विराट कोहली और केदार जाधव ने पुणे वनडे में 200 रनों की साझेदारी की थी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया को इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के बाद अब 50 ओवर के फॉर्मेट में सीधे आईसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में से एक चैंपियन्स ट्रॉफी (ICC Champions Trophy) में ही खेलने का मौका मिलेगा. ऐसे में इंग्लैंड के साथ यह सीरीज टीम इंडिया और विराट कोहली (Virat Kohli) के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने का एक सुनहरा मौका था. जून में होने वाली चैंपियन्स ट्रॉफी और वनडे वर्ल्ड कप 2019 को देखते हुए ही एमएस धोनी (MS Dhoni) ने कप्तानी छोड़ी थी, ताकि विराट कोहली को टीम संयोजन बनाने का समय मिल जाए. हालांकि चैंपियन्स ट्रॉफी से पहले विराट कोहली के नेतृत्व में टीम को केवल तीन वनडे ही खेलने को मिले हैं. अब उनको इंग्लैंड के साथ ही टी-20 सीरीज में इसे और मांजने का कुछ हद तक ही मौका मिल पाएगा, क्योंकि वनडे और टी-20 के मिजाज में अंतर है. टीम इंडिया को वनडे में अब भी ओपनिंग जोड़ी और गेंदबाजी से जुड़ी कुछ मूल समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज से एक फायदा यह हुआ है कि कम से कम मध्यक्रम की बल्लेबाजी में जान आ गई है, वहीं टीम को एक तेज गेंदबाजी वाला ऑलराउंडर भी मिल गया है. टीम इंडिया को इस सीरीज में तीन सितारे मिले. हालांकि इनमें से दो पुराने हैं, जबकि को एक नई खोज कहा जा सकता है... (विराट कोहली को 'पहली' वनडे सीरीज जीतने पर एमएस धोनी ने दिया खास 'गिफ्ट', कोहली हुए भावुक...)
कप्तान विराट कोहली की मानें तो मध्यक्रम में एमएस धोनी पर अतिरिक्त दबाव रहता था और उन्हें ही फिनिशर की भूमिका निभानी पड़ती थी. हालांकि धोनी लंबे समय से यह काम करते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी हिटिंग क्षमता कम हो रही थी. वास्तव में फिनिशर का काम ऐसा है कि कई बार उसे आते साथ ही गेंदबाजों पर धावा बोलना पड़ता है. ऐसी स्थिति में धोनी को परेशानी आ रही थी. विराट कोहली के प्लान के अनुसार एमएस धोनी को क्रीज पर टिकने का समय देने के लिए ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजा जा रहा है. इसमें में भी उनकी मदद के लिए युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को रखा गया है, जो लंबे समय तक धोनी के साथ खेलते रहे हैं. कोहली के अनुसार युवी के आने से मध्यक्रम में धोनी पर दबाव कम हो जाएगा और ऐसा देखने को भी मिला है... जबकि टीम में फिनिशर के रोल के लिए एक नए बल्लेबाज को लाया गया, जो इस रोल में काफी हद तक खरे उतरे हैं... (कोलकाता वनडे : जब युवराज की छाती पर लगी गेंद, हाथ से छूटा बल्ला...कोहली ने ली चुटकी)
केदार जाधव (Kedar Jadhav) : मिला नया फिनिशर... 3 मैचों में बनाए 232 रन...
