अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर सैन्य हमला करके रूस दुनिया भर के निशाने पर है. अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन सहित कई देशों ने रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान किया है. अमेरिका ने रूस के खिलाफ कई आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है और उसका दावा है कि इनके चलते रूस 'विश्व से बिल्कुल कटा रह जाएगा.' अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी सहयोगी, भारतीय-अमेरिकी दलीप सिंह ने गुरुवार को एक बयान कहा, “आज हम अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर रूस पर अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंध और निर्यात पाबंदियां लगाने की घोषणा करते हैं, जो मॉस्को को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से अलग-थलग कर देंगे, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तक उसकी पहुंच बाधित कर देंगे और रूसी अर्थव्यवस्था को विस्तार देने व आधुनिक बनाने की पुतिन की रणनीतिक महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाएंगे.”
बाइडेन ने इसके पहले कुछ प्रतिबंधों की घोषणा की थी. इनमें डॉलर और दूसरी बड़ी मुद्राओं में बिजनेस करने की इसकी क्षमता को सीमित करना और पांच बड़े रूसी बैंकों पर जुर्माना लगाना शामिल है. इसके अलावा रूस के एलीट ग्रुप्स या अभिजात शख्सियतों और उनके परिवार के सदस्यों को भी टारगेट किया जा रहा है.
लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये प्रतिबंध रूस पर लगाम लगाने में कामयाब रहेंगे? क्या इससे स्थिति काबू में आएगी? ये सवाल इसलिए भी वाजिब हैं क्योंकि ऐसा अनुमान है कि क्रिप्टोकरेंसी रूस के लिए चीजें आसान कर देगी.
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दरअसल, रूस उन देशों में शामिल है, जिसका पहला स्टैंड क्रिप्टो इकोसिस्टम के खिलाफ नहीं है, बल्कि रूस क्रिप्टोकरेंसी को वैधता देने की दिशा में है. यहां भी बड़ी संख्या में क्रिप्टो निवेशक हैं.
Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन्वेस्टमेंट मैनेजर VanEck के डिजिटल असेट रिसर्च के प्रमुख मैथ्यू सीगल ने कहा कि 'न ही कोई तानाशाह, न ही कोई मानवाधिकार कार्यकर्ता बिटकॉइन नेटवर्क पर कोई सेंसर थोप सकता है.'
जिन कंपनियों, संस्थाओं और व्यक्तियों पर यूएस और पश्चिमी देशों की ओर से प्रतिबंध लगाए गए हैं, वो पश्चिम से पूरी तरह अलग-थलग हो सकते हैं. लेकिन ऐसे अरबपति या अमीर वर्ग भी हो सकता है, जो क्रिप्टो के रास्ते इन प्रतिबंधों से खुद को बचा ले जाए. अगर ये क्रिप्टो का इस्तेमाल करते हैं, तो वो गुमनाम रहकर अपनी आर्थिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करती हैं, जो हर ट्रांजैक्शन की डिटेल्स गुप्त रखता है.
रूस का ये वर्ग क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से खरीद-फरोख्त करना जारी रख सकता है. वहीं, रूस के बाहर वो अपना निवेश भी जारी रख सकते हैं, क्योंकि उन्हें इसके लिए बैंकों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है.
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रिपोर्ट में फाइनेंशियल एडवाइज़री फर्म Quantum Economics के फाउंडर और सीईओ मैटी ग्रीनस्पैन ने कहा कि 'अगर दो लोग या दो संगठन आपस में बिजनेस करना चाहते हैं और इसके लिए बैंक पर निर्भर नहीं रह सकते, तो वो ये बिटकॉइन के जरिए कर सकते हैं. अगर कोई इस बात से फिक्र में है कि प्रतिबंधों के चलते उसके अकाउंट फ्रीज़ किए जा सकते हैं तो वो आसानी से अपनी संपत्ति बिटकॉइन में निवेश करके सुरक्षित रह सकता है.'
हालांकि, ये साफ नहीं है कि यूएस जिन रूसी अरबपतियों को टारगेट कर रहा है, वो क्रिप्टो में निवेश रखते हैं या नहीं. लेकिन अगर वो रूसी क्रिप्टो इकोसिस्टम में शेयर रखते हैं तो उनके लिए ये प्रतिबंध बहुत भारी साबित होंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता.
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