पुलिस द्वारा बरामद किए गए आधुनिक हथियार AK 47 और कार्बाइन गन के देशी वर्जन.
- बुलंदशहर से मात्र 50 हजार रुपये में खरीदी गई कार्बाइन
- शार्प शूटर शब्बीर के पास से देशी AK-47 बरामद की गई
- गाजियाबाद से चार लाख रुपये में खरीदी गई थी AK-47
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नई दिल्ली:
अवैध हथियारों के बाजार में AK-47 के बाद अब देशी कार्बाइन भी आ गई है. अपराध की दुनिया में इन आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. सिर्फ सुरक्षाबलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक हथियारों के देशी वर्जन बनाए जा रहे हैं. हाल ही में गिरफ्तार किए गए अपराधियों के पास से बरामद हथियारों को देखकर पुलिस भी अचंभे में पड़ गई है.
बीते बुधवार यानि 20 दिसंबर को जब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्पेशल स्टाफ में तैनात इंस्पेक्टर ऐशवीर सिंह की टीम ने गाजियाबाद के एक बड़े बिल्डर एसपी सिंह की हत्या के आरोप में यूनुस काले गैंग के शार्प शूटर 24 साल के ज़की को गिरफ्तार किया तो पुलिस हैरान रह गई. हैरानी की वजह उसकी गिरफ्तारी नहीं बल्कि उसके पास से बरामद हुआ हथियार था.
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यह हथियार था देशी कार्बाइन. जो देखने और क्षमता में असली कार्बाइन जैसी ही है. बस फर्क इतना है कि यह आकार में असली कार्बाइन से थोड़ी छोटी है. इसका बैरल प्रोटेक्टर गार्ड भी कम चौड़ा है. असली कार्बाइन में 32 कारतूस तक की मैगज़ीन लगती है जबकि इसमें 18 कारतूस की. हालांकि यह भी असली कार्बाइन की तरह ऑटोमैटिक है और बर्स्ट फायर भी कर सकती है. देशी जुगाड़ के जरिए इसमें 9mm की जगह .32 बोर के कारतूसों का इस्तेमाल किया जा रहा था.
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि ये कार्बाइन बुलंदशहर से मात्र 50 हजार रुपये में खरीदी गई है. इसका प्रयोग गैंगवार,और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा था. 
इसी तरह का दूसरा आधुनिक हथियार AK-47 इसी जिले में तैनात इंस्पेक्टर विनय यादव की टीम ने हाल ही में बरामद किया. पुलिस ने जब कुख्यात छैनू गैंग के शार्प शूटर शब्बीर उर्फ पोपा को गिरफ्तार किया तो उसके पास से देशी AK-47 बरामद हुई. यह भी असली AK-47 से आकार में थोड़ी छोटी है. असली AK-47 में सिंगल मैगज़ीन लगती है जबकि इसमें डबल. इसकी एक मैगज़ीन में 18 तो दूसरी में 12 बुलेट लगती हैं. यानि कुल 30 गोलियां एक साथ लोड कर सकते हैं. बस देशी तकनीक के जानकार इसमें बर्स्ट फायर करने का तरीका नहीं खोज पाए. इसमें भी .32 की गोलियां लगती हैं जबकि असली AK-47 में 9mm की गोलियां प्रयोग की जाती हैं.
पुलिस ने जब शब्बीर से पूछताछ की तो पता चला कि उसने ये हथियार गाजियाबाद के लोनी इलाके से किसी से चार लाख रुपये में खरीदा है. उसके पास से 411 कारतूस और कुछ अन्य हथियार भी बरामद हुए.
ये दोनों हथियार आमतौर पर किसी अपराधी से बरामद भी हुए तो असली हुए. यानि वो कहीं लूटकर या चोरी करके लाते थे, क्योंकि ये आम लोगों के पूरी तरह प्रतिबंधित हैं.
