फोटो साभार: uttarkashi.gov.in
निस्संदेह दुर्योधन महाकाव्य महाभारत का एक सबसे अहम पात्र है, लेकिन इसकी पूजा होती हो या इसका कहीं मंदिर भी होगा, यह जानकर आपको अजीब जरूर लगेगा।
उत्तराखंड के एक गांव में है दुर्योधन का मंदिर...
अजीब भले लगे, लेकिन यह सच है, अपने ही देश में दुर्योधन का मंदिर है, जिससे अनेक रोचक कथा-कहानियां जुड़ी हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के सूदूर इलाके में जखोली नामक एक गांव में स्थापित है।
खुश नहीं हैं गांववाले...
लेकिन जखोली गांव के निवासियों को अपने गांव में दुर्योधन का मंदिर होने से कोई ख़ुशी या गर्व नहीं, बल्कि अफसोस होता है। शायद यही कारण है कि कुछ वर्षों पहले ही इस मंदिर को शिव मंदिर में बदल दिया गया और सोमेश्वर मंदिर नाम दे दिया गया।
स्थानीय देवता की भांति होती पूजा...
लोग बताते हैं कि गांव के मंदिर में सोने की परत वाला एक कुल्हाड़ी भी है, जो इसी कौरव राजकुमार का माना जाता है। रिवाजों के अनुसार, गांव वाले अब भी स्थानीय देवता की पूजा के दौरान दुर्योधन के उस सोने की कुल्हाड़ी को लेकर पारंपरिक अनुष्ठान, नृत्य आदि करते हैं। जिसका कारण यह बताया जाता है कि दुर्योधन चाहे जैसे हों, वे आज भी यहां के क्षेत्रपाल हैं।
उत्तराखंड के एक गांव में है दुर्योधन का मंदिर...
अजीब भले लगे, लेकिन यह सच है, अपने ही देश में दुर्योधन का मंदिर है, जिससे अनेक रोचक कथा-कहानियां जुड़ी हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के सूदूर इलाके में जखोली नामक एक गांव में स्थापित है।
खुश नहीं हैं गांववाले...
लेकिन जखोली गांव के निवासियों को अपने गांव में दुर्योधन का मंदिर होने से कोई ख़ुशी या गर्व नहीं, बल्कि अफसोस होता है। शायद यही कारण है कि कुछ वर्षों पहले ही इस मंदिर को शिव मंदिर में बदल दिया गया और सोमेश्वर मंदिर नाम दे दिया गया।
स्थानीय देवता की भांति होती पूजा...
लोग बताते हैं कि गांव के मंदिर में सोने की परत वाला एक कुल्हाड़ी भी है, जो इसी कौरव राजकुमार का माना जाता है। रिवाजों के अनुसार, गांव वाले अब भी स्थानीय देवता की पूजा के दौरान दुर्योधन के उस सोने की कुल्हाड़ी को लेकर पारंपरिक अनुष्ठान, नृत्य आदि करते हैं। जिसका कारण यह बताया जाता है कि दुर्योधन चाहे जैसे हों, वे आज भी यहां के क्षेत्रपाल हैं।
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