टीम इंडिया को एमएस धोनी के स्थान पर ऐसा बल्लेबाज चाहिए था, जो उनकी ही तरह छठे या सातवें नंबर पर आकर विस्फोटक पारी खेल सके. साथ ही निचले क्रम के साथ समझदारी से बल्लेबाजी कर सके. वैसे तो यह बल्लेबाज इससे पहले भी टीम इंडिया के लिए खेल चुका था, लेकिन उसकी चमक इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में ही देखने को मिली. हम बात कर रहे हैं केदार जाधव की. जाधव को इंग्लैंड सीरीज की खोज कहना ज्यादा सही होगा. मैन ऑफ द सीरीज पाने वाले जाधव के शानदार खेल से विराट कोहली की फिनिशर से संबंधित चिंता दूर होती दिख रही है. जाधव ने इंग्लैंड के खिलाफ तीन वनडे खेले हैं और 232 रन बनाए, जिनमें उनका औसत 77.33 रहा. पहले वनडे में तो टीम इंडिया 63 रन पर ही 4 विकेट खो चुकी थी, लेकिन जाधव ने कप्तान विराट के साथ जो पारी खेली उससे नई उम्मीदें जाग गईं. विराट के आउट होने के बाद भी उन्होंने मोर्चा संभाले रखा. अंतिम वनडे में भले ही टीम इंडिया हार गई, लेकिन जाधव ने जीत की दहलीज तक तो पहुंचा ही दिया. केदार जाधव ने पुणे वनडे में शतक जड़ा था (फाइल फोटो)
इस सीरीज में केदार जाधव एक रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. उन्होंने तीन मैचों की सीरीज में छठे या उससे निचले क्रम पर बैटिंग करते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का दक्षिण अफ्रीका के शॉन पोलाक का रिकॉर्ड तोड़ दिया. पोलाक ने 227 रन बनाए थे, जबकि जाधव ने 232 रन बना दिए.
हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) : परिपक्व ऑलराउंडर की झलक.... द्रविड़ की सलाह का कमाल
एमएस धोनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया दौरे से टीम इंडिया में जगह बना चुके हार्दिक पांड्या में टैलेंट तो पहले ही दिख गया था, लेकिन वह उसे भुना नहीं पा रहे थे. या यूं कहें कि वह उसके अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे. पांड्या की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में लापरवाही झलकती थी. वह अहम मौकों पर विकेट फेंक देते थे, लेकिन उनके लिए भारत-ए टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा कायाकल्प करने वाला साबित हुआ. इस दौरे में उन्हें राहुल द्रविड़ से क्रिकेट का वह ज्ञान मिला, जो उन्हें कहीं नहीं मिला था. पांड्या ने खुद इसे स्वीकार किया था और कुछ इंटरव्यू में इसका जिक्र भी किया था. फिर जब उनकी टीम इंडिया में वापसी हुई, तो उन्होंने गजब का अनुशासन दिखाया. वह काफी परिपक्व नजर आए. इंग्लैंड के खिलाफ पहले ही मैच में उन्होंने शतकवीर विराट कोहली और केदार जाधव के आउट होने के बाद जरूरत के अनुसार बल्लेबाजी करते हुए जीत दिलाई. पांड्या ने कमजोर गेंदों पर ही प्रहार किया और अनावश्यक जोखिम नहीं लिया.
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में हार्दिक पांड्या तीन मैचों में कुल 115 रन ठोके और 5 विकेट चटकाए. उन्होंने गेंदबाजी की शुरुआत भी की और 140 किमी की रफ्तार से प्रभावित किया. सही मायने में वह इसी सीरीज में ऑलराउंडर के रूप में खेले. चूंकि वह तेज गेंदबाजी करते हैं ऐसे में टीम इंडिया के लिए इंग्लैंड में खेली जाने वाली चैंपियन्स ट्रॉफी में अहम हथियार हो सकते हैं, क्योंकि वहां के विकेटों पर गेंद स्विंग होती है. साथ ही विराट को एक अतिरिक्त बल्लेबाज खिलाने का मौका भी मिल जाएगा.
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) : विंटेज बल्लेबाज की गजब की वापसी....
