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This Article is From Apr 24, 2020

COVID-19 के इलाज की दिशा में बड़ा कदम - प्लाज़्मा थैरेपी के ट्रायल के शुरुआती नतीजे सकारात्मक, केजरीवाल करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस

कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है. कोरोना के इलाज में जुटे देश के लिए अच्छी खबर आई है और इसमें दिल्ली को बड़ी सफलता मिली है.

COVID-19 के इलाज की दिशा में बड़ा कदम - प्लाज़्मा थैरेपी के ट्रायल के शुरुआती नतीजे सकारात्मक, केजरीवाल करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है. कोरोना का इलाज ढूंढने में जुटे पूरे देश के लिए एक अच्छी खबर है. कोरोना के इलाज में दिल्ली को एक बड़ी सफलता मिली है. दिल्ली में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया गया है जिसके शुरुआती नतीजे सकारात्मक आये हैं. इस ट्रायल की सारी जानकारी और नतीजों के बारे में आज दोपहर 12 बजे खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी देंगे.

हाल ही में दिल्ली को प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल करने की इजाजत दी गई थी. प्लाजमा थेरेपी का ट्रायल करने का जिम्मा दक्षिण दिल्ली के अस्पताल ILBS को दिया गया था. इस अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एसके सरीन ने एनडीटीवी इंडिया को बताया था कि इस ट्रायल के लिए 10 लोगों को प्लाज्मा देकर स्टडी करेंगे कि उन पर किस तरह का और कैसा प्रभाव पड़ रहा है.

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते दक्षिण दिल्ली के मैक्स साकेत अस्पताल में एक कोरोना संक्रमित मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी गई, जिसके बाद मरीज वेंटिलेटर और आईसीयू से निकलकर साधारण कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है, फिलहाल उस मरीज का कोरोना नेगेटिव आ चुका है और अगले 1 से 2 दिन में वह मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा. हालांकि यह भी बताना जरूरी है कि इसी मरीज के पिता को भी कोरोना संक्रमण होने के बाद प्लाज्मा दिया गया था लेकिन उम्र ज्यादा और हालत ज्यादा बिगड़ने के चलते प्लाज्मा देने के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका था और उनकी अस्पताल में मौत हो गई थी.

क्या है प्लाज्मा थेरेपी?

प्लाज्मा थेरेपी क्या है. तो इसका जवाब भी समझ लेते हैं. असल में जब किसी इंसान को कोरोना का संक्रमण होता है, तो उसका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए खून में एंटीबॉडी बनाता है. यह एंटीबॉडी संक्रमण को खत्म करने में मदद करती हैं. और ज्यादातर मामलों में जब पर्याप्त एंटी बॉडी बन जाती हैं तो वायरस नष्ट हो जाता है. ऐसे में वह व्यक्ति, जो वायरस को मात देकर स्वस्थ हो गया है, अगर ब्लड डोनेट करता है, तो उसके खून से प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी को दूसरे मरीज में डाला जा सकता है. और बीमार या संक्रमि‍त शरीर में जाकर ये एंटीबॉडी फिर से अपना काम शुरू करते हैं और मरीज को ठीक होने में मदद करते हैं.  

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