बिटकॉइन और बिटकॉइन कैश (Bitcoin and Bitcoin Cash) दो अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं, ये एक दूसरे से अलग-अलग स्वतंत्र रूप से काम करती हैं और इनमें कुछ तकनीकी फर्क भी हैं. हालांकि हो सकता है कि आप इन दोनों को इनके नाम या फिर टोकन सिंबल BTC (बिटकॉइन) और BCH (बिटकॉइन कैश) के नाम से न पहचानते हों. बिटकॉइन दुनिया की सबसे पॉपुलर और मार्केट कैप (Bitcoin's market cap) के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी. वहीं, बिटकॉइन कैश 2017 में बिटकॉइन से अलग हुआ था, और यहां से एक अलग क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर आगे बढ़ा. लेकिन यह सब हुआ कैसे और क्यों? आइए समझते हैं.
किस उद्देश्य से हुई थी बिटकॉइन की शुरुआत?कहा जाता है कि बिटकॉइन की शुरुआत सातोषी नाकामोतो के छद्म नाम से किसी शख्स या कई लोगों ने मिलकर की थी. इसकी शुरुआत असल में किसने की थी, उसकी असली पहचान अभी तक सामने नहीं आई है. जब बिटकॉइन का व्हाइट पेपर तैयार किया गया तो इसमें लक्ष्य था कि इलेक्ट्रॉनिक कैश का एक ऐसा peer-to-peer वर्जन बनाया जाए, जिसके तहत एक पक्ष दूसरे पक्ष के साथ बिना किसी सरकारी रेगुलेशन के ट्रांजैक्शन कर सके. इस बात के 12 साल हो गए हैं और वो लक्ष्य एक विशाल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के रूप में खड़ा हो चुका है. इसकी शुरुआत उस डिजिटल टोकन बिटकॉइन से हुई.
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किसी भी क्रिप्टकरेंसी को लेकर अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव की चिंता तो रहती ही है, एक और पेचीदगी होती इनके ट्रांजैक्शन में लगने वाला टाइम. दरअसल, बिटकॉइन में ट्रांजैक्शन पहले प्रोसेस होता है, फिर वेरिफाई होता है, फिर ब्लॉकचेन नाम से जाने जाने वाले डिजिटल लेजर यानी बहीखाते में दर्ज होता है, इस सबमें वक्त लग जाता है. जैसे उदाहरण के लिए समझिए- क्रेडिट कार्ड बिजनेस की ग्लोबल कंपनी Visa, एक सेकेंड में लगभग 1,700 ट्रांजैक्शन प्रोसेस करती है, लेकिन इस एक सेकेंड में बिटकॉइन के सात ही ट्रांजैक्शन पूरे हो पाते हैं. और अब जब ज्यादा से ज्यादा लोग बिटकॉइन में निवेश से जुड़ रहे हैं, तो इसके ट्रांजैक्शन की रफ्तार और धीमी हो रही है.
बिटकॉइन कैश की शुरुआत क्यों हुई?बिटकॉइन की दुनिया में शुरुआत के सालों में तो शांति रही, लेकिन फिर कुछ ही वक्त में ये बड़ा और पॉपुलर होने लगा. लेकिन ये जितना बड़ा होता गया, करेंसी बनने के अपने शुरुआती लक्ष्य से अलग यह निवेश का माध्यम ज्यादा बन गया, इसलिए इस ओरिजिनल आइडिया का हवाला देकर 2017 में बिटकॉइन कैश की शुरुआत हुई. बिटकॉइन कैश, कई मामलों में बिटकॉइन जैसा है, लेकिन इसमें कई चीजें हैं, जो इसे 2009 में लिखे गए व्हाइट पेपर वाले वर्जन से ज्यादा मिलता-जुलता बनाती हैं.
सबसे बड़ा फर्क दोनों में ये है कि भले ही नाम दोनों का बहुत कुछ एक जैसा हो, ये दोनों बिल्कुल अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं.
यह देखने के लिए बहुत से लोग सबसे पहले दोनों को निवेश के माध्यम के तौर पर देखकर इनकी वैल्यू की तुलना करेंगे. 18 अगस्त, 2021 की दोपहर में 2-3 बजे के आसपास बिटकॉइन की कीमत 35 लाख से ऊपर दर्ज की जा रही थी, वहीं बिटकॉइन कैश की 50,000. जाहिर सी बात है कि एक निवेशक के तौर पर कॉइन की कीमत उतनी अहम नही हैं, जितना कि ये देखना कि बाजार में उसकी कितनी वैल्यू है.
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इनमें एक और बड़ा फर्क ये है कि बिटकॉइन की तुलना में बिटकॉइन कैश का ट्रांजैक्शन कॉस्ट कम होता है और डेटा ज्यादा जल्दी ट्रांसफर होता है, इसका मतलब है कि इसका इस्तेमाल एक वक्त पर ज्यादा लोग कर सकते हैं. लेकिन हां यहां बता दें कि बिटकॉइन कैश में निवेशकों का भरोसा अभी उतना नहीं है, जितना कि बिटकॉइन में.
बिटकॉइन कैश का अधिकतम ब्लॉक साइज 32MB है और बिटकॉइन का 1MB. इससे ये बिटकॉइन की तुलना में ज्यादा लचीला है और एक सेकेंड में बिटकॉइन की अपेक्षा ज्यादा ट्रांजैक्शन कर सकता है. इससे पर्यावरण पर बिटकॉइन की तुलना में कम असर पड़ता है. इससे एक करेंसी के तौर पर इसकी व्यावहार्यता यानी viability भी बढ़ती है. उसकी वेबसाइट पर बिटकॉइन कैश का दावा है कि वो एक सेकेंड में 200 ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, जिससे कि ट्रांजैक्शन की लागत भी कम होती है.
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