संदीप पाटिल (फाइल फोटो)
मुंबई:
सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान... ये हैं भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े नाम, लेकिन जब ये नाम भारत की कामयाबी के आड़े आने लगे, तो टीम इंडिया से इन पांचों सितारों की विदाई हो गई. इस कठिन फैसले के समय मुख्य चयनकर्ता की कुर्सी पर थे संदीप मधुसूदन पाटिल.
'कैप्टन कूल' धोनी को एक फॉर्मेट तक समेटना हो, या सचिन को विदाई टेस्ट के लिए कहने की खबर, सबका ज़िम्मा पाटिल की अगुवाई वाली चयनसमिति पर था. वैसे पाटिल के कार्यकाल में 'फैब फाइव' गए, तो 57 नए क्रिकेटर क्रिकेट के आसमान पर चमके, जिनमें 12 क्रिकेटरों को टेस्ट, 21 को वनडे और 24 को टी-20 में टीम इंडिया की जर्सी पहनने का मौका मिला.
पाटिल ने ही शिखर धवन और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया, मोहम्मद शमी और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी भी उनकी पारखी नज़रों से ही चमके. युवराज सिंह, हरभजन सिंह का करियर जब खत्म माना जा रहा था, तो संदीप पाटिल की अगुवाई में उन्हें 2015 में खेलने का मौका मिला, आशीष नेहरा ने दोबारा अपनी अलग पहचान बनाई. पाटिल जब तक कुर्सी पर रहे टीम आईसीसी के सारे मुकाबलों में सेमीफाइनल तक पहुंची, मौजूदा दौर में टीम टेस्ट मैचों में सिर्फ एक अंक के फासले से नंबर 2 पर है, तो वनडे में नंबर तीन पर, टी-20 में भी टीम दूसरे नंबर पर है.
इस उपलब्धि पर संदीप पाटिल ने कहा, "हमने भारतीय टीम के भविष्य को देखते हुए कुछ कड़े फैसले लिए. जब आप चयनकर्ता की कुर्सी पर बैठते हैं तो हालात मुश्किल होते हैं. ख़ासकर जब आप वरिष्ठ खिलाड़ियों की फॉर्म, फिटनेस पर चर्चा करते हैं. हमने कुछ अच्छे, लेकिन कड़े फैसले लिए. मुझे खुशी है आज भारतीय क्रिकेट टीम जिस मुकाम पर खड़ी है उसे देखकर खुद पर और अपने साथियों पर गर्व होता है."
1996 में पाटिल भारतीय टीम के कोच भी थे, लेकिन महज 6 महीने में उन्हें पद छोड़ना पड़ा. बाद में केन्या जैसी टीम को बतौर कोच 2003 विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचाना उनकी बड़ी उपलब्धि रही. संदीप पाटिल 2012 में मुख्य चयनकर्ता बने थे, न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने आखिरी बार भारतीय टीम का चयन किया, लेकिन यह भी साफ किया कि बतौर चयनकर्ता उनके कई अच्छे दोस्त छूट गए. शायद इनमें वह बड़े नाम भी हों जिनकी उनके कार्यकाल में विदाई हुई. संदीप फिर से भारतीय टीम का कोच भी बनना चाहते थे, लेकिन बोर्ड से उन्हें इंटरव्यू तक के लिए बुलावा तक नहीं भेजा गया.
'कैप्टन कूल' धोनी को एक फॉर्मेट तक समेटना हो, या सचिन को विदाई टेस्ट के लिए कहने की खबर, सबका ज़िम्मा पाटिल की अगुवाई वाली चयनसमिति पर था. वैसे पाटिल के कार्यकाल में 'फैब फाइव' गए, तो 57 नए क्रिकेटर क्रिकेट के आसमान पर चमके, जिनमें 12 क्रिकेटरों को टेस्ट, 21 को वनडे और 24 को टी-20 में टीम इंडिया की जर्सी पहनने का मौका मिला.
पाटिल ने ही शिखर धवन और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया, मोहम्मद शमी और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी भी उनकी पारखी नज़रों से ही चमके. युवराज सिंह, हरभजन सिंह का करियर जब खत्म माना जा रहा था, तो संदीप पाटिल की अगुवाई में उन्हें 2015 में खेलने का मौका मिला, आशीष नेहरा ने दोबारा अपनी अलग पहचान बनाई. पाटिल जब तक कुर्सी पर रहे टीम आईसीसी के सारे मुकाबलों में सेमीफाइनल तक पहुंची, मौजूदा दौर में टीम टेस्ट मैचों में सिर्फ एक अंक के फासले से नंबर 2 पर है, तो वनडे में नंबर तीन पर, टी-20 में भी टीम दूसरे नंबर पर है.
इस उपलब्धि पर संदीप पाटिल ने कहा, "हमने भारतीय टीम के भविष्य को देखते हुए कुछ कड़े फैसले लिए. जब आप चयनकर्ता की कुर्सी पर बैठते हैं तो हालात मुश्किल होते हैं. ख़ासकर जब आप वरिष्ठ खिलाड़ियों की फॉर्म, फिटनेस पर चर्चा करते हैं. हमने कुछ अच्छे, लेकिन कड़े फैसले लिए. मुझे खुशी है आज भारतीय क्रिकेट टीम जिस मुकाम पर खड़ी है उसे देखकर खुद पर और अपने साथियों पर गर्व होता है."
1996 में पाटिल भारतीय टीम के कोच भी थे, लेकिन महज 6 महीने में उन्हें पद छोड़ना पड़ा. बाद में केन्या जैसी टीम को बतौर कोच 2003 विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचाना उनकी बड़ी उपलब्धि रही. संदीप पाटिल 2012 में मुख्य चयनकर्ता बने थे, न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने आखिरी बार भारतीय टीम का चयन किया, लेकिन यह भी साफ किया कि बतौर चयनकर्ता उनके कई अच्छे दोस्त छूट गए. शायद इनमें वह बड़े नाम भी हों जिनकी उनके कार्यकाल में विदाई हुई. संदीप फिर से भारतीय टीम का कोच भी बनना चाहते थे, लेकिन बोर्ड से उन्हें इंटरव्यू तक के लिए बुलावा तक नहीं भेजा गया.
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