तिरंगे के रंग में रंगे महाकाल, भस्मारती में केसरिया, सफेद और हरे रंग में हुआ श्रृंगार

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के बाबा महाकाल के दरबार में गणतंत्र दिवस के उत्साह का रंग नजर आया. यहां बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया और तिरंगे के तीनों रंग से उन्हें सजाया गया. महाकाल मंदिर में सभी हिन्दू त्योहारों को सबसे पहले मनाने की परंपरा है.

तिरंगे के रंग में रंगे महाकाल, भस्मारती में केसरिया, सफेद और हरे रंग में हुआ श्रृंगार

गणतंत्र दिवस के अवसर पर उज्जैन में महाकाल का विशेष शृंगार

नई दिल्ली:

उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) भी 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर तिरंगे (Tricolor) के रंग में रंग गए. मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के बाबा महाकाल के दरबार में गणतंत्र दिवस के उत्साह का रंग नजर आया. यहां बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया और तिरंगे के तीनों रंग से उन्हें सजाया गया. बाबा महाकाल के दरबार में हर रोज भस्मारती होती है और उनका विशेष श्रृंगार किया जाता है.

महाकाल मंदिर में सभी हिन्दू त्योहारों को सबसे पहले मनाने की परंपरा है. तड़के चार बजे हुई भस्मारती में बाबा का श्रृंगार तिरंगे के रूप में हुआ. गणतंत्र दिवस पर बाबा महाकाल का केसरिया, सफेद और हरे रंग से किया गया. विश्व भर में भगवन शिव के विवाह उत्सव से पूर्व नौ दिन बाबा का अलग-अलग रूप में श्रृंगार किया जाता है, जिसको शिवनवरात्र कहा जाता है. महाकाल मंदिर में सामान्यतह चार आरती होती है, जिसमें शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं.

उज्जैन में गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर भगवान महाकाल के दरबार को अनोखे ढंग से सजाया गया है. नंदी हॉल और गर्भ गृह में खास सजावट की गई है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर महाकाल को भस्म आरती के बाद खास भोग लगाया गया. इसके साथ ही महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया. कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए आम श्रद्धालुजनों के लिए नंदी हॉल में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है. मगर लोग दूर से ही सजावट के साथ सेल्फी लेते देखे गए.

कहा जाता है कि उज्जैन पूरे आकाश का मध्य स्थान यानी यहीं आकाश का केंद्र है. साथ ही उज्जैन पृथ्वी का भी केंद्र भी है. कहते हैं कि इसी जगह से ब्रह्माण्ड की कालगणना होती है, साथ ही समय का केंद्र मानी जाने वाली इस धरती को महाकाल की धरती भी कहा जाता है.

बाबा महाकाल के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं और मां मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान करते हैं. शिप्रा स्नान के बाद श्रद्धालुजन बाबा महाकाल के दरबार में दर्शन के लिए जाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार शिप्रा स्नान से रोका गया है.

मान्यता के अनुसार, महाकाल पृथ्वी लोक के अधिपति हैं, साथ ही तीनों लोकों के और सम्पूर्ण जगत के अधिष्ठाता भी है. कई धार्मिक ग्रंथों जैसे शास्त्रों और पुराणों में उनका जिक्र इस प्रकार किया गया है कि उनसे ही कालखंड, काल सीमा और काल विभाजन जन्म लेता है और उन्हीं से इसका निर्धारण भी होता है.

पुराणों में मोक्ष देनेवाली यानी जीवन और मृत्यु के चक्र से छुटकारा दिलाने वाली जिस सप्तनगरी का ज़िक्र है और उन सात नगरों में एक नाम उज्जैन का भी है, जबकि दूसरी तरफ महादेव का वो आयाम है जिसे महाकाल कहते हैं, जो मुक्ति की ओर ले जाता है.

हिन्दू धर्म के तमाम पंथों का प्रेरणास्रोत उज्जैन नगरी को माना जाता है. बता दें कि महाकाल की छह बार आरती होती है, जिनमें से सबसे खास मानी जाती है भस्म आरती.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)