विज्ञापन

ISI-चीन का नया खतरनाक खेल, दिल्ली, UP, MP तक पहुंच रहा ड्रग्स, हर 100 में 7 लोग शिकार

भारत के सामने ड्रग्स सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जिसके निशाने पर है भारत का भविष्य. इससे हर हाल में निपटना ही होगा.

भारत के युवा ड्रग्स के जाल में फंसते जा रहे हैं.

भारत की 7% आबादी नार्कोटिक्स यानी नशीली दवाओं की चपेट में है. इसका मतलब है हर 100 में से 7 लोग प्रतिबंधित नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं. ये अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है. अगर इसे आबादी में बदला जाए तो एक अरब 40 करोड़ की आबादी में क़रीब 10 करोड़ लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी ड्रग्स की चपेट में हैं. साफ़ है ड्रग्स भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जो भारत में युवा पीढ़ी को बर्बाद करता जा रहा है. ड्रग्स के इस जाल से निपटने के लिए भारत सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी के तहत नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मुंबई शाखा को एक बड़ी कामयाबी मिली है. एनसीबी ने ड्रग्स सिंडिकेट के एक सरगना को मलेशिया से गिरफ़्तार किया है. इसका नाम है नवीन चिचकर, जो विदेश में बैठकर ड्रग्स का कारोबार चला रहा था और उसके ख़िलाफ़ एनसीबी ने रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था. एनसीबी-मुंबई बीते काफ़ी समय से नवीन चिचकर की तलाश में थी. 

नवीन चिचकर का कैसे सुराग लगा

Latest and Breaking News on NDTV

एनसीबी को उसका सुराग़ इस साल 21 जनवरी को लगा, जब डीएचएल कुरियर सेवा के ज़रिए मुंबई से ऑस्ट्रेलिया भेजे जा रहे एक पार्सल में प्रोजेक्टर के अंदर छिपाई गई 200 ग्राम कोकीन ज़ब्त हुई. इसके बाद एनसीबी ने नवी मुंबई में ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े एक आरोपी के घर से 11.540 किलोग्राम कोकीन, 4.9 किलोग्राम कैनबिस और 5.5 किलोग्राम कैनबिस gummies ज़ब्त कीं. जांच आगे बढ़ी तो कोकीन की तस्करी में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का पता चला जो भारत से लेकर अमेरिका तक सक्रिय था. जो एयर कार्गो के ज़रिए कोकीन के कई कनसाइनमेंट मुंबई भेज चुका था. इस मामले में कई क्लियरिंग हाउस एजेंट्स और हवाला ऑपरेटरों की मिलीभगत सामने आई. इस सिलसिले में 8 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. तब से ही एनसीबी मुंबई इस सिंडिकेट के सरगना नवीन जिचकर की तलाश कर रही थी. 2021 में LSD की तस्करी से जुड़े एनसीबी के एक पुराने में मामले वो फ़रार हो गया था और थाइलैंड चला गया था. रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद उसे मलेशिया में गिरफ़्तार किया गया और प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया. 

एनसीबी से पूछताछ के समय नवीन चिचकर कई राज खोल सकता है जिसमें इस सिंडिकेट से जुड़े और लोगों के नाम से भी पर्दा उठेगा. ड्रग्स के इस सिंडिकेट को तोड़ना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसने भारत की युवा पीढ़ी को बर्बादी के रास्ते पर धकेल दिया है. देश में नशा करने वालों में 13% से ज़्यादा 20 साल से कम उम्र के नौजवान हैं. देश का कोई हिस्सा इनसे नहीं बचा. यहां तक कि राजधानी दिल्ली भी ड्रग्स तस्करों का बड़ा अड्डा बन चुकी है.

