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This Article is From Jan 04, 2017

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता देश का पहला 'किसान मॉल'

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता देश का पहला 'किसान मॉल'
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: हर साल कागजों में किसानों के लिए बहुत सारी योजाएं बनती हैं पर कुछ का ही लाभ असल में किसानों तक पहुंचता है. ऐसे ही 2014 में देश का पहला 'किसान मॉल' पूसा रोड स्थित 'भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान' में बनाया गया था जिसका लोकार्पण भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ किया था.

आज यह मॉल अपनी बदहाल अवस्था पर आंसू बहा रहा है. मॉल में किसानों की जगह बंद कमरे हैं और अनाज की जगह लोहे के लटकते ताले. इस मॉल को दिल्ली हॉट की तर्ज़ पर चलाना था. किसान मॉल बनाने के कई कारण थे जैसे, किसानों को अपना अनाज सीधे उपभोक्ता को बेचने के लिए मंच देना, बिचौलियों को ख़त्म करना और उपभोक्ता को ताज़ा सामान मुहैया करना था.

आज हालात ये हैं कि मॉल के 15 में सिर्फ एक कमर खुला रहता है. इसमें हापुड़ की रहने वाली उमा किसानों की उपज बेंचती हैं. उमा बताती हैं कि दिननभर में ठीक-ठाक बिक्री हो जाती है और किसानों तक फायदा पहुंचता है. फिर सवाल यह उठता है कि जब उमा मुनाफ़ा कमा सकती है तो देश के बाकी किसान क्यों नहीं ?

जब इस हालत के बारे में संस्थान के अधिकारियों से बात करी तो उन्होंने रिकॉर्ड  पर बात करने से मना कर दिया और कहा की संस्थान मॉल के पुनर्निर्माण में लगा हुआ है. बात सिर्फ इतनी सी है कि फीता काटने के बाद सरकारी महकमे अपने वायदों को भूल जाते हैं और जब हक़ीक़त सामने आती है तो उन्हें खुद को बचाने के लिए लीपा-पोती करनी पड़ती है.

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