दिल्ली के साउथ ईस्ट जिले के निवासियों ने तिमारपुर-ओखला वेस्ट मेनेजमेन्ट कंपनी ( वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, ओखला) प्रस्तावित परियोजना को 16 मेगा वाट से 40 मेगावाट करने के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे. इन लोगों ने रविवार को 12 से 2 बजे तक सड़कों पर उतर कर पहले मानव श्रृंखला बनाई और उसके बाद सुखदेव विहार से निकल कर अलग-अलग इलाकों में पहुंच कर अपनी आवाज उठाई. इस ह्यूमन चेन में प्रभावित इलाक़े सुखदेव विहार, जसोला , गफ्फार मंजिल, हाजी कालोनी, जोहरी फॉर्म, ओखला विहार, शाहीन बाग, अबुल फजल इन्कलेव , बटला हाउस, मसीहगढ़, बदरपुर, मदनपुर खादर तथा दिल्ली के अन्य रिहायशी इलाकों से सैकड़ों की संख्या में लोगों ने मानव श्रृंखला बनाया. इसके बाद इन लोगों ने प्रदर्शन भी किया. गौरतलब है कि प्लांट को 40 मेगावाट करने से लगभग 40 लाख लोगों के प्रभावित होने कि आशंका है. इस सम्बन्ध में 19 जनवरी 2019 को एनडीटीवी खबर ने खास रिपोर्ट भी छापी थी. जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय कन्वीनर विमल भाई ने एनडीटीवी से बताया कि प्रश्न कई है, 16 मेगावाट की उपजी समस्या का समाधान नही? सरकारें 40 की बात कैसे कर सकती हैं?दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड संदेह के घेरे में है. वो अपनी निगरानी रिपोटे सार्वजनिक क्यो नहीं करता? लाखों की आबादी और हरित पट्टी में कैसे ये प्लांट चल रहा है? सरकार इसे कचरी का उत्तम निस्तारण कहकर इन प्रश्नों से नहीं बच सकती.
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आरडब्ल्यूए जसोला हाइट्स अध्यक्ष शकील अहमद ने एनडीटीवी को बताया कि यह मानव श्रंखला सुखदेव विहार से लगे हुए कूड़े से बिजली बनाने वाले जिंदल कंपनी के 16 मेगावाट प्लांट और उसको 40 मेगावाट में तब्दीली की कोशिश के खिलाफ आयोजित की गई थी.
लोगों में इस बात को लेकर के भारी आक्रोश के वजह से ही प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 16 जनवरी को इस विस्तार के लिए आयोजित जन सुनवाई रद्द करनी पड़ी थी. 16 मेगावाट प्लांट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है फिर इसे 40 मेगावाट करने की इतनी जल्दी क्यों?
ह्यूमन चैन में मौजूद बुनियाद ( एनजीओ ) अध्यक्षा गज़ाला हाशमी एवं समाजसेवी वकील जौहरी ,परवेज़ खान कहते है कि पर्यावरणीय जनसुनवाई एक अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार है जहां लोग अपनी बात रख पाते हैं इसलिए जब 16 मेगावाट की परियोजना को आगे बढ़ा कर ४० मेगावाट करने करना जनता को मौत के बीच खींचना है , जो मानवाधिकार का उल्लघन है कि बुरे असर को दूर नहीं किया गया और ना ही इस बारे में कोई गंभीर पहल नजर आती है, तब अतिरिक्त 24 मेगावाट बढ़ाने के क्या दुष्परिणाम होंगे?
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क्या कभी ये आकलन किया गया की हरित पट्टी होने व् इतनी घनी आबादी के बीच इस प्लांट क्यों रखा गया ? वहीं, ओखला के समाजसेवी मोहम्मद उमर खान और शकील उर रहमान खान कहते है प्रभावित लोगो ने शांति पूर्वक ह्यूमन चैन का आयोजन करके दिल्ली सरकार को सीधी चेतावनी दी है कि अगर केजरीवाल सरकार ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो चुनाव में खामयाज़ा भुगतने के लिए तैयार रहें. क्योकि दिल्ली सरकार हमारी ज़िन्दगी से सीधे तौर पर खिलवाड़ करने वालों का साथ दे रही.
सोशल प्राइड वेलफेयर सोसाइटी अध्यक्ष डॉक्टर कमाल औऱ अफ़ज़ल अंसारी कहते है कि आखिर हरित पट्टी विकसित करने के नाम पर हरियाली को जलाने वाला प्लांट यहां स्थापित किया गया. बिना किसी पर्यावरण स्वीकृति के प्लांट का विस्तार कार्य भी शुरू हो चुका है. जो सीधे तौर पर नियम का उल्लघन है.
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