
हाल में संन्यास लेने वाले दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को गुरुवार को दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ का पहला ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया और अब वह इस क्षेत्र में स्वच्छता और सफाई को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे।
तेंदुलकर ने कहा, 'मुझे मेरी जिंदगी की इस शानदार दूसरी पारी शुरू करने का मौका देने के लिए शुक्रिया। मैं यूनिसेफ के लिए ब्रांड एंबेसडर बनकर उत्साहित हूं और अपनी सर्वश्रेष्ठ योग्यता के हिसाब से सेवा करूंगा। यह पारी मेरे लिए वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण है और इसलिए मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा।'
यह स्टार बल्लेबाज पिछले आठ से दस साल से इस वैश्विक संगठन से जुड़ा है। उन्हें आज दो साल के लिए दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए एंबेसडर नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा, 'मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि दुनिया की 36 जनसंख्या के पास सुरक्षित और साफ शौचालय नहीं है। आज के युग में आम आदमी के पास इस तरह की मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की बात पचा पाना वास्तव में मुश्किल है।'
तेंदुलकर ने कहा, 'यदि कोई व्यक्ति खुले में शौच करता है और ऐसा मां के साथ होता है क्योंकि अधिकतर परिवारों में मां ही घर को चलाती है। वह पूरे परिवार के सदस्यों के लिये खाना बनाती है, वह बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाती है, क्योंकि किसी भी मां और बच्चे के साथ ऐसा लगाव होता है। और यदि हाथ साबुन से नहीं धोए गए हों तो आप परिणाम की कल्पना कर सकते हो। इससे बच्चे की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। एक प्रौढ़ की लापरवाही से कोई बच्चा अपनी जिंदगी नहीं गंवा सकता।'
चालीस वर्षीय तेंदुलकर ने कहा कि वह इन आंकड़ों से हैरान थे कि अधिकतर बच्चों की जान सही तरह की स्वच्छता की कमी की वजह से होती है।
उन्होंने कहा, 'एक अन्य आंकड़ा जिससे मैं चकरा गया और मुझे यह जानकर दुख हुआ कि प्रतिदिन 1600 बच्चे डायरिया संक्रमण बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। मैं अधिक से अधिक लोगों को आगाह करने के लिए यूनिसेफ की मदद करना चाहता हूं। यह केवल साबुन से अपने हाथ धोने से जुड़ा हुआ है।'
तेंदुलकर ने कहा कि यदि वह पेचिस से संबंधी बीमारियों के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या में कमी लाने में सफल रहते हैं तो उन्हें लगेगा कि उन्होंने दूसरी पारी में कुछ हासिल किया है। उन्होंने कहा, 'मैं जिन आंकड़ों की बात कर रहा हूं, मेरी एक ही इच्छा है कि यदि हम इनकी संख्या में जितना संभव हो सके कमी कर सकें तो फिर हम कुछ हासिल करेंगे। मैं खुद को लेकर बात कर सकता हूं कि मैंने अपने क्रिकेटिया दिनों में कुछ हासिल किया। मेरी जिंदगी की दूसरी पारी मैं यूनिसेफ के साथ खेल रहा हूं जो कि काफी महत्वपूर्ण है और यह मेरे लिये काफी मायने रखती है।'
तेंदुलकर ने अपने बचपन के दिनों की याद करते हुए कहा कि कभी कभी वह भी खेलने के बाद हाथ धोने की चिंता नहीं करते थे। उन्होंने कहा, 'ऐसा भी दौर था जबकि मैं अपने दोस्तों के साथ टेनिस गेंद से खेला करता था और कभी कभार अपने हाथ धोने की चिंता नहीं करता था तथा घर लौटकर खाना चाहता था। मेरी मां सुनिश्चित करती थी कि मैं हाथ धोने के बाद ही साफ हाथों से खाना खाऊं।'
तेंदुलकर ने हाथ धोओ अभियान के अंतर्गत बच्चों से भी बात की थी और उन्होंने कहा कि वह अपनी नयी भूमिका में अधिक से अधिक बच्चों से मिलने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं केवल संदेश ही नहीं पहुंचाऊंगा बल्कि बच्चों के साथ समय बिताकर उन्हें स्वच्छता के प्रति सीख दूंगा कि जिंदगी को जिंदगी तरह जीना कितना महत्वपूर्ण है और मैंने ऐसा करते हुए हमेशा मजा लिया। मैं बच्चों के साथ इस तरह के पलों को बांटना चाहता हूं।'
तेंदुलकर ने कहा कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाना और उन्हें सतर्क करना जरूरी है। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि यह अपने ज्ञान को पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी बनती है। मैंने घर में देखा है। मेरी पत्नी चिकित्सक है और इसलिए अधिकतर चीजों के लिए मुझे चिंतित होने की जरूरत नहीं होती है। यदि बच्चा अच्छा महसूस नहीं कर रहा है तो मैं जानता हूं कि मेरी पत्नी उन्हें सर्वश्रेष्ठ उपचार देगी और सुनिश्चित करेगी कि सब कुछ ठीक है। लेकिन बाहर जहां लोगों को ऐसी सुविधाएं नहीं हैं वहां मैं समझता हूं कि अपने विचारों और ज्ञान को बांटना और यह समझाना कि यह कितना महत्वपूर्ण है, हमारी जिम्मेदारी है।'
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