
- रविवार को देवी चरण यमुना में पूजा का सामान विसर्जित करते समय एक गाय की टक्कर से गिरकर डूब गए
- पड़ोसी ओमी लाल ने शोर मचाया, लेकिन लोगों के मदद करने से पहले ही देवी चरण पानी में डूब चुके थे
- स्थानीय पुलिस और गोताखोरों ने शव को बाहर निकाला, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया
- परिवार में पत्नी पूनम और बच्चों का बुरा हाल है, उनकी खुशियों का केंद्र अचानक चला गया
रविवार की सुबह देवी चरण के परिवार के लिए आम दिनों जैसी थी, लेकिन किसे पता था कि यह दिन उनकी जिंदगी का सबसे काला दिन बन जाएगा. मूल रूप से अलीगढ़ के गांव भुन्ना निवासी देवी चरण अपने परिवार के साथ गौतमपुरी, दिल्ली में रहते थे. रोज़ी-रोटी के लिए वे चांदनी चौक की एक कपड़े की दुकान पर वर्षों से काम करते थे. परिवार में पत्नी पूनम, दो बेटियां और एक बेटा हैं. सबकी खुशियों का केंद्र देवी चरण ही थे.
रविवार को देवी चरण ने घर में रखे पूजा के सामान को यमुना में विसर्जित करने का फैसला किया. उनके साथ पड़ोसी ओमी लाल भी थे. दोनों साढ़े तीन पुस्ता, न्यू उस्मानपुर, यमुना किनारे पहुंचे. देवी चरण श्रद्धा से पूजा का सामान विसर्जित करने की तैयारी में लगे थे. आसपास का माहौल शांत था, लेकिन अचानक एक अनहोनी ने सब कुछ बदल दिया.
जैसे ही देवी चरण पूजा का सामान लेकर आगे बढ़े, वहां मौजूद एक छुट्टा गाय ने उन्हें पीछे से जोरदार टक्कर मार दी. देवी चरण का संतुलन बिगड़ा और वे सीधे यमुना के गहरे पानी में जा गिरे. ओमी लाल ने शोर मचाया, लेकिन जब तक लोग कुछ समझ पाते, देवी चरण पानी में डूब चुके थे.
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और बोट क्लब की टीम मौके पर पहुंची. गोताखोरों ने काफी मशक्कत के बाद देवी चरण के शव को बाहर निकाला और अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस खबर के साथ ही देवी चरण के घर में कोहराम मच गया. पत्नी पूनम और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिवार की खुशियों का केंद्र, बच्चों के सपनों का सहारा, पत्नी की उम्मीद सब कुछ एक झटके में उजड़ गया.
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच जारी है. परिजनों से पूछताछ की जा रही है. देवी चरण की मौत ने न सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि पूरे मोहल्ले को गमगीन कर दिया है. पड़ोसी ओमी लाल की आंखों के सामने घटी इस घटना ने सबको झकझोर दिया.
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि समाज के उस दर्दनाक सच की तस्वीर है, जहां बेलगाम घूमते पशु अक्सर जानलेवा साबित हो रहे हैं. सड़क हो या नदी किनारा, इनकी वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं. प्रशासन की लापरवाही और व्यवस्था की कमी का खामियाजा आम लोगों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है.
देवी चरण की मौत के बाद उनके बच्चों की आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं और पत्नी पूनम की आंखों में अपने सुहाग के छिन जाने का दर्द. परिवार के भविष्य का सवाल अब अनुत्तरित है. मोहल्ले के लोग भी इस हादसे से स्तब्ध हैं और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि छुट्टा गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए, ताकि किसी और देवी चरण की जिंदगी यूं ही न उजड़े.
देवी चरण की मौत से हर किसी की आंखें नम थीं, हर दिल में सवाल था—क्या देवी चरण की मौत का जिम्मेदार कोई नहीं? क्या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे?
यह हादसा एक चेतावनी है कि अगर समय रहते छुट्टा गोवंश की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो न जाने कितने और घरों के चिराग यूं ही बुझते रहेंगे. देवी चरण के परिवार का दर्द शब्दों में बयान करना मुश्किल है. उनकी मासूम बेटियां और बेटा अब हर दिन अपने पिता की कमी महसूस करेंगे, और पत्नी पूनम के लिए यह जख्म शायद कभी नहीं भर पाएगा.
समाज और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि देवी चरण जैसी घटनाएं दोबारा न हों. छुट्टा गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान, नदी किनारों और सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के इंतजाम, और आम लोगों की जागरूकता यही इस दर्दनाक हादसे से निकला सबसे बड़ा सबक है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं