 
                                            उपहार सिनेमाघर (फाइल फोटो)
                                                                                                                        - 13 जून 1997 को हुए अग्निकांड में 59 दर्शकों की हुई थी मौत
- तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति एआर दवे से चर्चा करेंगे
- अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        रियल इस्टेट कारोबारी अंसल बंधुओं ने 1997 में हुए अग्निकांड के बाद से सीलबंद उपहार सिनेमाघर की सील हटवाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इस सिनेमाघर में हिन्दी फिल्म बार्डर के प्रदर्शन के दौरान 13 जून 1997 को हुए अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी और सौ से अधिक दर्शक जख्मी हुए थे.
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह इस मामले में न्यायमूर्ति एआर दवे से चर्चा करेंगे, जिन्होंने इस प्रकरण में दायर याचिका पर सुनवाई की थी.
अंसल बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया. उनका कहना था कि इस मामले में सीबीआई और एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की याचिकाओं के साथ ही इस पर सुनवाई की जा सकती है.
इससे पहले, न्यायमूर्ति दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उपहार कांड से संबंधित मामलों की सुनवाई की थी. न्यायमूर्ति दवे 18 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
इस साल के शुरू में न्यायमूर्ति दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2015 के फैसले के खिलाफ सीबीआई और एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर की बजाय न्यायालय कक्ष में ही सुनवाई करने का निश्चय किया था. इस फैसले के अंतर्गत अंसल बंधुओं को दो साल की कैद की सजा भुगतनी थी और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीस-तीस करोड़ रुपये का भुगतान करना था. अंसल बंधुओं ने यह राशि जमा कराई थी.
एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि दोषियों के प्रति अनावश्यक नरमी बरती गई है जबकि इनके जघन्य अपराध के लिए सभी अदालतों ने उन्हें दोषी ठहराने वाले निर्णय को सही ठहराया था. दूसरी ओर, सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि शीर्ष अदालत ने उसे अपना पक्ष रखने के लिए समय ही नहीं दिया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह इस मामले में न्यायमूर्ति एआर दवे से चर्चा करेंगे, जिन्होंने इस प्रकरण में दायर याचिका पर सुनवाई की थी.
अंसल बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया. उनका कहना था कि इस मामले में सीबीआई और एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की याचिकाओं के साथ ही इस पर सुनवाई की जा सकती है.
इससे पहले, न्यायमूर्ति दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उपहार कांड से संबंधित मामलों की सुनवाई की थी. न्यायमूर्ति दवे 18 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
इस साल के शुरू में न्यायमूर्ति दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2015 के फैसले के खिलाफ सीबीआई और एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर की बजाय न्यायालय कक्ष में ही सुनवाई करने का निश्चय किया था. इस फैसले के अंतर्गत अंसल बंधुओं को दो साल की कैद की सजा भुगतनी थी और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीस-तीस करोड़ रुपये का भुगतान करना था. अंसल बंधुओं ने यह राशि जमा कराई थी.
एसोसिएशन आफ उपहार ट्रेजडी की पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि दोषियों के प्रति अनावश्यक नरमी बरती गई है जबकि इनके जघन्य अपराध के लिए सभी अदालतों ने उन्हें दोषी ठहराने वाले निर्णय को सही ठहराया था. दूसरी ओर, सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि शीर्ष अदालत ने उसे अपना पक्ष रखने के लिए समय ही नहीं दिया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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