
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, एलजी और पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. गुरुवार सुबह 8 बजे से 11 बजे तक वे यमुना नदी में गिरने वाले आधा दर्जन नालों का संयुक्त निरीक्षण करेंगे. यह निरीक्षण यमुना नदी की सफाई को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें प्रदूषण को कम करने और नदी की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
पीडब्ल्यूडी मंत्री ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें दिल्ली जलबोर्ड, पीडब्ल्यूडी और एमसीडी समेत तमाम सरकारी एजेंसियों को यमुना नदी की सफाई के लिए मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा, मंत्री ने ओखला के एसटीपी प्लांट का निरीक्षण भी किया, जिसमें सीवेज की सफाई की प्रक्रिया को देखा गया.
यमुना नदी दिल्ली की जीवनरेखा है, लेकिन यह प्रदूषण के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. नदी में गिरने वाले नाले और औद्योगिक अपशिष्ट इसके प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा, यमुना नदी के किनारे बसी आबादी और उनके द्वारा उत्पन्न कचरे का नदी में गिरना भी एक बड़ा मुद्दा है.
एक-एक एसटीपी पर जाकर देखूंगा: प्रवेश वर्मा
दिल्ली की सभी STP अगर इसी तरह काम करें तो यमुना साफ़ हो सकती है. खुद जल मंत्री प्रवेश वर्मा भी मानते हैं कि कई STP सही से काम नहीं कर रही है. प्रवेश वर्मा ने कहा कि मैं अब एक-एक एसटीपी पर जाकर देखूंगा कि ये सीवेज ट्रीटमेंट का काम अच्छा चल रहा है कि नहीं.
नजफगढ़ नाले से ही यमुना 60 फीसदी प्रदूषित होती है. इस नाले में गिरने वाले सीवेज की सफाई के लिए 16 STP यानि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, लेकिन NDTV की टीम ने 8 STP का जायजा लिया उसमें से महज एक STP ही जमीन पर बढ़िया काम करती मिली. इससे साफ हो जाता है कि दिल्ली आते ही यमुना नदी का BOD 90 हो जाता है जबकि ज्यादा से ज्यादा 3 BOD वाली नदी ही इंसानों के नहाने के लिए सुरक्षित मानी जाती है.
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