
- दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध के अभियान से कई वाहन मालिकों को नुकसान हुआ.
- सरकार ने CAQM को चिट्ठी लिखकर अभियान को फिलहाल रोकने का फैसला लिया है.
- नितिन गोयल ने अपनी लैंड रोवर महज 8 लाख रुपये में बेची, जो उन्होंने 65 लाख रुपये में खरीदी थी.
- उन्होंने 40 लाख रुपये की मर्सिडीज को भी 4 लाख 25 हजार रुपये में बेचना पड़ा.
दिल्ली में 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध के अभियान ने कई वाहन मालिकों को भारी नुकसान पहुंचाया. भले ही सरकार ने इस यू-टर्न लेते हुए इस अभियान को रोक दिया है, लेकिन इस बीच कई वाहन मालिकों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसा ही एक मामला नितिन गोयल का सामने आया है, जिन्होंने सरकार की पॉलिसी में बदलाव से पहले अपनी दो महंगी गाड़ियां औने-पौने दामों पर बेच दीं.
गोयल ने 2013 मॉडल की अपनी लैंड रोवर जो 65 लाख रुपये में खरीदी थी, उसे कुछ ही समय पहले मात्र 8 लाख रुपये में हिमाचल के एक शख्स को बेच दिया. इसी तरह, 40 लाख रुपये की 10 साल पुरानी मर्सिडीज (C Class 220 CDI स्पोर्ट्स लिमिटेड एडिशन) को भी उन्हें 4 लाख 25 हजार रुपये में बेचना पड़ा. अब उन्होंने एक नई जंगपुरा F बेस खरीदी है.
नितिन गोयल सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकार ने Euro-4 गाड़ियां 2019 तक बेची हैं, तो 2013 या 2015 में खरीदी गई, उन्हीं Euro-4 गाड़ियों का फिटनेस अचानक कैसे खराब हो गया? उनका ये सवाल उस सरकारी यू-टर्न के बाद और प्रासंगिक हो गया है, जहां पुराने वाहनों को जब्त करने का अभियान फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
अभियान पर यू-टर्न और उलझनें
दिल्ली सरकार ने हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को चिट्ठी लिखकर यह स्पष्ट किया है कि वाहनों को जब्त करने की पिछली व्यवस्था तर्कसंगत नहीं थी. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी घोषणा की कि यह व्यवस्था 1 नवंबर से पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर लागू की जाएगी, जिससे दिल्ली में पुरानी गाड़ियों की धर-पकड़ का अभियान रुक गया है.
1 जुलाई को अचानक शुरू हुए इस अभियान के पहले ही दिन मर्सिडीज जैसी महंगी गाड़ियों सहित कई चार-पहिया और दो-पहिया वाहन जब्त किए गए थे. ये सभी वाहन अब परिवहन विभाग के सराय काले खां स्थित स्क्रैप पिट में खड़े हैं.
जब्त गाड़ियों का क्या होगा?
दिल्ली परिवहन विभाग के पूर्व डिप्टी कमिश्नर अनिल छिकारा के अनुसार, जब्त की गई गाड़ियां वापस मिल सकती हैं. इसके लिए वाहन मालिक को तीन शर्तें पूरी करनी होंगी:
- एक एफिडेविट देना होगा कि गाड़ी दिल्ली से बाहर दूसरे राज्य में ले जाई जाएगी.
- 10,000 रुपये का चालान भरना होगा.
- वाहन जब्त करने में परिवहन विभाग का जो खर्च आया है, उसे भी चुकाना होगा.
इन शर्तों के बाद गाड़ी वापस मिल जाएगी, लेकिन उसे दिल्ली में नहीं चलाया जा सकेगा. नितिन गोयल जैसे कई मालिकों के लिए, यह सरकारी बदलाव देर से आया, जिससे उन्हें अपनी गाड़ियों को भारी नुकसान में बेचना पड़ा.
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