प्रतीकात्मक चित्र
रायपुर:
छत्तीसगढ़ की राजधानी के प्राचीन बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में सावन के अंतिम सोमवार को विशेष श्रृंगार सहित मंदिर के गर्भगृह में अमरनाथ की झांकी बनाई गई और राजभवन से लाई गई मिट्टी से एक पार्थिव शिवलिंग बनाया गया।
बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पांच प्रकार की मिट्टियों से होता है, इसी सिलसिले में राजभवन से मिट्टी लाई गई। यहां प्रसाद के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष वितरित किए गए।
मंदिर प्रभारी राजकुमार व्यास ने बताया कि 15 अगस्त के विशेष अवसर पर सावन का सोमवार भी पड़ा। इस कारण मंदिर में विशेष झांकी सजाई गई। बूढ़ेश्वर महादेव का विशेष श्रृंगार किया गया।
उन्होंने बताया कि भक्तों को प्रसाद के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष भी वितरित किया गया। इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने 3100 पंचमुखी रुद्राक्ष की व्यवस्था की। सुबह 4 बजे ही मंदिर के पट खोल दिए गए। भस्म आरती साढ़े 4 बजे हुई, लेकिन उसके पूर्व भांग से बूढ़ेश्वर महादेव का अभिषेक किया गया। इसके बाद दिनभर भक्तों ने शिवलिंग के दर्शन किए। उन्हें बेलपत्र, बेलफल, धतूरा, पुष्प, नारियल आदि चढ़ाए।
व्यास ने बताया कि दोपहर को 12 बजे बूढ़ेश्वर महादेव को राजभोग लगाया गया। फिर श्रृंगार के लिए पट बंद कर दिए गए। श्रृंगार के बाद संध्या 4 बजे पट फिर से खोले गए।
उन्होंने बताया कि सावन का अंतिम सोमवार होने के कारण सोमवार को बूढ़ेश्वर महादेव का विशेष श्रृंगार किया गया।
व्यास ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में बाबा बर्फानी अमरनाथ की झांकी सजाई गई। बर्फ का 5 फीट लंबा शिवलिंग बनाया गया। रूई से गर्भगृह में पहाड़ का स्वरूप दिया गया। बर्फ से निर्मित शिवलिंग जल्द पिघले नहीं, इसके लिए गर्भगृह के तीन तरफ के दरवाजे बंद कर दिए गए।
व्यास कहते हैं कि पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पांच जगह की मिट्टी से ही किया जाता है। इसके लिए राजभवन की मिट्टी, न्यायालय की मिट्टी, नदी के किनारे की मिट्टी, सांप की बांबी की मिट्टी और हाथी के पैर के नीचे की मिट्टी ही लाई जाती है। इस कारण पार्थिव शिवलिंग के लिए राजभवन (राज्यपाल निवास) की मिट्टी लाई गई।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पांच प्रकार की मिट्टियों से होता है, इसी सिलसिले में राजभवन से मिट्टी लाई गई। यहां प्रसाद के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष वितरित किए गए।
मंदिर प्रभारी राजकुमार व्यास ने बताया कि 15 अगस्त के विशेष अवसर पर सावन का सोमवार भी पड़ा। इस कारण मंदिर में विशेष झांकी सजाई गई। बूढ़ेश्वर महादेव का विशेष श्रृंगार किया गया।
उन्होंने बताया कि भक्तों को प्रसाद के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष भी वितरित किया गया। इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने 3100 पंचमुखी रुद्राक्ष की व्यवस्था की। सुबह 4 बजे ही मंदिर के पट खोल दिए गए। भस्म आरती साढ़े 4 बजे हुई, लेकिन उसके पूर्व भांग से बूढ़ेश्वर महादेव का अभिषेक किया गया। इसके बाद दिनभर भक्तों ने शिवलिंग के दर्शन किए। उन्हें बेलपत्र, बेलफल, धतूरा, पुष्प, नारियल आदि चढ़ाए।
व्यास ने बताया कि दोपहर को 12 बजे बूढ़ेश्वर महादेव को राजभोग लगाया गया। फिर श्रृंगार के लिए पट बंद कर दिए गए। श्रृंगार के बाद संध्या 4 बजे पट फिर से खोले गए।
उन्होंने बताया कि सावन का अंतिम सोमवार होने के कारण सोमवार को बूढ़ेश्वर महादेव का विशेष श्रृंगार किया गया।
व्यास ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में बाबा बर्फानी अमरनाथ की झांकी सजाई गई। बर्फ का 5 फीट लंबा शिवलिंग बनाया गया। रूई से गर्भगृह में पहाड़ का स्वरूप दिया गया। बर्फ से निर्मित शिवलिंग जल्द पिघले नहीं, इसके लिए गर्भगृह के तीन तरफ के दरवाजे बंद कर दिए गए।
व्यास कहते हैं कि पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पांच जगह की मिट्टी से ही किया जाता है। इसके लिए राजभवन की मिट्टी, न्यायालय की मिट्टी, नदी के किनारे की मिट्टी, सांप की बांबी की मिट्टी और हाथी के पैर के नीचे की मिट्टी ही लाई जाती है। इस कारण पार्थिव शिवलिंग के लिए राजभवन (राज्यपाल निवास) की मिट्टी लाई गई।
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