यह ख़बर 29 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

स्पॉट फिक्सिंग अब भी समस्या है : सर्वे

खास बातें

  • कई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों का मानना है कि स्पॉट फिक्सिंग अब भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक समस्या बनी हुई है लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके घरेलू मैच इससे दूर हैं।
एडिलेड:

कई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों का मानना है कि स्पॉट फिक्सिंग अब भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक समस्या बनी हुई है लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके घरेलू मैच इससे दूर हैं। एक सर्वे में इसका खुलासा हुआ है।

‘इनसाइड क्रिकेट मैगजीन’ ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों के संघ के साथ मिलकर एक सर्वे किया। सर्वे के लिए जिन 110 क्रिकेटरों को लिया गया, उनमें से 48 प्रतिशत को लगता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग मौजूद है।

‘सिडनी मार्निंग हेराल्ड’ की रिपोर्ट के अनुसार, ‘हालांकि किसी एक ने भी यह नहीं कहा कि यह आस्ट्रेलियाई घरेलू मैचों के लिये चिंता है।’ पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल ने इस सर्वे पर गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि खेल प्रशासकों ने खेल से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये ज्यादा काम नहीं किया है। चैपल ने ‘इनसाइड क्रिकेट’ में लिखा, ‘अगर किसी को लगता है कि सिर्फ पाकिस्तानी खिलाड़ी ही फिक्सिंग में लिप्त है तो वे खुद से मजाक कर रहे हैं।’

चैपल ने कहा, ‘क्रिकेट अधिकारियों ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये काफी कम काम किया है, जो चिंता की बात है। ज्यादातर अपराधों के बारे में अन्य सूत्रों जैसे पुलिस या अखबार की सूचना से ही पता चला है।’ पिछले साल पाकिस्तानी क्रिकेटर सलमान बट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर और उनके क्रिकेट एजेंट मजहर मजीद को इंग्लैंड के खिलाफ 2010 में टेस्ट के दौरान स्पाट फिक्सिंग में उनकी भूमिका के लिये लंदन में जेल की सजा दी गयी।

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इस महीने के शुरू में एसेक्स के पूर्व खिलाड़ी मर्विन वेस्टफील्ड ने डरहम के खिलाफ 2009 मैच में खराब गेंदबाजी के लिये धन राशि लेने की बात स्वीकारी थी। सर्वे के अनुसार 46 प्रतिशत दिन रात्रि के टेस्ट मैचों के खिलाफ थे जबकि 40 प्रतिशत इसके पक्ष में थे। 69 प्रतिशत ने टी20 (27 प्रतिशत) और 50 ओवर (चार प्रतिशत) क्रिकेट के बजाय प्रथम श्रेणी क्रिकेट को तरजीह दी। इसमें से 82 प्रतिशत ने अंपायर के फैसले की समीक्षा प्रणाली का समर्थन किया।