Shiv Puja: देवों के देव महादेव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. माना जाता है कि जो भक्त भोलेनाथ का पूजन करते हैं उनपर वे विशेष कृपा बरसाते हैं और जीवन से कष्टों का निवारण कर देते हैं. भक्त अपने आराध्य शिव (Lord Shiva) की पूजा के लिए बड़ी तादाद में मंदिर दर्शन करने पहुंचते हैं और शिवरात्रि के अलावा, प्रदोष व्रत और सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. लेकिन, अत्यधिक भक्तों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने (Shivlinga abhishek) का सही तरीका नहीं पता होता है. यहां जानिए किस तरह शिवलिंग पर जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है.
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का सही तरीका
कैसी धातु चुनेंशिवलिंग पर किस तरह जल चढ़ाया जा रहा है यह ध्यान रखना आवश्यक है, परंतु साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि शिवलिंग पर किस धातु के लोटे से जलाभिषेक किया जा रहा है. माना जाता है कि शिवलिंग पर तांबे (Copper) या सिल्वल धातु से बने लोटे से जलाभिषेक करना अच्छा होता है. जल को स्टील के लोटे से अर्पित करने से बचना चाहिए. वहीं, अगर दूध से अभिषेक किया जा रहा तो तांबे का लोटा नहीं चुनना चाहिए.
दिशा का महत्वसही दिशा (Direction) में मुख करके शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है जिससे भोलेनाथ के मार्ग में किसी तरह की बाधा ना पड़े. पूर्व दिशा को भोलेनाथ के आगमन की दिशा कहते हैं. ऐसे में मान्यतानुसार शिवलिंग पर उत्तर की तरफ मुख करके जलाभिषेक करना चाहिए.
बैठकर जलाभिषेक करनारुद्राभिषेक करते हुए खड़े होना अच्छा नहीं माना जाता है. अगर आप शिवलिंग (Shivalinga) पर जल चढ़ा रहे हैं तो बैठकर या कमर को झुकाकर ही जलाभिषेक करें. इसके अलावा, इस बात का खास ध्यान रखें कि जलाभिषेक धीमी गति से करें. शिवलिंग पर एकदम तेजी से जल डालना अच्छा नहीं कहा जाता है.
परिक्रमा करें या नहींशिवलिंग पर जल चढ़ा देने के पश्चात परिक्रमा करने से बचना चाहिए. माना जाता है कि जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा करने पर आप जल को लांघते हैं जोकि अशुभ माना जाता है. इसीलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा ना करें नहीं तो भोलेनाथ क्रोधित हो सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)