उत्तरी दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो बेरोजगार युवाओं से 'वर्क फ्रॉम होम' के नाम पर ठगी कर रहा था. इस मामले में यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली में छापेमारी कर मास्टरमाइंड समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
उत्तरी जिले के डीसीपी सागर सिंह कलसी के मुताबिक बुराड़ी की रहने वाली एक महिला ने एमएचए साइबर क्राइम पोर्टल पर एक शिकायत दी जो साइबर पुलिस स्टेशन उत्तर जिले को प्राप्त हुई. उसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसने ऑनलाइन आवेदन फ्रीलांसर डेटा के माध्यम से पैसा कमाने के लिए Youtube पर एक वीडियो देखा जो यूनाइटेड किंगडम से जुड़ा हुआ बताया गया. उसने फ्रीलांसर ऐप डाउनलोड किया और बोली के लिए एक काम देखा. बोली लगाने के बाद काम मिलने पर उसने उसे दिए गए असाइनमेंट पर काम करना शुरू कर दिया.
उससे मोबाइल पर और ई-मेल के माध्यम से अज्ञात व्यक्ति द्वारा संपर्क किया गया, जिसने उसके बैंक खाते में पैसे भेजने की सुविधा के लिए पंजीकरण शुल्क, प्रसंस्करण शुल्क, अंतरराष्ट्रीय बैंक लेनदेन शुल्क, विदेशी मुद्रा रूपांतरण शुल्क आदि का भुगतान करने के लिए कहा. उसने कई UPI आईडी और बैंक खातों में लगभग 12,000 रुपये ट्रांसफर किए. बाद में उसने महसूस किया कि वर्क फ्रॉम होम के बहाने उसे वास्तव में धोखा दिया गया था.
पुलिस ने केस दर्ज कर वॉलेट से जुड़े मोबाइल फोन नंबरों का मनी ट्रेल और कॉल डिटेल की जांच की. जांच में पता चला कि आरोपी किच्छा, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड से काम कर रहे थे.
किच्छा ऊधम सिंह नगर से 19 मई को 20 साल के आरोपी तुषार कुमार उर्फ ऋतिक को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद गिरफ्तार आरोपी की पहचान पर एक और आरोपी मोहम्मद अकरम को गिरफ्तार कर लिया गया. उसने दूसरे आरोपी को सिमकार्ड सप्लाई किए थे.
पूछताछ के दौरान आरोपी तुषार ने खुलासा किया कि वह एक प्लेसमेंट कंपनी में काम करता था और नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने लगा. उसने Freelancer.com पर नकली प्रोफ़ाइल बनाई और बोली लगाने के लिए काम अपलोड किया. सबसे कम बोली लगाने वाले को काम आवंटित किया गया था, जिससे पंजीकरण शुल्क, प्रसंस्करण शुल्क, अंतरराष्ट्रीय बैंक लेनदेन शुल्क, विदेशी मुद्रा रूपांतरण शुल्क आदि के भुगतान के नाम पर आरोपी द्वारा संपर्क किया गया था.
सिम कार्ड मोहम्मद अकरम अली द्वारा दिए गए थे, जो उत्तर प्रदेश के बरेली में सिम कार्ड डीलर के रूप में काम करता है. आरोपी मो अकरम अली ने खुलासा किया कि उसने सिम कार्ड जारी करते समय एक व्यक्ति के नाम पर 2 सिम कार्ड जारी किए और उन्हें अलग-अलग लोगों को बेच दिया. आरोपी मोहम्मद अकरम अली ने वॉलेट से जुड़ा सिम कार्ड भी मुहैया कराया, जिसका इस्तेमाल लेनदेन के लिए किया जाता था.
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