आज के वक्त में Cryptocurrency युवाओं के लिए निवेश का पॉपुलर माध्यम बन गया है, हालांकि, इसके इस्तेमाल का चलन फ्लैट करेंसी के मुकाबले कहीं नहीं है. गिनी-चुनी ही कंपनियां हैं, जो क्रिप्टो में पेमेंट (Crypto Payment) ले रही हैं, वर्ना इस्तेमाल करने के लिए क्रिप्टो कॉइन्स को कैश में कन्वर्ट (converting crypto coins into cash) कराना पड़ता है. ये अच्छी बात है कि इसको कन्वर्ट कराना आसान है. हालांकि, क्रिप्टो को कैश में कन्वर्ट कराते वक्त निवेशकों को कई चीजें ध्यान में रखनी पड़ेंगी. वर्चुअल करेंसी की कीमतें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होती हैं, ऐसे में अगर आपने ध्यान नहीं दिया तो आपको नुकसान हो सकता है. वहीं, अगर आप किसी तरह का जोखिम ज्यादा लिए बिना क्रिप्टो में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास क्रिप्टो कॉइन या टोकन को कैश में कन्वर्ट कराने का विकल्प है.
क्रिप्टोकरेंसी के प्रॉफिट पर टैक्स लगेगा
जो भी हो, लेकिन यह जान लीजिए कि अगर आप क्रिप्टोकरेंसी को कैश में कन्वर्ट करा रहे हैं तो आपको अपने प्रॉफिट पर टैक्स भरना होगा. हां, बिल्कुल. यह सही है कि भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर नहीं है, इसका कोई रेगुलेशन नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप इस निवेश से प्रॉफिट कमा रहे हैं, तो आपको इसपर टैक्स नहीं देना होगा.
मान लीजिए आपको बिटकॉइन को कैश में कन्वर्ट कराना है, ये काम क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर होगा. कन्वर्ट कराते वक्त आपका जो भी प्रॉफिट है, उसपर टैक्स लगेगा. वहीं, आपको थर्ड पार्टी ब्रोकर को एक्सचेंज फीस भी देनी होगी. हो सकता है कि इस प्रोसेस में पैसे अकाउंट में ट्रांसफर होने में एक-दो दिन लग जाए.
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अब बात करते हैं कि कैश कन्वर्ट कैसे और कहां से होगा, इसके दो तरीके हैं-
एक्सचेंज या ब्रोकर से
यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कि एयरपोर्ट्स पर करेंसी एक्सचेंज सिस्टम होता है. आप यहां अपनी डिजिटल करेंसी डिपॉजिट करते हैं और एक्सचेंज या ब्रोकर पैसे आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देता है. हालांकि, चूंकि ब्रोकर्स पर मनी लॉन्ड्रिंग के कुछ नियम लागू होते हैं, जिसके चलते आपको उसी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कराने होंगे, जिससे आपने डिपॉजिट किया था.
इस तरीके में दिक्कत यह है कि इसमें ज्यादा वक्त लगता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सुरक्षित तरीका है, हालांकि, इसमें आपके बैंक अकाउंट में पैसे रिफ्लेक्ट होने में वक्त लगता है. एक्सचेंज ट्रांजैक्शन के लिए एक फीस भी लेता है और फीस हर देश में अलग-अलग एक्सचेंज पर अलग-अलग हो सकती है.
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Peer-To-Peer नेटवर्क से
यह तरीका ज्यादा तेज और एनॉनिमस यानी गुप्त है. हालांकि, इसके कुछ रिस्क भी हैं, जो हम आपको बता रहे हैं. डायरेक्ट लिंक यानी peer-to-peer नेटवर्क यानी कि सीधे किसी दूसरे निवेशक से संपर्क करके भी आप अपनी वर्चुअल करेंसी को सीधे बेचकर कैश ले सकते हैं. इसमें एक फायदा यह भी है कि इसमें किसी एक्सचेंज के मुकाबले कम एक्सचेंज फीस लगती है. लेकिन हम आपको बता दें कि इस तरीके में आपको धोखाधड़ी से सावधान रहना होगा. peer-to-peer नेटवर्क में ट्रांजैक्शन यह रिस्क होता है कि आप एक्सचेंज के भरोसे ट्रांजैक्शन नहीं कर रहे हैं, ऐसे में पूरी जिम्मेदारी आप पर होती है.
सुझाव है कि अगर आप यह ट्रांजैक्शन कर रहे हैं तो सामने वाले से उसका आईडी प्रूफ देख लें और अपने क्रिप्टोकॉइन्स ट्रांसफर करने से पहले पेमेंट करा लें. आप किसी ऐसे भी peer-to-peer प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो जब तक आपके बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर न हो जाएं, तब तक आपके कॉइन्स लॉक करके रखेगा.
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