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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछली आप सरकार के स्वास्थ्य मॉडल और अस्पतालों को 'बीमार' बताते हुए सोमवार को कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कुप्रबंधन, नकली दवाओं के वितरण, जनता के पैसे की बर्बादी और डॉक्टरों की कमी पर सीएजी के निष्कर्ष भाजपा के दावों की पुष्टि करते हैं. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर चर्चा का समापन करते हुए, सीएम गुप्ता ने कहा कि मरीजों को नकली दवाएं दी गईं और नकली मरीजों के नाम पर असली भुगतान किए गए.
सीएम गुप्ता ने पिछली आप सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "स्वास्थ्य मॉडल के नाम पर पिछले 10 वर्षों में केवल भ्रष्टाचार किया गया."
सीएम ने अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग की स्थिति सुधारने का वादा किया. उन्होंने कहा, "हम प्रत्येक विभाग को कर्ज से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं और हमारे सभी मंत्री तथा विधायक हमारे द्वारा किए गए सभी वादों को पूरा करेंगे."
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सीएम गुप्ता ने पिछली आप सरकार पर शहर के अस्पतालों को बीमार बनाने और फर्जी मरीजों का इस्तेमाल कर धन की हेराफेरी करने तथा डॉक्टरों और नर्सों के रिक्त पदों को भरने में विफल रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "मुद्दा बजट के कम इस्तेमाल का नहीं है, मुद्दा बेड की अपर्याप्त संख्या या दवाओं की कमी का नहीं है, बल्कि मुद्दा मरीजों के उत्पीड़न और उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार का है."
सीएम पिछली आप सरकार की मोहल्ला क्लिनिक योजना की आलोचना करते हुए कहा, "मोहल्ला क्लिनिक से जुड़ी हर चीज फर्जी थी, लेकिन केवल एक चीज असली थी और वह थी भुगतान और जनता के पैसे की बर्बादी." उन्होंने कहा कि सभी कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और चोरी की आप सरकार की आदत बन गई थी. सीएमओ का सोशल मीडिया हैंडल भी चुरा लिया. हमें उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पड़ा.
महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह का भुगतान करने की मांग करते हुए विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया. इस दौरान उन्होंने पिछली आप सरकार की विफलताओं को गिनाया और कहा कि ड्यूटी मेडिकल अधिकारियों के 234 पद रिक्त हैं, 2,000 से अधिक नर्सिंग पद रिक्त हैं तथा पैरामेडिक के 2,796 पद रिक्त हैं.
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विपक्ष पर निशाना साधते हुए सीएम गुप्ता ने कहा, "उन्होंने विधानसभा का समय बर्बाद किया है. वे सीएजी रिपोर्ट द्वारा उजागर किए गए सच का सामना नहीं करना चाहते हैं." उन्होंने पिछली सरकार द्वारा की गई फिजूलखर्ची पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अस्पतालों के गोदाम पीपीई किट, मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य उपकरणों से भरे पड़े हैं, जो बेकार पड़े हैं.
सीएम ने कैग रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा, "कोविड के दौरान 10 रुपये का मास्क 150 रुपये में खरीदकर ठगी की गई." सीएम गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान शुरू की गई 24 अस्पताल परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकीं. कई परियोजनाओं की लागत दोगुनी हो गई हैं और ये अभी भी पूरी नहीं हो पाई हैं.
चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल द्वारा यह स्वीकार किए जाने का जिक्र करते हुए कि वे यमुना की सफाई और स्वच्छ जल उपलब्ध कराने सहित अन्य वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं, उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि आखिरकार केजरीवाल ने सच बोलना शुरू कर दिया और अपनी विफलताओं को स्वीकार कर लिया."
सीएम गुप्ता ने कहा कि सदन में पेश की गई दो सीएजी रिपोर्ट से ही विपक्षी सदस्य हिल गए हैं. उनमें आलोचना का सामना करने का साहस नहीं है.
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सीएजी रिपोर्ट पर बहस के पहले हाफ के दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने कहा कि सरकार सीएजी द्वारा बताए गए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में गड़बड़ियों की जांच का आदेश देगी और भ्रष्टाचार में शामिल एक भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.
पिछली आप सरकार का बचाव करने के लिए विपक्ष की नेता आतिशी ने अन्य राज्यों के कामकाज पर सीएजी की नकारात्मक टिप्पणियों को उठाने की कोशिश की, लेकिन स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने उनके बयान को अपुष्ट कर दिया.
सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा के अंत में स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने रिपोर्ट को लोक लेखा समिति को तीन महीने में रिपोर्ट देने के लिए भेज दिया. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से एक महीने के भीतर सीएजी निष्कर्षों पर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा.
28 फरवरी को सदन में पेश की गई सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में महामारी के दौरान फंड के कम उपयोग की बात कही गई है. कोविड से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए कुल 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि दवाइयों और आपूर्ति (जैसे पीपीई और मास्क) के लिए जारी किए गए 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया.
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सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि लोक नायक अस्पताल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय समेत कई प्रसिद्ध अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी एक समस्या बनी हुई है. इसमें कहा गया है, "नर्सों और पैरामेडिक कर्मचारियों के कैडर में कमी क्रमशः लगभग 21 और 38 प्रतिशत है."
इसमें आगे बताया गया है कि 14 अस्पतालों में आईसीयू सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, 16 में ब्लड बैंक सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, 8 में ऑक्सीजन सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, 15 में मुर्दाघर सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं और 12 अस्पतालों में एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं.
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