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This Article is From Dec 16, 2016

कैशलेस और मजबूर : सैलरी नहीं मिलने से परेशान हैं मज़दूर...

कैशलेस और मजबूर : सैलरी नहीं मिलने से परेशान हैं मज़दूर...
नई दिल्‍ली: दिसंबर माह आधे से ज़्यादा बीत चुका है, लेकिन बहुत से ऐसे मज़दूर और कर्मचारी हैं, जिन्हें अब तक सैलरी नहीं मिली है.. कारण है नोटबंदी. नोटबंदी से पहले इन्हें कैश में ही सैलरी मिलती थी पर अब बैंक में अकाउंट न हो पाने की वजह से ये चेक से भी पैसे नहीं ले पा रहे.

रानू एक ट्रेवल कंपनी में पिछले 15 साल से सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं पर आजकल उधारी लेकर अपना काम चला रहे हैं. अपने घर सुल्तानपुर भी पैसे नहीं भेज पाए हैं.

उनका कहना है कि 'क्या करें अब तक कैश में ही सैलरी ले रहे थे. घर में पत्नी का खाता है. उसी में पैसा डाल देते थे पर नोटबंदी के बाद मालिक के पास देने को नए नोट नहीं हैं,  इसलिए चेक दे रहे हैं.

लेकिन रानू चेक नहीं ले पा रहे, क्योंकि उनका खुद का अब तक खाता ही नहीं खुला है. रानू जब खाता खुलवाने बैंक गए तो बैंक ने 15 दिन बाद की इंतजारी का एक टोकन थमा दिया. मतलब अब खाता खुलवाने के लिए रानू को 15 दिन और इंतज़ार करना पड़ेगा.

ऐसे कई कंपनी मालिक हैं. उन्हें ऐसे कर्मचारियों को सैलरी देने में समस्या हो रही है, जिनके अकाउंट नहीं हैं. वो चेक दे नहीं सकते और इन्हें देने के लिए उनके पास उपयुक्त नए नोट नहीं हैं. सरकार ने करंट खाते की लिमिट 50,000 रुपये रखी है, लेकिन बैंक कैश कम होने की वजह से इतने भी नहीं दे रहे हैं. रानू जैसे न जाने कितने और लोग अपने खाते खुलवाने के लिए वेटिंग में हैं.

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