तारिख 13 सितम्बर... जब केजरीवाल जेल से बाहर आए और 48 घंटे बाद...अरविन्द केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया. सीएम केजरीवाल के इसी बयान के बाद दिल्ली की सियासत में सरगर्मियां बढ़ गई और सबके दिमाक में बस एक ही सवाल कि अब दिल्ली का CM कौन होगा? फिर 48 घंटे बाद...दिल्ली की सत्ता की चाभी आप नेता आतिशी के हाथों में सौंप दी गई. आज आतिशी बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली CM की शपथ लेंगी और दिल्ली विधानसभा चुनाव होने तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहेंगी. इन सबके बीच चर्चा तेज हुई कि अब CM की कैबिनेट का क्या होगा? तो इसकी भी जानकरी सामने आ गई. इसके ऊपर अरविंद केजरीवाल क्या करने वाले हैं, यह भी सामने आ गया है. आज 21 सितंबर को आतिशी सीएम पद की शपथ लेंगी और अगले ही दिन केजरीवाल भी जनता की अदालत को संबोधित करेंगे. इसे उनकी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
अब सवाल ये है कि केजरीवाल से कितनी अलग होगी आतिशी की कैबिनेट? वैसे आतिशी के नए कैबिनेट की खास बात यह है कि यहां पर एक नया चेहरा जरूर रखा गया है, लेकिन केजरीवाल की कोर टीम के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन को फिर कैबिनेट में जगह मिली है. यह बताने के लिए काफी है कि टीम नई है, लेकिन चेहरे कई पुराने शामिल किए गए हैं.
अब ये जान लीजिए कि केजरीवाल की कैबिनट में किसके पास कौनसा मंत्रालय था और आतिशी की सरकार में वो कितना अलग होने वाला है.
2023 में दिल्ली सरकार के मंत्रियों के पोर्टफोलियों में बदलाव किया गया था इसी कड़ी में आतिशी को पब्लिक रिलेशन विभाग, महिला एवं विकास, लोक निर्माण विभाग, ऊर्जा, शिक्षा, कला संस्कृति एवं भाषा, पर्यटन, उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा एवं जनसंपर्क मंत्रालय व विभाग का कार्यभार सौपा गया था. कैलाश गहलोत को विधि न्याय एवं विधायी कार्य, परिवहन, प्रशासनिक सुधार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, राजस्व, वित्त, योजना, गृह विभाग आवंटित किया गया था. गोपाल राय को विकास, सामान्य प्रशासन विभाग एवं पर्यावरण, वन तथा वन्य जंतु विभाग दिया गया है. इमरान हुसैन को खाद्य एवं आपूर्ति. राजकुमार को गुरुद्वारा चुनाव, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, समाज कल्याण, सहकारिता, भूमि एवं भवन, श्रम और उद्योग विभाग विभाग.
आतिशी की कैबिनेट में बेशक चेहरे वहीं है लेकिन एक नया नाम शामिल होने से सबके जहन में सवाल है कि आखिर ये कौन है? और इस नए चेहरे को शामिल करने के पीछे AAP की क्या रणनीति है? वो आगामी चुनाव में साफ हो जायेगा. उस चेहरे का नाम है मुकेश अहलावत. उन्हें दलित कोटे से कैबिनेट में शामिल करने की बात आई है, उनके जरिए आतिशी सीधे-सीधे नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को साधना चाहती हैं. पहले तो इस रेस में कोंडली से विधायक कुलदीप कुमार का नाम भी चल रहा था, लेकिन समीकरण के लिहाज से अहलावत ने बाजी मार ली.
अब समझने वाली बात यह है कि दिल्ली का नॉर्थ ईस्ट इलाका दलित बाहुल्य माना जाता है. विधानसभा की 10 सीटें यहां से निकलती हैं, जहां पर 3 तो दलित समाज के लिए आरक्षित हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटों पर आप ने जीत दर्ज की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिहाज से उसे झटका लगा. वो 10 में से सिर्फ 1 सीट पर लीड करती दिखी, इसी वजह से अब दलितों को साधने के लिए अहलावत का कार्ड खेला जा रहा है.
इसके ऊपर आप के तमाम बड़े नेता भी कह रहे हैं कि आतिशी को सिर्फ एक भरत की भूमिका निभानी है, उन्हें तो एक अस्थाई सीएम के रूप में दिखाया जा रहा है. पार्टी का साफ संदेश है कि चेहरा अरविंद केजरीवाल ही रहने वाले हैं, सीएम कोई भी बन जाए, चुनाव में केजरीवाल के चेहरे पर ही वोट मांगे जाएंगे. ऐसे में बीजेपी तो आरोप लगा रही है कि दिल्ली में एक डमी सरकार चलने वाली है जहां पर कहने को सीएम आतिशी रहेंगी, लेकिन रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में होगा.
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