दिल्ली में ड्रग्स मासूमों को मार रहा

एनडीटीवी इंडिया ने हाल ही में दिल्ली में ऐसे कई हॉटस्पॉट्स की पड़ताल की. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ला ने नंदनगरी से लेकर सदर बाज़ार में प्रियदर्शिनी कॉलोनी तक कई जगहों का जायज़ा लिया. लगभग हर इलाके में कई हंसते खेलते परिवार ड्रग्स से बर्बाद नज़र आए. इन इलाकों में नशे के सौदागरों को जैसे क़ानून व्यवस्था कोई डर नहीं दिखा. ऐसा नहीं है कि पुलिस इन इलाकों में कार्रवाई नहीं करती, लेकिन ड्रग्स के सौदागरों का जाल इतना गहरा और इतना मज़बूत है कि वो किसी न किसी तरह बच निकलते हैं. ऐसा ही एक इलाका दिल्ली के सदर बाज़ार में प्रियदर्शिनी कॉलोनी भी है. यहां तमाम शिकायतों के बाद पुलिस की कार्रवाई चल रही थी. दिल्ली में ड्रग्स की चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन कवच की शुरुआत की. दिल्ली में 64 हॉटस्पॉट की पहचान की गई और क़रीब 784 जगहों पर छापे मारकर दो हज़ार से ज़्यादा लोगों को पकड़ा गया. जांच में पता चला है कि अब नशे का तरीका बदल रहा है. कई दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए हो रहा है तो कई नशे केमिकल के ज़रिए और भी जानलेवा बनाए जा रहे हैं और इन्हें इस्तेमाल करने का ट्रेंड काफ़ी बढ़ा है.

  • जैसे Fentanyl जो एक pain killer के तौर पर इस्तेमाल होती है लेकिन 70 फ़ीसदी ड्रग्स संबंधी मौतों के लिए यही ज़िम्मेदार है
  • Methamphetamine (मेथैमफैटमिन)— इसका नशा सीधे दिमाग़ पर असर करता है और खुशी महसूस करने वाली नर्व्स को बदल देता है...
  • Alprazolam (अल्प्रेज़ुलैम)— इसका नशा इंसान में बेचैनी, खुशी पैदा करता है और ये सबसे ज्यादा मिलने वाला नशा है

नशे के सौदागर अपना जाल फैलाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. आम तौर पर ये माना लिया जाता है कि पंजाब नशे की चपेट में सबसे ज़्यादा है, लेकिन आप हैरान होंगे कि केरल में हालत उससे कहीं ज़्यादा ख़राब हैं. इस सिलसिले में सरकार ने पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की.

  • सितंबर 2024 तक ड्रग्स से जुड़े सबसे ज़्यादा केस केरल में 18512 केस दर्ज हुए थे.
  • सबसे ज़्यादा क़रीब 20 हज़ार गिरफ़्तारियां भी वहीं हुईं थीं.
  • इसके बाद पंजाब में 7153 केस दर्ज हुए थे और 9729 लोग गिरफ़्तार किए गए थे.
  • फिर महाराष्ट्र में 6708 केस दर्ज हुए और 6597 लोग गिरफ़्तार किए गए.
  • इसके बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश का नंबर रहा.
  • देश में ड्रग्स से जुड़े 61 हज़ार से ज़्यादा केस दर्ज हुए और क़रीब 78 हज़ार लोग गिरफ़्तार किए गए.
  • ये आंकड़े सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने राज्यसभा में पेश किए थे.
Latest and Breaking News on NDTV

भारत में अवैध ड्रग्स की तस्करी ज़मीन, हवा और समुद्री तीनों रास्तों से होती रही है. सबसे ज़्यादा 70% ड्रग्स समुद्री रास्ते से भारत आती हैं. इसी साल 18 मार्च को गृह मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी कि बीते पांच साल में देश भर के बंदरगाहों में 19 अलग-अलग मामलों में 11,311 करोड़ की ड्रग्स बरामद की गई. बरामद ड्रग्स में कोकीन, हेरोइन, मेथामफेटामीन और ट्रैमैडोल शामिल थीं. ड्रग्स तस्करों के ख़िलाफ़ बीते कुछ सालों में कार्रवाई काफ़ी तेज़ हुई है. एनसीबी, नौसेना, कोस्टगार्ड्स और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई अभियान चले हैं. जैसे साल 2023 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्रगुप्त नाम से एक अभियान चलाया था, जिसमें 40 हज़ार करोड़ से ज़्यादा की ड्रग्स बरामद की गई.

