात्मक विचारों से भर जाते हैं. कोशिश करें कि सकारात्मक बातों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें.
- केतु के बल से व्यक्ति दूसरों के बहकावे में जल्दी आ जाता है. इस बात को ध्यान में रखें और किसी पर भी आंख मूंदे भरोसा करने की भूल ना करें.
- केतु के उपायों में कहा जाता है कि हर समय नंगे पांव रहने से परहेज करना चाहिए.
- जिन जातकों की कुंडली में केतु के साथ-साथ चंद्रमा की युति होती है वे लोगों के दबाव में अधिक रहते हैं.
- केतु के दोष दूर करने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप किया जा सकता है.
- कृष्ण भगवान की नाग पर नाचते हुए प्रतिमा देखें और उसके समक्ष ओम नम: भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें. इससे केतु के दुष्प्रभाव से मान्यतानुसार मुक्ति मिलती है.
- आखिर में केतु के प्रभाव से बचने के लिए दुर्गा पूजा (Durga Puja) भी की जा सकती है. इससे केतु का असर कम पड़ता माना जाता है.
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