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तिहाड़ जेल में बड़ा फेरबदल, 3 सुपरिटेंडेंट के साथ 18 अफसरों का हुआ तबादला

तिहाड़ जेल के सूत्र बताते हैं कि पिछले तीन महीनों में ही 100 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जा चुका है. आधिकारिक तौर पर इसे रूटीन प्रोसेस बताया जा रहा है.

तिहाड़ जेल में बड़ा फेरबदल, 3 सुपरिटेंडेंट के साथ 18 अफसरों का हुआ तबादला
  • तिहाड़ जेल प्रशासन ने 3 सुपरिटेंडेंट समेत कुल 18 अधिकारियों का तबादला कर विभिन्न जेलों में पदस्थ किया है
  • जेल नंबर8 के 6 अधिकारियों को कैदियों से मिलीभगत के आरोपों के बाद अलग-अलग जेलों में भेजा गया है
  • पिछले तीन महीनों में तिहाड़ जेल के 100 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला किया जा चुका है
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दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक बार फिर बड़ा बदलाव किया गया है. जेल प्रशासन ने 3 सुपरिटेंडेंट सहित कुल 18 अफसरों को इधर से उधर कर दिया. इनमें जेल नंबर 8 के वो 6 अधिकारी भी शामिल हैं, जिन पर हाल ही में कैदियों से मिलीभगत के आरोप लगे थे. इन्हें अब अलग-अलग जेलों में भेजा गया है.

कहां क्या हुआ बड़ा फेरबदल

सूत्रों के मुताबिक, सुपरिटेंडेंट ओम प्रकाश निमोरिया को जेल नंबर 2 से हटाकर मुख्यालय भेजा गया है. वहीं, मुख्यालय में तैनात प्रमोद कुमार गुप्ता को जेल नंबर 3 की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा जेल नंबर 3 के पवन कुमार को जेल नंबर 2 का सुपरिटेंडेंट बनाया गया है. साथ ही 3 असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट और 3 वार्डन का भी तबादला कर दिया गया है. जेल नंबर 5 के एक वार्डन को लामपुर डिटेंशन सेंटर भेजा गया है. मुख्यालय में तैनात सात कर्मचारियों में से 5 को जेल नंबर 8 और बाकी दो को जेल नंबर 5 में लगाया गया है.

बीते 3 महीनों में हुए सैकड़ों तबादले

तिहाड़ जेल के सूत्र बताते हैं कि पिछले तीन महीनों में ही 100 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जा चुका है. आधिकारिक तौर पर इसे रूटीन प्रोसेस बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि कैदियों और अधिकारियों की मिली भगत पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. जेल के अंदर से मोबाइल फोन, ड्रग्स और दूसरे प्रतिबंधित सामान मिलने के मामले बार-बार सामने आ रहे हैं.

जेल प्रशासन के लिए अभी भी बड़ी चुनौती

इतना ही नहीं, तिहाड़ से ही गैंगस्टर रंगदारी वसूलने और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम दिलवाते रहे हैं. कई बार जांच में जेलकर्मियों की इन सभी में भूमिका भी सामने आ चुकी है. हालांकि, बार-बार तबादले और निलंबन के बावजूद इस गड़बड़ी पर पूरी तरह रोक लगाना जेल प्रशासन के लिए अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है.

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