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कुछ समय पहले दिल्ली में सोनू दरियापुर और रामवीर शौकीन नाम के दो अपराधियों के पास से भी 2, AK-47 बरामद हुई थीं लेकिन ये दोनों सरकारी थीं. इसके अलावा गाजियाबाद में भी एक सरकारी AK-47 अपराधियों के पास से बरामद हुई थी. जबकि इनका प्रयोग केवल सेना, पुलिस या अर्धसैनिक बलों के जवान ही कर सकते हैं. शायद यही वजह है कि अपराधी ऐसे हथियारों को लूटने या चोरी करने की बजाय इसका देशी वर्जन खरीद रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि इन्हें बना कौन रहा है?
पुलिस के मुताबिक बड़े अपराधियों और शार्पशूटरों में तेजी से ऐसे हथियारों का चलन बड़ा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कम समय में ज्यादा फायर,सटीक निशाना, पलक झपकते ही टारगेट खत्म और ऐसे हथियारों को दिखाकर लोगों में दहशत पैदा करना. कभी पुलिस या विरोधी गैंग मिल जाए तो उसके आधुनिक हथियारों के सामने आधुनिक हथियारों से ही मुकाबला करना. पुलिस मानती है कि पारंपरिक देशी कट्टे और अवैध पिस्टल का प्रयोग करना काफी रिस्की रहता है क्योंकि कई बार इनका निशाना सटीक नहीं बैठता तो कई बार फायर करते वक्त हथियार फट जाते हैं और गोली अपराधियों को ही लग जाती हैं. देशी कट्टों से एक बार में एक ही फायर होता है जिससे कई बार टारगेट खत्म नहीं होता. यही कारण है कि अपराधी यह देशी मॉडर्न हथियार इस्तेमाल करने लगे हैं जो काफी सस्ते हैं और आसानी ने उपलब्ध भी हो रहे हैं.
दिल्ली में गैंगवार में मोनू दरियापुर,वाजिद और आरिफ की अलग-अलग हत्याओं में अपराधियों ने महज़ कुछ सेकेंड में 50 राउंड से ज्यादा फायरिंग की और इनके जिस्म में इतनी गोलियां दाग दीं कि इनके शरीर के चिथड़े उड़ गए.
VIDEO : दिल्ली में बढ़ रहे अपराध
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि साल 2016 में पूरे देश में 37116 हथियार बरामद किए गए जबकि 106900 कारतूस बरामद हुए. हालांकि इसमें वे सभी हथियार भी हैं जो आतंकियों से बरामद हुए. अकेले दिल्ली में साल 2017 में अब तक आर्म्स एक्ट के 1300 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं जबकि 1500 से ज्यादा हथियार बरामद हो चुके हैं. एक फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में ही 80 प्रतिशत से ज्यादा हत्याएं अवैध हथियारों से हो रही हैं.
बीते बुधवार यानि 20 दिसंबर को जब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्पेशल स्टाफ में तैनात इंस्पेक्टर ऐशवीर सिंह की टीम ने गाजियाबाद के एक बड़े बिल्डर एसपी सिंह की हत्या के आरोप में यूनुस काले गैंग के शार्प शूटर 24 साल के ज़की को गिरफ्तार किया तो पुलिस हैरान रह गई. हैरानी की वजह उसकी गिरफ्तारी नहीं बल्कि उसके पास से बरामद हुआ हथियार था.
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यह हथियार था देशी कार्बाइन. जो देखने और क्षमता में असली कार्बाइन जैसी ही है. बस फर्क इतना है कि यह आकार में असली कार्बाइन से थोड़ी छोटी है. इसका बैरल प्रोटेक्टर गार्ड भी कम चौड़ा है. असली कार्बाइन में 32 कारतूस तक की मैगज़ीन लगती है जबकि इसमें 18 कारतूस की. हालांकि यह भी असली कार्बाइन की तरह ऑटोमैटिक है और बर्स्ट फायर भी कर सकती है. देशी जुगाड़ के जरिए इसमें 9mm की जगह .32 बोर के कारतूसों का इस्तेमाल किया जा रहा था.
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि ये कार्बाइन बुलंदशहर से मात्र 50 हजार रुपये में खरीदी गई है. इसका प्रयोग गैंगवार,और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए धड़ल्ले से किया जा रहा था.

