
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ट्रांस यमुना रेंज टीम ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए अंतरराज्यीय अवैध हथियार और नकली भारतीय मुद्रा (FICN) की तस्करी में शामिल एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इस कार्रवाई में गिरोह के पांच प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक महिला और इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड शामिल हैं. पुलिस ने इनके पास से 10 सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल, 68 कारतूस, ₹4.10 लाख मूल्य की नकली करेंसी और तीन वाहन बरामद किए हैं, जिनमें एक बुलेटप्रूफ स्कॉर्पियो SUV भी शामिल है.
एक सटीक ऑपरेशन और गिरोह का पर्दाफाश
टीम को इनपुट मिला था कि अवैध हथियारों का सौदा करने वाला व्यक्ति मथुरा से दिल्ली आने वाला है. सूचना के आधार पर 6 जुलाई 2025 को रवि ठाकुर को मथुरा से गिरफ्तार किया गया, उसके पास से 5 अत्याधुनिक पिस्टल और 10 जिंदा कारतूस बरामद हुए. रवि की गिरफ्तारी से पुलिस को गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने का सुराग मिला. सबसे पहले गुरुग्राम निवासी योगेश फोगाट को गिरफ्तार किया गया, जिसने अवैध हथियारों की खरीद के लिए पैसे ट्रांसफर किए थे. योगेश की कार से भी एक पिस्तौल बरामद हुई. इसके बाद सोनीपत निवासी कुलदीप उर्फ छोटू को पकड़ा गया, जिसकी स्कॉर्पियो कार को बुलेटप्रूफ बना रखा गया था. उस गाड़ी से एक और पिस्टल और 35 कारतूस बरामद हुए. गिरफ्तारी की यह कड़ी मथुरा की रहने वाली महिला आरोपी मीरा तक पहुंची. मीरा के घर से .32 बोर की 5 कारतूस मिलीं. इसके बाद गिरोह का मास्टरमाइंड सम्सु खान उर्फ रेहान को फिरोजाबाद से स्थानीय पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया गया. उसके घर से 3 पिस्टल, अलग-अलग बोर की 28 कारतूस और ₹4.10 लाख की नकली करेंसी बरामद की गई.

गिरोह का नेटवर्क और ऑपरेशन का तरीका
पुलिस जांच से यह सामने आया है कि यह पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया पर कोडेड मैसेज के जरिए एक-दूसरे से संपर्क करता था. हथियार मध्यप्रदेश से मंगवाए जाते थे और फिर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में बेचे जाते थे. इस गिरोह के अलग-अलग लेवल के सदस्यों सप्लायर, बिचौलिया और लोकल डीलर को हर हथियार की डिलीवरी पर मोटा कमीशन मिलता था. गिरोह का मास्टरमाइंड सम्सु खान पहले से ही यूपी ATS के एक बड़े अवैध हथियार तस्करी मामले में वांछित था और वह फिलहाल हुगली, पश्चिम बंगाल में रहकर अपना नेटवर्क चला रहा था. वह न केवल हथियारों की तस्करी में शामिल था, बल्कि नकली नोटों की भी सप्लाई कर रहा था, जो वह बिहार के सिवान से मंगवाता था.
आरोपियों का आपराधिक इतिहास
रवि ठाकुर: पहले ऑटो रिक्शा चालक, 5000 रुपये प्रति हथियार की दर से तस्करी में जुड़ा.
योगेश फोगाट: हत्या की कोशिश के दो मामलों में पहले से आरोपी। हथियार खरीदकर स्थानीय अपराधियों को बेचता था.
कुलदीप उर्फ छोटू: रेलवे में नौकरी छोड़ अवैध धंधों में शामिल हुआ। पहले भी दो बार हथियारों के साथ पकड़ा जा चुका है। बुलेटप्रूफ गाड़ी का इस्तेमाल करता था.
मीरा: पति से अलग रहने के बाद गिरोह से जुड़ी और देश के अलग-अलग राज्यों में हथियार सप्लाई करने लगी.
सम्सु खान: सिर्फ 7वीं तक पढ़ा, फिर हथियार तस्करी से जुड़ गया। पश्चिम बंगाल से अपना नेटवर्क चला रहा था. यूपी ATS का वांछित अपराधी.
बरामदगी
- 10 सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल
- .32 बोर के 54, .315 बोर के 10, 9 मिमी के 4 कारतूस
- ₹4,10,000 मूल्य की नकली नोटें (₹500 के नोटों में)
- तीन वाहन – एक बुलेटप्रूफ स्कॉर्पियो SUV सहित
- मोबाइल फोन जिनमें अपराध से संबंधित सोशल मीडिया चैट्स हैं
पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों और इस नेटवर्क से जुड़े सहयोगियों की तलाश में है. साथ ही नकली नोटों और हथियारों की तस्करी के बीच आपसी कनेक्शन को भी खंगाला जा रहा है. जांच एजेंसियां यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि इस तस्करी के पीछे कोई बड़ी साजिश या आतंकी लिंक तो नहीं है.
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