Janmashtami 2018: इसलिए मनाया जाता है dahi handi का उत्सव.
जन्माष्टमी (Janmashtami 2018) इस साल 2 सितंबर और 3 सितंबर को मनाई जाएगी. इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी. दही-हांडी का उत्सव 3 सितंबर को मनाया जाएगा. जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. जन्माष्टमी एक ऐसा ही त्योहार है जिसे लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. इस पवित्र दिन पर भक्त मंदिरों में भगवान से प्रार्थना कर उन्हें भोग लगाते हैं. इस दिन ज्यादातर हिन्दू लोग अपने घरों में बालगोपाल का दूध, शहद और पानी से अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं. कई जगहों पर श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की झाकियां भी निकाली जाती हैं. वहीं गुजरात और महाराष्ट्र में जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2018) के मौके पर दही हांडी की प्रथा के साथ यह पर्व को मनाया जाता है. कई हिन्दी फिल्मों और गानों में दही हांडी (Dahi Handi 2018) के सीन को आपने कई बार देखा होगा. लड़कों का ग्रुप कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और एक पिरामिड बनाकर जमीन से 20-30 फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते है. आइए जानते हैं क्या है दही-हांडी के उत्सव का महत्व...
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श्रीकृष्ण को कहा जाता है 'माखन चोर'
अपने बचपन में श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे, पूरे गांव में उन्हें उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था. श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था. उन्हें माखन इतना पंसद था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे. इतना ही उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए एक दिन उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम 'माखन चोर' पड़ा.
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क्यो मनाया जाता है दही-हांडी का उत्सव?
वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया जिससे की श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके. लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी यह योजना भी व्यर्थ साबित हुई. माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन को चुरा लेते थे. वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का चलन शुरू हुआ. दही हांडी के उत्सव के दौरान लोग गाने गाते हैं जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है उसे गोविंदा कहा जाता है और ग्रुप के अन्य लड़कों को हांडी या मंडल कहकर पुकारा जाता है.
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श्रीकृष्ण को कहा जाता है 'माखन चोर'
अपने बचपन में श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे, पूरे गांव में उन्हें उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था. श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था. उन्हें माखन इतना पंसद था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे. इतना ही उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए एक दिन उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम 'माखन चोर' पड़ा.
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