Latest and Breaking News on NDTV

इसमें सबसे बड़ी क़रीब 12 हज़ार करोड़ रु कीमत की ड्रग्स की खेप कोच्चि के पास पानी के एक जहाज़ से ज़ब्त की गई. ये ड्रग्स मेथामफ़ेटामिन थी, जिसकी इतनी बड़ी खेप पहले कभी नहीं पकड़ी गई थी. इस मामले में एक पाकिस्तानी नागरिक भी गिरफ़्तार हुआ था. ऑपरेशन समुद्रगुप्त जनवरी 2022 में शुरू किया गया था. इसके तहत हिंद महासागर से आने वाली छोटी नौकाओं ओर बड़े जहाज़ों की निगरानी शुरू हुई. इसके तहत कुल लगभग 3200 किलो मेथामफ़ेटामिन, 500 किलो हेरोइन और 529 किलो हशीश ज़ब्त की गई. जिसकी कुल क़ीमत 40 हज़ार करोड़ रुपए थी. एनसीबी की निशानदेही पर श्रीलंका और मालदीव्स में भी ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी गई. एसीबी के मुताबिक ड्रग्स की इस खेप के पीछे पाकिस्तान में बैठा ड्रग्स सरगना हाजी सलीम था, जो दाऊद इब्राहिम के ज़रिए पाक ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को ड्रग्स तस्करी का पैसा पहुंचाता है.

ड्रग्स के दो बड़े नेटवर्क

Latest and Breaking News on NDTV

भारत में ड्रग्स के इस गोरखधंधे के पीछे दो बड़े नेटवर्क हैं और भारत इन दोनों के ठीक बीच में है.  पहला नेटवर्क है गोल्डन क्रीसेंट, जिसे डेथ क्रीसेंट भी कहा जाता है और दूसरा है गोल्डन टाइएंगल, जिसे भारत डेथ ट्राइएंगल कहता है.

डेथ क्रीसेंट पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान को मिलकर बना है. इन देशों के कई इलाकों को ड्रग्स तस्कर अफ़ीम की खेती के लिए इस्तेमाल करते हैं. कभी अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की सबसे ज़्यादा खेती होती थी, लेकिन तालिबान ने 2023 में अफ़ीम की खेती पर रोक लगा दी, लेकिन फिर भी कुछ इलाकों में पाकिस्तानी तस्करों की मिलीभगत से अब भी अफ़ीम पैदा की जा रही है, जिसे हेरोइन में बदलकर भारत और अन्य इलाकों में तस्करी की कोशिश की जाती है.

Latest and Breaking News on NDTV

ड्रग्स तस्करी का दूसरा जाल है डेथ ट्राइएंगल. जो म्यांमार, थाइलैंड और लाओस के बीच फैला हुआ है. यहां से दुनिया भर में ड्रग्स की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है. अफ़ग़ानिस्तान के बाद म्यांमार दुनिया में अफ़ीम की खेती का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है. United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) के मुताबिक 2024 में म्यांमार में अफ़ीम का उत्पादन अफ़ग़ानिस्तान से दोगुना हो गया. जानकारी के मुताबिक गृह युद्ध में उलझे म्यांमार में क़रीब 45 हज़ार हेक्टेयर इलाके में अफ़ीम की खेती हो रही है और इस काम में चीन की भी मिलीभगत है. इन ड्रग्स की उत्तर पूर्व में सक्रिय कुछ प्रतिबंधित संगठनों के ज़रिए भारत में भी तस्करी की जाती है. ये ड्रग्स सबसे पहले उत्तर पूर्व के राज्यों में पहुंचती है, जहां काफ़ी तादाद में युवा ड्रग्स की चपेट में हैं. तो इस तरह भारत के सामने ड्रग्स सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जिसके निशाने पर है भारत का भविष्य. इससे हर हाल में निपटना ही होगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com