Basant Panchami 2023: माघ मेले के चौथे स्नान पर्व बसंत पंचमी पर भारी बारिश के बीच आज लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. बसंत पंचमी का पर्व माघ मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाये जाने की परंपरा है. मान्यतानुसार बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करने का भी विधान है. इस बार 26 जनवरी, गुरुवार को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है. आधी रात से यहां बारिश लगातार होती रही बावजूद इसके श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा. शास्त्रीय विधि के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन किसी व्रत का विधान नहीं है, लेकिन देवपूजन से पूर्व भोजन ना करने की परंपरा चली आ रही है.
संतो के मुताबिक, अगर आप इस दिन कुछ शुभ कार्य करते हैं तो जीवन में आपको सफलता जरूर मिलती है, साथ ही मां सरस्वती का आशीर्वाद भी आप पर बना रहेगा. बसंत पंचमी के दिन पपीते व केले का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से शारीरिक व मानसिक विकास होता है. वहीं, पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन पूजा और वस्त्रों में भी पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही, मां सरस्वती की अराधना भी पीले फूल चढ़ाकर की जाती है.
विद्यार्थियों और साधकों के लिए बसंत पंचमी का दिन बहुत शुभ माना जाता है. गुरु शिष्य परंपरा के लिए भी बसंत पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन गुरुओं की भी वंदना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन गुरु से आशीष जरुर लें. इस दिन गुरु का आशीष लेने से विद्यार्थी ज्ञानवान व एकाग्रचित्त बनता है. इस दिन पीले रंग के फूल का पौधा लगाना शुभ होता है. वास्तु के हिसाब से पीले रंग का फूल शुभ माना जाता है.
वसंत पंचमी के दिन स्नान का भी बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से बुद्धिबल का विकास होता है और सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं.
बसंत पंचमी के स्नान पर्व को लेकर मेला प्रशासन ने भी सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया और लगभग 75 लाख श्रद्धालुओं के संगम में आस्था की डुबकी लगाने का अनुमान लगाया है. प्रशासन ने बसंत पंचमी के स्नान पर्व को लेकर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम का दावा किया है. मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए पुलिस ने मेले में ट्रैफिक डायवर्जन भी लागू कर दिया है.
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