वैसे तो युवराज सिंह इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले 293 मैच खेल चुके थे, लेकिन वर्ल्ड 2011 के बाद से उनका बल्ला वह कमाल नहीं कर पा रहा था, जिसके लिए वह जाने जाते रहे थे. इंग्लैंड सीरीज में उनका धमाकेदार प्रदर्शन एक तरह से खोज के समान ही रहा, क्योंकि कप्तान विराट कोहली ने उन पर भरोसा जताया और चयनकर्ताओं ने उनको टीम में ले लिया. फिर युवराज ने इस भरोसे पर खरा उतरते हुए अपना पुराना रंग दिखाया और नई उम्मीद जगाई है. उन्होंने इस सीरीज में धोनी के साथ साझेदारी करके पुरानी यादें ताजा कर दी. युवी और धोनी के बीच अब तक 10 शतकीय साझेदारियां हो चुकी हैं, जिनमें से हर में टीम इंडिया को जीत मिली है. युवराज सिंह और एमएस धोनी की जोड़ी पुराने रंग में नजर आई (फाइल फोटो)
इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों में उन्होंने 210 रन बनाए हैं. कटक में उन्होंने 150 रन बनाए और धोनी के साथ 256 रन जोड़े थे. कोलकाता में भी उन्होंने 45 रन की पारी खेली. ऐसे में मध्यक्रम में धोनी के साथ उनकी जोड़ी इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्रॉफी में अहम होगी, क्योंकि वहां की परिस्थितियों को देखते हुए अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत रहेगी.
कप्तान विराट कोहली की मानें तो मध्यक्रम में एमएस धोनी पर अतिरिक्त दबाव रहता था और उन्हें ही फिनिशर की भूमिका निभानी पड़ती थी. हालांकि धोनी लंबे समय से यह काम करते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी हिटिंग क्षमता कम हो रही थी. वास्तव में फिनिशर का काम ऐसा है कि कई बार उसे आते साथ ही गेंदबाजों पर धावा बोलना पड़ता है. ऐसी स्थिति में धोनी को परेशानी आ रही थी. विराट कोहली के प्लान के अनुसार एमएस धोनी को क्रीज पर टिकने का समय देने के लिए ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजा जा रहा है. इसमें में भी उनकी मदद के लिए युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को रखा गया है, जो लंबे समय तक धोनी के साथ खेलते रहे हैं. कोहली के अनुसार युवी के आने से मध्यक्रम में धोनी पर दबाव कम हो जाएगा और ऐसा देखने को भी मिला है... जबकि टीम में फिनिशर के रोल के लिए एक नए बल्लेबाज को लाया गया, जो इस रोल में काफी हद तक खरे उतरे हैं... (कोलकाता वनडे : जब युवराज की छाती पर लगी गेंद, हाथ से छूटा बल्ला...कोहली ने ली चुटकी)
केदार जाधव (Kedar Jadhav) : मिला नया फिनिशर... 3 मैचों में बनाए 232 रन...
टीम इंडिया को एमएस धोनी के स्थान पर ऐसा बल्लेबाज चाहिए था, जो उनकी ही तरह छठे या सातवें नंबर पर आकर विस्फोटक पारी खेल सके. साथ ही निचले क्रम के साथ समझदारी से बल्लेबाजी कर सके. वैसे तो यह बल्लेबाज इससे पहले भी टीम इंडिया के लिए खेल चुका था, लेकिन उसकी चमक इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में ही देखने को मिली. हम बात कर रहे हैं केदार जाधव की. जाधव को इंग्लैंड सीरीज की खोज कहना ज्यादा सही होगा. मैन ऑफ द सीरीज पाने वाले जाधव के शानदार खेल से विराट कोहली की फिनिशर से संबंधित चिंता दूर होती दिख रही है. जाधव ने इंग्लैंड के खिलाफ तीन वनडे खेले हैं और 232 रन बनाए, जिनमें उनका औसत 77.33 रहा. पहले वनडे में तो टीम इंडिया 63 रन पर ही 4 विकेट खो चुकी थी, लेकिन जाधव ने कप्तान विराट के साथ जो पारी खेली उससे नई उम्मीदें जाग गईं. विराट के आउट होने के बाद भी उन्होंने मोर्चा संभाले रखा. अंतिम वनडे में भले ही टीम इंडिया हार गई, लेकिन जाधव ने जीत की दहलीज तक तो पहुंचा ही दिया.
