Dev Diwali 2021: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों मनाई जाती है देव दिवाली, जानिए इसका महत्व

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है. जानिये क्यों कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों मनाई जाती है देव दिवाली. जानें इसका महत्व.

Dev Diwali 2021: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों मनाई जाती है देव दिवाली, जानिए इसका महत्व

Dev Diwali 2021: जानिए क्या है देव दीपावली का महत्व

नई दिल्ली:

हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है और इसके 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 19 नवंबर, 2021 यानि आज मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष स्थान होता है और इनमें कार्तिक माह में आने वाली पूर्णिमा का तो विशेष महत्व है. देव दिवाली के दिन पवित्र नदी के जल से स्नान करके दीपदान करना चाहिए. ये दीपदान नदी के किनारे किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था, इसलिए इसे देव दिवाली (Dev Diwali 2021) भी कहते हैं. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही समस्त देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर आते हैं और गंगा स्नान करने के बाद दीपोत्सव का त्योहार मनाते हैं. देव दिवाली पर लोग अपने घर पर दीए और सुंदर-सुंदर रंगोली से मुख्य द्वार को सजाते हैं.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में कार्तकि पूर्णिमा का विशेष महत्व है. पूरे कार्तिक माह में पूजा, अनुष्ठान, जप,तप और दीपदान का विशेष महत्व होता है. कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान श्री हरि विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे. ऐसी मान्यता है कि देव दिवाली के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर दिवाली मनाते हैं. इस मौके पर गंगा घाटों को सजाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों की मानें तो देव दिवाली के दिन गंगा नदी में स्नान ध्यान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन गुरुनानक जयंती भी मनाई जाती है. हिन्दू और सिक्ख धर्म के अनुयायियों देव दिवाली को धूमधाम से मनाते हैं.

क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

सनातन धार्मिक ग्रंथों की मानें तो दैविक काल में एक बार त्रिपुरासुर के आतंक से तीनों लोकों में त्राहिमाम मच गया. त्रिपुरासुर के पिता तारकासुर का वध देवताओं के सेनापति कार्तिकेय ने किया था. उसका बदला लेने हेतु तारकासुर के तीनों पुत्रों ने भगवान ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या कर उनसे अमर होने का वर मांगा. हालांकि, भगवान ब्रह्मा ने तारकासुर के तीनों पुत्रों को अमरता का वरदान न देकर अन्य वर दिया. कालांतर में भगवान शिवजी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन तारकासुर के तीनों पुत्रों यानी त्रिपुरासुर का वध कर दिया. उस दिन देवताओं ने गंगा नदी के किनारे दीप जलाकर देव दिवाली मनाई. उस समय से देव दिवाली मनाई जाती है. वर्तमान समय में भी हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)