पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने 'मंकीगेट' विवाद में सचिन तेंदुलकर की भूमिका पर रिकी पोंटिंग की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को इस घटना पर उनके विचार जानने के लिए उनकी किताब का इंतजार करना चाहिए।
पोंटिंग ने अपने संस्मरण 'द क्लोज ऑफ प्ले' में कहा कि उन्हें समझ में नहीं आया कि अपील पर सुनवाई के दौरान तेंदुलकर ने हरभजन का साथ क्यों दिया, जबकि जब मैच रैफरी माइक प्रोक्टर ने हरफनमौला एंड्रयू साइमंड्स पर कथित नस्ली टिप्पणी के लिए शुरू में हरभजन को निलंबित किया था, तब वह चुप रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे में भारतीय टीम के कप्तान रहे कुंबले ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, उसके बाद काफी बातें कही गई हैं। उस घटना को पांच साल हो गए हैं। मैं अब उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है। हम सब उससे आगे निकल चुके हैं। यदि आप वास्तव में जानना चाहते हैं कि क्या हुआ था, तो आपको मेरी किताब का इंतजार करना होगा।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और प्रशासक अपनी आत्मकथाओं में भारतीय क्रिकेटरों और प्रशासकों को निशाना बनाते रहे हैं। कुंबले ने कहा कि किताब लिखना बुरा विचार नहीं है, क्योंकि उन्होंने अब क्रिकेट प्रशासन का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, अब मैंने घोषणा की है कि मैं प्रशासन का हिस्सा नहीं रहूंगा। मेरे पास किताब लिखने के लिए समय होगा। जब तक किताब आती है, इंतजार करें।
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