इंडिया गेट से देहरादून के लिए रवाना होतीं प्रतिभा पुंडीर सेंगर
नई दिल्ली:
37 साल की प्रतिभा पुंडीर सेंगर देश की बेटियों के खातिर अब दिल्ली के इंडिया गेट से देहरादून तक के सफर पर निकल पड़ी हैं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को और प्रभावी बनाने के लिए वो इस मुश्किल सफर पर कड़ाके की सर्दी में पैदल जा रहीं हैं और रास्ते में मिलने वाले गांव और शहरों में वो महिलाओं और बच्चियों से शिक्षा और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध जैसे मुद्दों पर बात करेंगी. उन्हें विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख ने शुक्रवार सुबह झंडा दिखाकर विदा किया. सफर में उनके साथ उनके पति सेना में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष सेंगर आगे-आगे अपने 2 बच्चों, 10 साल के बेटे और 4 साल की बेटी के साथ कार से चलेंगे.
वो दिल्ली के इंडिया गेट से चलकर ग़ाज़ियाबाद, मोदीनगर, मेरठ, सरधना, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर से होते हुए देहरादून का 281 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगी. प्रतिभा इससे पहले अंबाला से दिल्ली, अंबाला से चंडीगढ़ और अंबाला से आगरा का करीब 700 किलोमीटर का सफर पैदल तय चुकी हैं.
बेटियों के नाम से हो घर की पहचान, इसलिए दरवाजों पर लगाई बेटियों की नेमप्लेट
इस मौके पर जनरल वीके सिंह ने प्रतिभा को बधाई देते हुए कहा कि समाज बेटियों से ही है और अगर बेटियां नहीं होंगी तो ये समाज नहीं होगा. इसलिए बेटियों के महत्व को हमें समझना होगा, उनका सम्मान करना होगा. प्रतिभा मूलरूप से सहारनपुर की रहने वाली हैं और पेशे से टेक्सटाइल डिज़ाइनर हैं. 2004 में उनकी शादी आर्मी अफसर मनीष से हुई.
प्रतिभा के मुताबिक शादी के बाद उन्होंने आर्मी के अफसरों की पत्नियों के होने वाले सांस्कृतिक और खेलकूद के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कई बार अवार्ड भी जीते. प्रतिभा का कहना है कि दोनों बच्चों की देखभाल करने के अलावा जो समय मिलता था उसमें गॉसिप करने की बजाय उन्होंने दौड़ लगाना शुरू किया. वो करीब साढ़े 3 साल से हर रोज़ दौड़ती हैं और हर रोज़ 10 से 12 किलोमीटर दौड़ती हैं.
VIDEO: बेटियों की ख़ातिर प्रतिभा पुंडीर की पैदल यात्रा
वो दिल्ली के इंडिया गेट से चलकर ग़ाज़ियाबाद, मोदीनगर, मेरठ, सरधना, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर से होते हुए देहरादून का 281 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगी. प्रतिभा इससे पहले अंबाला से दिल्ली, अंबाला से चंडीगढ़ और अंबाला से आगरा का करीब 700 किलोमीटर का सफर पैदल तय चुकी हैं.
बेटियों के नाम से हो घर की पहचान, इसलिए दरवाजों पर लगाई बेटियों की नेमप्लेट
इस मौके पर जनरल वीके सिंह ने प्रतिभा को बधाई देते हुए कहा कि समाज बेटियों से ही है और अगर बेटियां नहीं होंगी तो ये समाज नहीं होगा. इसलिए बेटियों के महत्व को हमें समझना होगा, उनका सम्मान करना होगा. प्रतिभा मूलरूप से सहारनपुर की रहने वाली हैं और पेशे से टेक्सटाइल डिज़ाइनर हैं. 2004 में उनकी शादी आर्मी अफसर मनीष से हुई.
प्रतिभा के मुताबिक शादी के बाद उन्होंने आर्मी के अफसरों की पत्नियों के होने वाले सांस्कृतिक और खेलकूद के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कई बार अवार्ड भी जीते. प्रतिभा का कहना है कि दोनों बच्चों की देखभाल करने के अलावा जो समय मिलता था उसमें गॉसिप करने की बजाय उन्होंने दौड़ लगाना शुरू किया. वो करीब साढ़े 3 साल से हर रोज़ दौड़ती हैं और हर रोज़ 10 से 12 किलोमीटर दौड़ती हैं.
VIDEO: बेटियों की ख़ातिर प्रतिभा पुंडीर की पैदल यात्रा
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