यह जोड़ा शादी के बाद पहली बार ईद मनाने अपने गांव आया था.
मुजफ्फरनगर:
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में अपने बेटे के पहले बर्थडे के दिन एक शख्स की कथित तौर पर उसके ससुराल वालों ने गोली मारकर हत्या कर दी. 23 साल के नजीम अहमद को बिल्कुल पास से तीन गोलियां मारी गईं. उस वक्त वह अपने बेटे के बर्थडे के लिए केक लेने जा रहे थे. उनकी पत्नी 21-वर्षीय आयशा का कहना है कि उन्हें इंसाफ चाहिए, भले ही कथित हत्यारे उनके पिता और भाई ही हैं.
शादी से पहले आयशा, पिंकी थी. नजीम अहमद स्कूल के दिनों से उनके दोस्त थे. पिंकी के माता-पिता नजीम से शादी करने के उसके फैसले के खिलाफ थे. भोखरहेड़ी गांव में कुल 13,000 लोगों की आबादी में करीब 3,000 मुस्लिम हैं और 2013 के दंगों के दौरान यहां व्यापक रूप से शांति बनी रही थी.
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आयशा कहती हैं, मेरे माता-पिता ने मेरी पिटाई की थी. वे चाहते थे कि मैं किसी और से शादी कर लूं. लेकिन मैं अपने बचपन के प्यार से ही शादी करने पर अड़ी रही, जिसे मैं स्कूल के दिनों से जानती थी.'
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इस जोड़े ने घर से भागकर साल 2015 में शादी की थी. इसके बाद वे विशाखापट्टनम जाकर रहने लगे. पिछले महीने शादी के बाद दोनों पहली बार ईद मनाने अपने गांव आए थे. नजीम अहमद ने आंध्र प्रदेश जाने के अपने तय कार्यक्रम में इसलिए देरी की, क्योंकि पति-पत्नी ने तय किया कि वे अपने बेटे का जन्मदिन सोमवार को गांव में ही मनाएंगे.
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शाम में नजीम अपने चाचा के साथ बाहर गए हुए थे. उनके चाचा ने बताया, हमने एटीएम से पैसे निकाले और उसके बाद केक खरीदा. जब हम मेन रोड पर पहुंचे, उसी वक्त चार लोगों ने हम पर हमला कर दिया. वे उसके ससुराल वाले थे. गोली चलाते वक्त उन लोगों ने कहा, 'हम तुम्हें मारने का इंतजार कर रहे थे.' पुलिस ने आयशा के पिता राजेश और भाई प्रदीप के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. दोनों अभी फरार हैं.
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गांव के लोगों का जोर अब इस बात पर है कि इस हत्या से इलाके में स्थिति न बिगड़े. गांव के प्रधान कैप्टन ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा, कुछ ऐसे तत्व थे, जो कल बाहर से आए थे और उन्होंने तनाव बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हम आश्वस्त हैं कि यह कोई सांप्रदायिक घटना नहीं है, बल्कि निजी दुश्मनी की वजह से की गई हत्या है.
शादी से पहले आयशा, पिंकी थी. नजीम अहमद स्कूल के दिनों से उनके दोस्त थे. पिंकी के माता-पिता नजीम से शादी करने के उसके फैसले के खिलाफ थे. भोखरहेड़ी गांव में कुल 13,000 लोगों की आबादी में करीब 3,000 मुस्लिम हैं और 2013 के दंगों के दौरान यहां व्यापक रूप से शांति बनी रही थी.
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