
सीबीआई ने साइबर क्राइम के खिलाफ चल रही बड़ी मुहिम ‘चक्र-वी' के तहत एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट का पर्दाफाश किया है. एजेंसी ने देश में तीन जगहों पर एक साथ छापेमारी की और बड़ी मात्रा में सबूतों के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. ये गिरोह भारत से संचालित हो रहा था और अमेरिका व कनाडा के लोगों को निशाना बना रहा था. ये लोग खुद को अमेरिकी सरकारी अधिकारी या बड़ी टेक कंपनियों के प्रतिनिधि बताकर लोगों को धोखा देते थे.
छापे में क्या मिला?
सीबीआई की छापेमारी में कई ऐसे उपकरण बरामद हुए हैं जिनका इस्तेमाल इंटरनेशनल कॉल करने और कॉलर की पहचान छुपाने के लिए किया जाता था. इसके अलावा सोशल इंजीनियरिंग से जुड़ा लीड जेनरेशन सिस्टम, वॉयस रिकॉर्डिंग्स और कई डिजिटल सबूत भी हाथ लगे हैं. सबसे बड़ी कामयाबी रही क्रिप्टोकरेंसी यानी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की बरामदगी. जांच के दौरान 2.8 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी और 22 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई है.
गिरफ्तार आरोपी का नाम राहुल अरोड़ा बताया जा रहा है. उसे स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया है. सीबीआई के मुताबिक, एजेंसी ने अब इन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को जब्त करने और मैनेज करने के लिए खुद की टेक्निकल क्षमता विकसित कर ली है. इस ऑपरेशन से साफ है कि सीबीआई की ‘चक्र-वी' मुहिम साइबर ठगी और डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ कितनी मजबूत कार्रवाई कर रही है. जांच अभी जारी है.
CBI की कार्रवाई से जुड़े कुछ अहम बिंदु
- 3 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी.
- अमेरिका और कनाडा के लोगों से की जा रही थी ठगी.
- कॉल मास्किंग टूल्स, वॉयस रिकॉर्डिंग, लीड डेटा मिले.
- ₹2.8 करोड़ की क्रिप्टो और ₹22 लाख कैश जब्त.
- 1 आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट में उसे सीबीआई ने पेश किया.
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