इसी तरह का दूसरा आधुनिक हथियार AK-47 इसी जिले में तैनात इंस्पेक्टर विनय यादव की टीम ने हाल ही में बरामद किया. पुलिस ने जब कुख्यात छैनू गैंग के शार्प शूटर शब्बीर उर्फ पोपा को गिरफ्तार किया तो उसके पास से देशी AK-47 बरामद हुई. यह भी असली AK-47 से आकार में थोड़ी छोटी है. असली AK-47 में सिंगल मैगज़ीन लगती है जबकि इसमें डबल. इसकी एक मैगज़ीन में 18 तो दूसरी में 12 बुलेट लगती हैं. यानि कुल 30 गोलियां एक साथ लोड कर सकते हैं. बस देशी तकनीक के जानकार इसमें बर्स्ट फायर करने का तरीका नहीं खोज पाए. इसमें भी .32 की गोलियां लगती हैं जबकि असली AK-47 में 9mm की गोलियां प्रयोग की जाती हैं.
पुलिस ने जब शब्बीर से पूछताछ की तो पता चला कि उसने ये हथियार गाजियाबाद के लोनी इलाके से किसी से चार लाख रुपये में खरीदा है. उसके पास से 411 कारतूस और कुछ अन्य हथियार भी बरामद हुए.
ये दोनों हथियार आमतौर पर किसी अपराधी से बरामद भी हुए तो असली हुए. यानि वो कहीं लूटकर या चोरी करके लाते थे, क्योंकि ये आम लोगों के पूरी तरह प्रतिबंधित हैं.
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कुछ समय पहले दिल्ली में सोनू दरियापुर और रामवीर शौकीन नाम के दो अपराधियों के पास से भी 2, AK-47 बरामद हुई थीं लेकिन ये दोनों सरकारी थीं. इसके अलावा गाजियाबाद में भी एक सरकारी AK-47 अपराधियों के पास से बरामद हुई थी. जबकि इनका प्रयोग केवल सेना, पुलिस या अर्धसैनिक बलों के जवान ही कर सकते हैं. शायद यही वजह है कि अपराधी ऐसे हथियारों को लूटने या चोरी करने की बजाय इसका देशी वर्जन खरीद रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि इन्हें बना कौन रहा है?
पुलिस के मुताबिक बड़े अपराधियों और शार्पशूटरों में तेजी से ऐसे हथियारों का चलन बड़ा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कम समय में ज्यादा फायर,सटीक निशाना, पलक झपकते ही टारगेट खत्म और ऐसे हथियारों को दिखाकर लोगों में दहशत पैदा करना. कभी पुलिस या विरोधी गैंग मिल जाए तो उसके आधुनिक हथियारों के सामने आधुनिक हथियारों से ही मुकाबला करना. पुलिस मानती है कि पारंपरिक देशी कट्टे और अवैध पिस्टल का प्रयोग करना काफी रिस्की रहता है क्योंकि कई बार इनका निशाना सटीक नहीं बैठता तो कई बार फायर करते वक्त हथियार फट जाते हैं और गोली अपराधियों को ही लग जाती हैं. देशी कट्टों से एक बार में एक ही फायर होता है जिससे कई बार टारगेट खत्म नहीं होता. यही कारण है कि अपराधी यह देशी मॉडर्न हथियार इस्तेमाल करने लगे हैं जो काफी सस्ते हैं और आसानी ने उपलब्ध भी हो रहे हैं.
दिल्ली में गैंगवार में मोनू दरियापुर,वाजिद और आरिफ की अलग-अलग हत्याओं में अपराधियों ने महज़ कुछ सेकेंड में 50 राउंड से ज्यादा फायरिंग की और इनके जिस्म में इतनी गोलियां दाग दीं कि इनके शरीर के चिथड़े उड़ गए.
VIDEO : दिल्ली में बढ़ रहे अपराध
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि साल 2016 में पूरे देश में 37116 हथियार बरामद किए गए जबकि 106900 कारतूस बरामद हुए. हालांकि इसमें वे सभी हथियार भी हैं जो आतंकियों से बरामद हुए. अकेले दिल्ली में साल 2017 में अब तक आर्म्स एक्ट के 1300 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं जबकि 1500 से ज्यादा हथियार बरामद हो चुके हैं. एक फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में ही 80 प्रतिशत से ज्यादा हत्याएं अवैध हथियारों से हो रही हैं.
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