नई दिल्ली:
मीडिया पर हुए हालिया हमलों, चाहे वो कर्नाटक में विधानसभा के आदेश पर दो पत्रकारों को एक साल के लिए जेल की सजा का सुनाया जाना हो या फिर दिल्ली के सोनिया विहार इलाके में 'द कारवां मैगजीन' के रिपोर्टर की भीड़ द्वारा पिटाई का मामला हो, इन तमाम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकारिता जगत के दिग्गज इकट्ठा हुए.
कर्नाटक विधानसभा ने जाने-माने पत्रकार रवि बेलागेरे समेत दो कन्नड़ टैबलॉयड के संपादकों को राज्य के विधायकों के खिलाफ कथित मानहानिकारक लेख लिखकर विशेषाधिकार हनन करने के लिये उन्हें एक साल के कारावास की सजा सुनाई है.
प्रेस क्लब में हुई बैठक के वक्ताओं ने महसूस किया कि मानहानि जैसे मामलों में जेल की सजा विधानसभा के विशेषाधिकारों का दुरुपयोग है. विधायकों के लिए उचित यह होता कि अगर उन्हें लगा कि वो आलेख मानहानिकारक हैं, तो वो उन पत्रकारों के खिलाफ नागरिक मानहानि का केस दर्ज करा सकते थे.
'द सिटीजन' की एडिटर इन चीफ सीमा मुस्तफा ने कहा, 'असहमति ऐसी चीज है जिसे लेकर सत्तावादी प्रवृत्ति वाली सरकारों ने हमेशा निशाना बनाया है.' उन्होंने मीडिया से इसका एहसास करने की बात कहते हुए कहा, 'हमारी ताकत उन लोगों से आती है जिनकी और जिनके लिए हम आवाज उठाते हैं, न कि प्रबंधन या सरकार से.'
द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा, 'पाकिस्तान की जीत के बाद पटाखे जलाने को लेकर गिरफ्तारी हो रही है, यह इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है.'
लेकिन केवल सरकार या राज्य की मशीनरी ही नहीं हैं जो पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं.
NDTV के सीनियर एक्सीक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने कहा, 'इसके लिए किसी सरकारी व्यक्ति की जरूरत नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'यहां तक कि मेरा पड़ोसी मुझे मारने आ सकता है. यह ऐसी संस्कृति है जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है. मीडिया का वह वर्ग जो सरकार का गुणगान कर रहा है, केवल वही सुरक्षित है.'
एक मासिक पत्रिका के फ्रीलांस पत्रकार बासित मलिक दिल्ली में एक अस्थाई मस्जिद के ढहाए जाने की रिपोर्टिंग करने गए थे. वहां पास ही मौजूद भीड़ को जब पता चला कि वह मुसलमान हैं, तो उनकी बुरी तरह पिटाई की गई.
रवीश कुमार ने आगाह करते हुए कहा कि यह ध्रुवीकरण केवल एक समुदाय के खिलाफ नहीं है. यह किसी को भी एक खूनी में तब्दील कर सकता है. यहां तक कि हम अपने पड़ोस में भी सुरक्षित नहीं हैं.
प्रेस क्लब की बैठक में कुछ ऐसे टीवी चैनलों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया जो एक खास समुदाय के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं. पत्रकारों ने नियामकों को और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने पर बल दिया.
सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि आज मीडिया का एक बड़ा तबका ध्रुवीकरण को लगातार हवा दे रहा है. अगर समाज के ध्रुविकरण के लिए एक संपादक जानबूझ कर मनगढंत जानकारियां पेश कर रहा तो उसे उसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
भीड़ द्वारा हत्या, जैसे कि राष्ट्रीय राजधानी से सटे हरियाणा के बल्लभगढ़ में 16 वर्षीय जुनैद की हत्या की घोर निंदा की गई.
कर्नाटक विधानसभा ने जाने-माने पत्रकार रवि बेलागेरे समेत दो कन्नड़ टैबलॉयड के संपादकों को राज्य के विधायकों के खिलाफ कथित मानहानिकारक लेख लिखकर विशेषाधिकार हनन करने के लिये उन्हें एक साल के कारावास की सजा सुनाई है.
प्रेस क्लब में हुई बैठक के वक्ताओं ने महसूस किया कि मानहानि जैसे मामलों में जेल की सजा विधानसभा के विशेषाधिकारों का दुरुपयोग है. विधायकों के लिए उचित यह होता कि अगर उन्हें लगा कि वो आलेख मानहानिकारक हैं, तो वो उन पत्रकारों के खिलाफ नागरिक मानहानि का केस दर्ज करा सकते थे.
'द सिटीजन' की एडिटर इन चीफ सीमा मुस्तफा ने कहा, 'असहमति ऐसी चीज है जिसे लेकर सत्तावादी प्रवृत्ति वाली सरकारों ने हमेशा निशाना बनाया है.' उन्होंने मीडिया से इसका एहसास करने की बात कहते हुए कहा, 'हमारी ताकत उन लोगों से आती है जिनकी और जिनके लिए हम आवाज उठाते हैं, न कि प्रबंधन या सरकार से.'
द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा, 'पाकिस्तान की जीत के बाद पटाखे जलाने को लेकर गिरफ्तारी हो रही है, यह इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है.'
लेकिन केवल सरकार या राज्य की मशीनरी ही नहीं हैं जो पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं.
NDTV के सीनियर एक्सीक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने कहा, 'इसके लिए किसी सरकारी व्यक्ति की जरूरत नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'यहां तक कि मेरा पड़ोसी मुझे मारने आ सकता है. यह ऐसी संस्कृति है जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है. मीडिया का वह वर्ग जो सरकार का गुणगान कर रहा है, केवल वही सुरक्षित है.'
एक मासिक पत्रिका के फ्रीलांस पत्रकार बासित मलिक दिल्ली में एक अस्थाई मस्जिद के ढहाए जाने की रिपोर्टिंग करने गए थे. वहां पास ही मौजूद भीड़ को जब पता चला कि वह मुसलमान हैं, तो उनकी बुरी तरह पिटाई की गई.
रवीश कुमार ने आगाह करते हुए कहा कि यह ध्रुवीकरण केवल एक समुदाय के खिलाफ नहीं है. यह किसी को भी एक खूनी में तब्दील कर सकता है. यहां तक कि हम अपने पड़ोस में भी सुरक्षित नहीं हैं.
प्रेस क्लब की बैठक में कुछ ऐसे टीवी चैनलों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया जो एक खास समुदाय के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं. पत्रकारों ने नियामकों को और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने पर बल दिया.
सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि आज मीडिया का एक बड़ा तबका ध्रुवीकरण को लगातार हवा दे रहा है. अगर समाज के ध्रुविकरण के लिए एक संपादक जानबूझ कर मनगढंत जानकारियां पेश कर रहा तो उसे उसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
भीड़ द्वारा हत्या, जैसे कि राष्ट्रीय राजधानी से सटे हरियाणा के बल्लभगढ़ में 16 वर्षीय जुनैद की हत्या की घोर निंदा की गई.
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