इस सीरीज में केदार जाधव एक रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. उन्होंने तीन मैचों की सीरीज में छठे या उससे निचले क्रम पर बैटिंग करते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का दक्षिण अफ्रीका के शॉन पोलाक का रिकॉर्ड तोड़ दिया. पोलाक ने 227 रन बनाए थे, जबकि जाधव ने 232 रन बना दिए.
हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) : परिपक्व ऑलराउंडर की झलक.... द्रविड़ की सलाह का कमाल
एमएस धोनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया दौरे से टीम इंडिया में जगह बना चुके हार्दिक पांड्या में टैलेंट तो पहले ही दिख गया था, लेकिन वह उसे भुना नहीं पा रहे थे. या यूं कहें कि वह उसके अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे. पांड्या की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में लापरवाही झलकती थी. वह अहम मौकों पर विकेट फेंक देते थे, लेकिन उनके लिए भारत-ए टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा कायाकल्प करने वाला साबित हुआ. इस दौरे में उन्हें राहुल द्रविड़ से क्रिकेट का वह ज्ञान मिला, जो उन्हें कहीं नहीं मिला था. पांड्या ने खुद इसे स्वीकार किया था और कुछ इंटरव्यू में इसका जिक्र भी किया था. फिर जब उनकी टीम इंडिया में वापसी हुई, तो उन्होंने गजब का अनुशासन दिखाया. वह काफी परिपक्व नजर आए. इंग्लैंड के खिलाफ पहले ही मैच में उन्होंने शतकवीर विराट कोहली और केदार जाधव के आउट होने के बाद जरूरत के अनुसार बल्लेबाजी करते हुए जीत दिलाई. पांड्या ने कमजोर गेंदों पर ही प्रहार किया और अनावश्यक जोखिम नहीं लिया.
हार्दिक पांड्या ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में गजब का सुधार दिखाया है (फोटो: BCCI)
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में हार्दिक पांड्या तीन मैचों में कुल 115 रन ठोके और 5 विकेट चटकाए. उन्होंने गेंदबाजी की शुरुआत भी की और 140 किमी की रफ्तार से प्रभावित किया. सही मायने में वह इसी सीरीज में ऑलराउंडर के रूप में खेले. चूंकि वह तेज गेंदबाजी करते हैं ऐसे में टीम इंडिया के लिए इंग्लैंड में खेली जाने वाली चैंपियन्स ट्रॉफी में अहम हथियार हो सकते हैं, क्योंकि वहां के विकेटों पर गेंद स्विंग होती है. साथ ही विराट को एक अतिरिक्त बल्लेबाज खिलाने का मौका भी मिल जाएगा.
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) : विंटेज बल्लेबाज की गजब की वापसी....
वैसे तो युवराज सिंह इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले 293 मैच खेल चुके थे, लेकिन वर्ल्ड 2011 के बाद से उनका बल्ला वह कमाल नहीं कर पा रहा था, जिसके लिए वह जाने जाते रहे थे. इंग्लैंड सीरीज में उनका धमाकेदार प्रदर्शन एक तरह से खोज के समान ही रहा, क्योंकि कप्तान विराट कोहली ने उन पर भरोसा जताया और चयनकर्ताओं ने उनको टीम में ले लिया. फिर युवराज ने इस भरोसे पर खरा उतरते हुए अपना पुराना रंग दिखाया और नई उम्मीद जगाई है. उन्होंने इस सीरीज में धोनी के साथ साझेदारी करके पुरानी यादें ताजा कर दी. युवी और धोनी के बीच अब तक 10 शतकीय साझेदारियां हो चुकी हैं, जिनमें से हर में टीम इंडिया को जीत मिली है.
इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों में उन्होंने 210 रन बनाए हैं. कटक में उन्होंने 150 रन बनाए और धोनी के साथ 256 रन जोड़े थे. कोलकाता में भी उन्होंने 45 रन की पारी खेली. ऐसे में मध्यक्रम में धोनी के साथ उनकी जोड़ी इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्रॉफी में अहम होगी, क्योंकि वहां की परिस्थितियों को देखते हुए अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत रहेगी.
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