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This Article is From Apr 30, 2024

Kalashtami 2024: कब रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत, जानिए श्री भैरव चालीसा का किस तरह करते हैं पाठ

ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन अगर व्रत और पूजा करने के साथ 'श्री भैरव चालीसा' का पाठ किया जाए तो काल भैरव (Kaal Bhairav) की सदैव कृपा बनी रहती है. 

Kalashtami 2024: कब रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत, जानिए श्री भैरव चालीसा का किस तरह करते हैं पाठ
कालाष्टमी पर बाबा काल भैरव की पूजा-आराधना की जाती है.

Kalashtami 2024: सनातन धर्म में भगवान काल भैरव का विशेष स्थान है. उनकी उपासना महत्वपूर्ण मानी जाती है. वैदिक पंचांग बताता है कि हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस बार 1 मई, 2024 बुधवार को कालाष्टमी की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख और समृद्धि आती है और हर रोग-दोष का नाश हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन अगर व्रत और पूजा करने के साथ 'श्री भैरव चालीसा' का पाठ किया जाए तो काल भैरव (Kaal Bhairav) की सदैव कृपा बनी रहती है. 

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कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर 1 मई, 2024 की सुबह 5.45 बजे से कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी, जो अगले दिन 2 मई की सुबह 4.01 बजे तक चलेगी. बुधवार को ही काल भैरव देव की पूजा की जाएगी. दिन में किसी भी वक्त भगवान की आराधना कर सकते हैं. ज्योतिषों का मानना है कि इस व्रत का पूरा लाभ पाने के लिए प्रदोष काल में पूजा करना सबसे अच्छा साबित होगा.

हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का अपना विशेष महत्व है. इस दिन साधक श्रद्धाभाव से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करते हैं. शिव मंदिर सजाए जाते हैं. रात में पूजा की जाती है. देर रात यानी निशा काल में बाबा काल भैरव की आराधना होती है. तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी की रात में ही विशेष विद्या सिद्धि प्राप्ति की आराधना करते हैं.

ज्योतिष के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी का शुभ योग बन रहा है. संध्याकाल 8 बजकर 02 मिनट तक यह योग बन रहा है. इसके बाद शुक्ल योग बन जाएगा. इस तिथि पर शिव वास का भी योग है.

मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और हर तरह की सुख-सुविधाएं देते हैं, दुखों का नाश हो जाता है. ऐसे में साधकर को विधिवत पूजा करने के बाद इस पाठ को करना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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