आम्रपाली ग्रुप के सीईओ ऋतिक सिन्हा और डायरेक्टर निशांत मुकुल को लेबर सेस भरने पर रिहा कर दिया गया.
- सीईओ ऋतिक सिन्हा और डायरेक्टर निशांत मुकुल को जेल भेज दिया गया था
- आम्रपाली ग्रुप के दफ्तरों में सन्नाटा, प्रापर्टी के खरीदार लगा रहे चक्कर
- सात और बिल्डरों को लेबर सेस भरने के लिए नोटिस जारी किए गए
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नई दिल्ली:
सवा चार करोड़ रुपये का लेबर सेस जमा करने के बाद मंगलवार को आम्रपाली ग्रुप के सीईओ और डायरेक्टर को रिहा कर दिया गया. लेबर सेस न भरने पर आम्रपाली ग्रुप के सीईओ ऋतिक सिन्हा और डायरेक्टर निशांत मुकुल को जेल भेज दिया गया था.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद बिल्डरों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इसी सिलसिले में आम्रपाली बिल्डर पर कार्रवाई की गई.
शानो-शौकत से रहने वाले, महंगी कारों में चलने वाले और एसी दफ्तरों में बैठने वाले आम्रपाली ग्रुप के कर्ताधर्ताओं को दादरी तहसील की हवालात में बंद कर दिया गया था. आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी और मालिक अनिल शर्मा के दामाद व कंपनी के सीईओ ऋतिक सिन्हा और डायरेक्टर निशांत मुकुल को वहां बैठने और सोने के लिए दरी थी और गर्मी से बचाव के लिए पंखे की हवा.
एसडीएम दादरी के मुताबिक दोनों को सोमवार को उनके दफ्तर से इसलिए पकड़ा गया था क्योंकि आम्रपाली ग्रुप ने कई सालों से बकाया चार करोड़ 29 लाख लेबर सेस नहीं चुकाया था.
उधर नोएडा के सेक्टर 62 में आम्रपाली ग्रुप के दफ्तरों में सन्नाटा रहा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आम्रपाली के करीब 40 प्रोजेक्ट हैं जहां काम लगभग ठप पड़ा है. अब इस कार्रवाई से खरीदार भी परेशान दिखे. पेट्रिक इक्का भी उन्हीं में से एक हैं जो दो फ्लैटों के लिए यहां 62 लाख रुपये लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें फ्लैट अब तक नहीं मिले हैं.
VIDEO : यूपी सरकार की सख्ती
एक साल पहले तक आम्रपाली ग्रुप में काम करने वाले नरेंद्र के मुताबिक उनकी 90 हजार सैलरी अब तक बकाया है, जिसके लिए वे हर रोज आते हैं.
नोएडा प्रशासन की मानें तो मनमानी करने वाले बिल्डरों पर यह कार्रवाई जारी रहेगी. अभी ऐसे सात और बिल्डर हैं जिन्हें लेबर सेस भरने के लिए नोटिस जारी हो चुके हैं. हालांकि सबसे ज्यादा बकाया आम्रपाली ग्रुप पर ही था. अगर आम्रपाली ग्रुप पैसा नहीं भरता तो सिन्हा और मुकुल को हवालात में ही रहना पड़ता और इतनी ही रकम की संपत्ति भी जब्त होती.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद बिल्डरों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इसी सिलसिले में आम्रपाली बिल्डर पर कार्रवाई की गई.
शानो-शौकत से रहने वाले, महंगी कारों में चलने वाले और एसी दफ्तरों में बैठने वाले आम्रपाली ग्रुप के कर्ताधर्ताओं को दादरी तहसील की हवालात में बंद कर दिया गया था. आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी और मालिक अनिल शर्मा के दामाद व कंपनी के सीईओ ऋतिक सिन्हा और डायरेक्टर निशांत मुकुल को वहां बैठने और सोने के लिए दरी थी और गर्मी से बचाव के लिए पंखे की हवा.
एसडीएम दादरी के मुताबिक दोनों को सोमवार को उनके दफ्तर से इसलिए पकड़ा गया था क्योंकि आम्रपाली ग्रुप ने कई सालों से बकाया चार करोड़ 29 लाख लेबर सेस नहीं चुकाया था.
उधर नोएडा के सेक्टर 62 में आम्रपाली ग्रुप के दफ्तरों में सन्नाटा रहा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आम्रपाली के करीब 40 प्रोजेक्ट हैं जहां काम लगभग ठप पड़ा है. अब इस कार्रवाई से खरीदार भी परेशान दिखे. पेट्रिक इक्का भी उन्हीं में से एक हैं जो दो फ्लैटों के लिए यहां 62 लाख रुपये लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें फ्लैट अब तक नहीं मिले हैं.
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एक साल पहले तक आम्रपाली ग्रुप में काम करने वाले नरेंद्र के मुताबिक उनकी 90 हजार सैलरी अब तक बकाया है, जिसके लिए वे हर रोज आते हैं.
नोएडा प्रशासन की मानें तो मनमानी करने वाले बिल्डरों पर यह कार्रवाई जारी रहेगी. अभी ऐसे सात और बिल्डर हैं जिन्हें लेबर सेस भरने के लिए नोटिस जारी हो चुके हैं. हालांकि सबसे ज्यादा बकाया आम्रपाली ग्रुप पर ही था. अगर आम्रपाली ग्रुप पैसा नहीं भरता तो सिन्हा और मुकुल को हवालात में ही रहना पड़ता और इतनी ही रकम की संपत्ति भी जब्त होती.
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