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जीवन से जुड़ी 10 आदतें जो कुंडली में गुरु को अनुकूल और जिंदगी को कूल बनाए रखने में होती हैं मददगार

Thursday Puja Tips: यदि आपको जीवन में सौभाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा है और हर समय कोई न कोई परेशानी बनी रहती है तो आपको उन आदतों को जल्द से जल्द अपनाना चाहिए जिससे न सिर्फ देवगुरु बृहस्पति बल्कि भगवान श्री विष्णु संग माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद बरसता है. 

जीवन से जुड़ी 10 आदतें जो कुंडली में गुरु को अनुकूल और जिंदगी को कूल बनाए रखने में होती हैं मददगार
भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की कृपा दिलाने वाले सरल उपाय

Jupiter Strong Remedies: किसी भी व्यक्ति पर नवग्रहों का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव सिर्फ कुंडली में उसके कमजोर या ताकतवर होने से ही नहीं मिलता है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन से जुड़े बात-व्यवहार और आदतों से भी प्रभावित होते हैं. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार हमारे जीवन से जुड़ी तमाम आदते और लोगों के साथ किया जाने वाला व्यवहार भी नवग्रहों की शुभता अथवा अशुभता को बढ़ने का कारण बनता है. यदि आपको लगता है कि आपकी कुंडली में गुडलक बढ़ाने वाले देवगुरु बृहस्पति (Brihaspati) कमजोर होकर अशुभ फल दे रहे हैं तो आपको नीचे ​बताई गई बातों को तुरंत ही अमल में लाना शुरु कर देना चाहिए. 

  • हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान ​विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा के लिए पीले चंदन, हल्दी और तुलसी की माला अत्यंत ही शुभ मानी गई है. ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) और बृहस्पति देवता आप पर हमेशा अपनी कृपा बरसाते रहें तो आपको इनमें से एक माला को गुरुवार के दिन गुरु मंत्रों से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए. 
  • यदि आप किसी कारणवश आप तुलसी (Tulsi), चंदन अथवा हल्दी (Haldi) की माला न धारण कर पाएं तो आप केले की जड़ अथवा हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में अपनी बाजु में बांध कर देवगुरु बृहस्पति के शुभ फल को प्राप्त कर सकते हैं. 
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  • सनातन परंपरा में माथे पर लगाया जाने वाला तिलक (Tilak) ईश्वर का प्रसाद माना गया है. ऐसे में गुरु ग्रह की शुभता और श्री हरि का आशीर्वाद पाने के लिए आपको प्रतिदिन केसर का तिलक आज्ञाचक्र यानि दोनों भौं के बीचों बीच अवश्य लगाना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार तिलक के इस उपाय को करने पर आदमी का गुडलक काम करने लगता है और उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. 
  • यदि आप चाहते हैं कि आपकी कुंडली में गुरु हमेशा शुभ फल प्रदान करे तो आपको समय-समय पर पवित्र नदियों जैसे गंगा (Ganga), यमुना (Yamuna), गोदावरी आदि नदियों के किनारे जाकर स्नान-दान और पूजन करके पुण्य लाभ प्राप्त करते रहना चाहिए. 
  • यदि आप किसी कारणवश नदियों के किनारे हमेशा न जा पाएं तो घर में नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें. मान्यता है कि हल्दी मिले जल से स्नान करते समय जो व्यक्ति पवित्र नदियों का ध्यान करता है, पर हमेशा ईश्वरीय कृपा बनी रहती है. 
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  • हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु ग्रह की शुभता को पाने के लिए व्यक्ति को न सिर्फ समय-समय पर किसी देवालय अथवा धार्मिक संस्थान में जाकर धार्मिक पुस्तकें दान करना चाहिए बल्कि खुद भी घर में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ना चाहिए. मान्यता है कि धर्म से जुड़ी बातों को पढ़ने, जानने और उसे आत्मसात करने पर गुरु कृपा हासिल होती है. 
  • यदि आप चाहते हैं कि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करें तो आपको हमेशा धर्मगुरुओं का आदर करना चाहिए तथा समय-समय पर अपने गुरु के पास जाकर उनकी सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. गुरु कृपा की चाह रखने वाले व्यक्ति को कभी भी किसी धार्मिक व्यक्ति और ग्रंथ आदि का अपमान नहीं करना चाहिए. गुरु ग्रह की शुभता को पाने के लिए गुरु के साथ गाय की भी सेवा करनी चाहिए. 
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  • गुरु ग्रह की शुभता को पाने के लिए व्यक्ति को दैनिक पूजा में पीले रंग के पुष्प, फल, मिष्ठान आदि का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए. इसी प्रकार पहनने वाले कपड़ों में पीले रंग के कपड़ों को वरीयता देनी चाहिए. यदि आप प्रतिदिन पीले रंग के वस्त्र धारण न कर सकें तो आप रुमाल, टाई आदि का प्रयोग करके गुरु ग्रह की शुभता को बनाए रख सकते हैं. 
  • सनातन परंपरा में पेड़-पौधों को देवी-देवताओं के समान माना गया है. ऐसे में यदि आप गुरु ग्रह से जुड़े पौधे जैसे हरिप्रिया कहलाने वाली तुलसी, पीपल (Peepal Tree) और भगवान बृहस्पति का स्वरूप माने जाने वाले केले के वृक्ष को लगाकर उसकी अधिक से अधिक सेवा करते हैं अथवा उसे दान करते हैं तो निश्चित रूप से आपको उसकी शुभता और आशीर्वाद प्राप्त होगा. 
  • यदि आप चाहते हैं कि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह मज​बूत होकर आपको शुभ फल प्रदान करे तो आपको अपनी दैनिक पूजा में प्रतिदिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम, नारायण कवच, गजेंद्र मोक्ष, का पाठ या फिर देवगुरु बृहस्पति एवं श्री विष्णु के मंत्र का जप करने की आदत डाल लेनी चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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