दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक सेवानिवृत्त इंजीनियर को उनके घर में आठ घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए 10 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई. पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
‘डिजिटल अरेस्ट' (धन उगाही के लिए ऑनलाइन डराना-धमकाना) के पीड़ित अपनी पत्नी के साथ रोहिणी के सेक्टर 10 में रहते हैं. उनकी शिकायत पर दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने प्राथमिकी दर्ज की है. पुलिस को 60 लाख रुपये 'फ्रीज' करने में सफलता मिली है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'ऐसा संदेह है कि धोखाधड़ी विदेश से कॉल करने वालों द्वारा की गई थी, लेकिन भारत में उनके सहयोगियों ने उन्हें लक्ष्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद की.'
देखा जाए तो दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई राज्यों में डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. देशभर में कई लोग इसका शिकार बन चुके हैं.
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा. डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है. लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसका उद्भव हुआ है. पिछले तीन महीने में दिल्ली-एनसीआर में 600 मामले ऐसे आए हैं, जिनमें 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. डिजिटल अरेस्ट के जरिए अपराधी एक तरह से ब्लैकमेल करते हैं. आजकल देखा जाए तो यह काफी चैलेंजिंग हो गया है.
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