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This Article is From May 03, 2022

कपिल देव ने विनोद कांबली का उदाहरण देकर कहा जब खिलाड़ी का फोकस हिलता है तो..

कपिल ने कांबली और उनके बचपन के साथी सचिन तेंदुलकर के बीच तुलना करके यह बताया कि युवा क्रिकेटरों के लिए ध्यान केंद्रित करते रहना क्यों महत्वपूर्ण होता है.

कपिल देव ने विनोद कांबली का उदाहरण देकर कहा जब खिलाड़ी का फोकस हिलता है तो..
नई दिल्ली:

भारत के पूर्व कप्तान और तेज गेंदबाजी के दिग्गज कपिल देव (Kapil Dev) ने विनोद कांबली (Vinod Kambli) के उदाहरण का इस्तेमाल करते हुए युवाओं को अपना ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी. 1990 के दशक की शुरुआत में अपने युवा करियर में ढेर सारे रन बनाने के साथ कांबली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महान ऊंचाइयों तक पहुंचे थे लेकिन उन्होंने जल्द ही अपना फॉर्म खो दिया और अपने करियर में बाद में आए अवसरों का लाभ उठाने में असफल रहे.

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कपिल ने कांबली और उनके बचपन के साथी सचिन तेंदुलकर के बीच तुलना करके यह बताया कि युवा क्रिकेटरों के लिए ध्यान केंद्रित करते रहना क्यों महत्वपूर्ण होता है.  कांबली ने भारत के लिए 17 टेस्ट में 1084 और 104 वनडे में 2477 रन बनाए.  दूसरी ओर तेंदुलकर ने क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में खेल से संन्यास ले लिया. 

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"कभी-कभी, युवा दूसरों को प्रभावित करने के लिए कुछ करते हैं. मेरा मानना ​​​​है कि पहले खुद से प्यार करना और जो कुछ भी आपको पसंद है उसमें जुनून लाना महत्वपूर्ण है. जुनून, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का कोई विकल्प नहीं है.  सचिन तेंदुलकर आज आदर्श के उदाहरण हैं उनकी कड़ी मेहनत के चलते. यदि आप प्रतिभाशाली हैं लेकिन पर्याप्त मेहनती नहीं हैं, तो आप विनोद कांबली के रास्ते पर जा सकते हैं, "कपिल ने पिछले महीने टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार एक कार्यक्रम में कहा था. 

क्रिकेटर हमेशा दो तरह के होते हैं.  मैंने सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली दोनों के साथ खेला. वे दोनों भारतीय क्रिकेट में बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे. विनोद समान रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे और उनमें कोई कमी नहीं थी, लेकिन जब उनका ध्यान अपने खेल पर होना चाहिए था तब वे भटकने लगे, " टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट.  कपिल ने कहा जब खिलाड़ी अपने फोकस से भटकने लगता है कि फिर वो लगातार नीचे की तरफ गिरने लगता है.  आपको बता दें कपिल 1990 में भारतीय टीम के कोच भी रहे हैं जिस समय सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम के कप्तान हुआ करते थे. 

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