भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ही वर्तमान जज के खिलाफ याचिका दायर करने वाले शख्स के भविष्य में जनहित याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने इस शख्स पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने को बहाल रखा है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सोमवार को न केवल राशिद अली सौदागर नामक एक शख्स पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने के अपने आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया बल्कि उस पर भविष्य में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने पर पाबंदी लगा दी. हालांकि कोर्ट ने कहा कि राशिद निजी मसलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
कोर्ट ने राशिद अली को चार हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम जमा करने के लिए कहा है. बेंच ने रजिस्ट्री को यह निर्देश दिया है कि अगर तय समय के भीतर जुर्माने की रकम नहीं जमा कराई जाती है तो इस मामले को फिर से लिस्ट किया जाए.
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इससे पहले राशिद ने कोर्ट से कहा कि गत मार्च के आदेश को वापस लिया जाए. पीठ ने कहा कि आपने एक जज के खिलाफ याचिका दायर कर थी और वह भी बेतुकी. इस पर राशिद ने कहा कि हमें किसी के खिलाफ भी याचिका दायर करने का अधिकार है. जवाब में कोर्ट ने कहा कि अगर आप जज के खिलाफ याचिका दायर कर सकते हैं तो हमें भी आप पर जुर्माना लगाने का अधिकार है. गत मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संठगन और उसके चेयरमैन पर भी भविष्य में जनहित याचिका दायर करने पर पाबंदी लगाई है.
वीडियो : जब सुप्रीम कोर्ट ने योग से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
कोर्ट ने राशिद अली को चार हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम जमा करने के लिए कहा है. बेंच ने रजिस्ट्री को यह निर्देश दिया है कि अगर तय समय के भीतर जुर्माने की रकम नहीं जमा कराई जाती है तो इस मामले को फिर से लिस्ट किया जाए.
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