दिल्‍ली दंगे : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस पर ठोका 25 हजार का जुर्माना, कहा-जांच में बरती ढिलाई

पिछले वर्ष दिल्ली के दंगों के दौरान मो. नासिर को 24 फरवरी 2020 को आंख में गोली लगी थी. उसकी शिकायत पर FIR न दर्ज़ करने को लेकर दिल्‍ली पुलिस पर यह जुर्माना लगाया गया है.

दिल्‍ली दंगे : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस पर ठोका 25 हजार का जुर्माना, कहा-जांच में बरती ढिलाई

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • मामला दंगों के दौरान एक शख्‍स की आंख में गोली लगने का
  • इस व्‍यक्ति ने छह लोगों के खिलाफ दर्ज कराई थी शिकायत
  • पुलिस ने जांच किए बगैर इस शिकायत को दूसरी FIR से जोड़ा
नई दिल्ली:

दिल्‍ली दंगों (Delhi Riots के दौरान अपने कर्तव्‍य निर्वहन में विफल रहने के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट (Kadkadduma court) ने दिल्‍ली पुलिस (Delhi Police) पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल,  पिछले वर्ष दिल्‍ली में भड़की हिंसा के दौरान मोहम्मद नासिर को 24 फरवरी 2020 को आंख में गोली लगी थी. उसकी शिकायत पर FIR न दर्ज़ करने को लेकर दिल्‍ली पुलिस पर 25000 रुपये का यह जुर्माना (fine) लगाया गया है. नासिर ने 19 मार्च 2020 को अपने पड़ोस के लोगों (नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौर) के ख़िलाफ़ उन्हें गोली मारने की शिक़ायत दर्ज़ कराई थी. दिल्ली पुलिस ने बिना जांच किए नासिर की शिकायत को दूसरी FIR में जोड़ दिया जिससे इनका कुछ लेना देना नहीं था.

इसके बाद नासिर ने 17 जुलाई 2020 को दिल्ली पुलिस द्वारा उसकी शिकायत न दर्ज़ करने को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट का रुख किया. 21 अक्‍टूबर 2020 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस को मोहम्मद नासिर की शिकायत पर FIR दर्ज़ करने के आदेश दिए. इसके बाद  29 अक्‍टूबर 2020 को दिल्ली पुलिस, कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सत्र न्यायालय पहुंची. सत्र न्यायालय ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा FIR करने के आदेश को स्टे किया और पूरे मामले में सुनवाई शुरू की. कल यानी 13 जुलाई 2021 को कोर्ट ने इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस को ज़बरदस्त फ़टकार लगाई.

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कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की कार्यवाही चौंका देने वाली है.पुलिस ने बिना जांच किए आरोपियों को क्लीन चिट कैसे दे दी?कोर्ट ने कहा कि “दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच बहुत ढिलाई और निष्ठुर होकर की है. पूरे मामले को देखने पर समझ आता है कि पुलिस ही आरोपियों को बचाने काम कर रही थी.' कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में जांच बहुत सही तरीक़े से की जाए. साथ ही कहा कि शिक़ायतकर्ता पुलिस के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए कोर्ट जा सकता है