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जुलाई के पहले हफ्ते में रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि  

हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. मान्यतानुसार प्रदोष व्रत के दिन पूरे मनोभाव से भगवान शिव की पूजा करने पर जीवन से सभी दुख हट जाते हैं और खुशहाली के द्वार खुलते हैं सो अलग. 

जुलाई के पहले हफ्ते में रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि  
प्रदोष व्रत के दिन किया जाता है महादेव का पूजन. 

Pradosh Vrat 2024: पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत पर मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा की जाती है. साथ ही, भक्त माता पार्वती का पूजन भी करते हैं. प्रदोष व्रत में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं इस दिन पूजा करके भोलेनाथ को प्रसन्न करने पर प्रभु अपनी कृपा भक्तों पर बनाए रखते हैं और जीवन में खुशहाली लाते हैं सो अलग. जानिए जुलाई माह का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और किस समय पूजा करके महादेव को प्रसन्न किया जा सकता है. 

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए रख रहे हैं प्रदोष व्रत तो जरूर पढ़ें यह कथा, इसके बिना पूजा मानी जाती है अधूरी

जुलाई का पहला प्रदोष व्रत | First Pradosh Vrat Of July 

आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई की सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 4 जुलाई को सुबह 6 बजे के करीब हो जाएगा. इस चलते प्रदोष व्रत 3 जुलाई, बुधवार के दिन पड़ेगा. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) कहा जाता है. 

प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में करना बेहद शुभ होता है. 3 जुलाई की शाम 7 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 25 मिनट के बीच की जा सकती है. शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर मान्यतानुसार भगवान शिव की कृपादृष्टि भक्तों पर पड़ती है. 

प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

इस दिन शुबह उठकर स्नान किया जाता है और फिर भगवान शिव का स्मरण करके व्रत का संकल्प लेते हैं. सुबह के समय भी शिव मंदिर जाया जा सकता है, लेकिन प्रदोष व्रत की असल पूजा शाम के समय होती है. पूजा (Pradosh Vrat Puja) करने के लिए चौकी सजाई जाती है और उसपर भगवान शिव की परिवार समेत प्रतिमा स्थापित करते हैं. गंगाजल छिड़ककर दीया जलाया जाता है, चंदन व कुमकुम से तिलक लगाया जाता है और भोग में हलवा, खीर, फल या किसी सफेद मिठाई को लिया जाता है. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़कर पूजा का समापन करते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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