
जिम्बाब्वे ने पूरी सीरीज में गजब का खेल दिखाया (फाइल फोटो)
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जिम्बाब्वे ने 2009 के बाद पहली बार विदेश में सीरीज जीती है
उसने पहली ही वनडे में श्रीलंका को हराकर चौंका दिया था
फिर श्रीलंका ने लगातार दो मैच जीतकर वापसी कर ली थी
जिम्बाब्वे ने पहला मैच जीतकर सीरीज की अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन श्रीलंका ने लगातार दो मैच जीतते हुए 2-1 से बढ़त ले ली थी, लेकिन अंतिम के दोनों मैचों में जिम्बाब्वे ने शानदार प्रदर्शन किया और लगातार दो जीत हासिल करते हुए सीरीज पर कब्जा जमा लिया.
जिम्बाब्वे ने सुबह टॉस जीतने के बाद गेंदबाजी चुनी. उसके गेंदबाजों ने श्रीलंका को उसी की धरती पर धमाल मचाते हुए 50 ओवरों में आठ विकेट पर 203 रन के स्कोर पर ही रोक दिया. फिर 204 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए हैमिल्टन मसाकाद्जा (73) की तूफानी पारी के दम पर 38.1 ओवर में सात विकेट खोकर ही लक्ष्य हासिल कर लिया.
पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका अच्छी शुरुआत नहीं कर पाई और उसने 31 रनों पर ही अपने तीन विकेट खो दिए. सलामी बल्लेबाज दनुष्का गुणातिलका (52) ने पारी संभाली, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया. कप्तान एंजेलो मैथ्यूज (24) ने उनके साथ चौथे विकेट के लिए 47 रन जोड़े. गुणातिलका ने इसके बाद असेला गुणारत्ने (नाबाद 59) के साथ पांचवें विकेट के लिए 41 रनों की साझेदारी की. इस बीच 119 के कुल स्कोर पर गुणातिलका पैवेलियन लौट गए और गुणारत्ने संघर्ष करते रहे. अंत में उन्होंने दुशमंता चामिरा (18) के साथ टीम को 200 के पार पहुंचाया.
जवाब में जिम्बाब्वे ने 204 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए शानदार शुरुात की, लेकिन बीच में लड़खड़ा गई. मसाकाद्जा और सोलोमोन मिरे (43) ने अच्छी शुरुआत दी. मिरे और मसाकाद्जा ने पहले विकेट के लिए 92 रन जोड़े. पहला विकेट मिरे का गिरा जबकि मसाकाद्जा 137 के कुल स्कोर पर दूसरे विकेट के तौर पर पैवेलियन लौटे.
ताईसाई मुसाकांड (37) ने इस दौरान एक छोर पकड़े रखा और मध्यक्रम की असफलता को छुपा लिया. अंत में सिकंदर रजा ने नाबाद 27 रनों की पारी खेल जिम्बाब्वे को ऐतिहासिक जीत दिलाई. कप्तान ग्रीम क्रेमर भी 11 रन बनाकर नाबाद रहे.
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