
Gupt shiv mantra : गुप्त मंत्र वह होता है, जो गुरु द्वारा शिष्य के कान में बोला जाता है. इस मंत्र को किसी को बताने की मनाही होती है. इससे मंत्र का असर कम हो जाता है और आपके जीवन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है. आज हम यहां पर सावन में शिव जी का कौन सा गुप्त मंत्र जपना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं, इस बारे में बात करने जा रहे हैं. तो बिना देर किए आइए जानते हैं...
भगवान शिव गुप्त मंत्र - lord shiva secret mantra
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र बताते हैं कि भगवान शिव के कई गुप्त मंत्र हैं, जिनमें से एक प्रमुख मंत्र है "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्". यह मंत्र भगवान शिव के रुद्र रूप को समर्पित है और इसका जाप करने से आध्यात्मिक विकास होता है और शांति मिलती है.
अन्य गुप्त शिव मंत्र - Other Secret Shiva Mantras
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमःयह मंत्र भी भगवान शिव को समर्पित है और सभी बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए इसका जाप किया जाता है.
ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्य: सर्वेभ्य: सर्वशर्वेभ्यो नमस्तेऽअस्तु रुद्ररूपेभ्य:यह मंत्र भगवान शिव के अघोर रूप को समर्पित है और सभी पापों और दुखों का नाश करने वाला माना जाता है.
ॐ नमः शिवाय:यह शिव पंचाक्षर मंत्र है और सुरक्षा, संरक्षा, आंतरिक क्षमता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए इसका जाप किया जाता है.
ॐ सांब सदाशिव नमो नमःयह मंत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों को समर्पित है और शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए इसका जाप किया जाता है.
ॐ हिलि हिलि शूल पाणे नमःयह मंत्र धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए जपा जाता है.
गुप्त शिव मंत्र जाप के लाभ - Benefits of Chanting the Secret Shiva Mantra
- आध्यात्मिक विकास और शांति.
- सुरक्षा और संरक्षा.
- आंतरिक क्षमता और शक्ति में वृद्धि.
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश.
- सफलता और बाधाओं का नाश.
- धन और समृद्धि.
- मंत्र जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- मंत्र का जाप शुद्ध उच्चारण के साथ करना चाहिए.
- मंत्र का जाप शांत और एकाग्र मन से करना चाहिए.
- मंत्र का जाप गुरु के मार्गदर्शन में करना उचित है, खासकर गुप्त मंत्र.
- मंत्रों का जाप नियमित रूप से करना चाहिए.
- गुप्त मंत्र कभी भी किसी को बताना नहीं चाहिए.
- भगवान शिव के गुप्त मंत्र का जप बिना बोले मन ही मन करना चाहिए.
- भगवान शिव के गुप्त मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला पर करना चाहिए.
- भगवान के गुप्त मंत्र को जपते समय साधक का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए.
- भगवान शिव के गुप्त मंत्र को सफेद ऊन या कुशा के आसन पर बैठ कर जपना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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