24-वर्षीय कप्तान कपिल देव रामलाल निखंज के नेतृत्व में 'अंडरडॉग' कहकर पुकारी जाने वाली टीम इंडिया ने वर्ष 1983 के जून माह की 25 तारीख को ऐसा एक कारनामा कर दिखाया, जो आज तक किसी भी भारतीय के दिमाग से नहीं निकला है, और दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2011 में दोबारा वर्ल्ड कप जीत लेने के बावजूद पहली जीत का जो नशा कपिल की टीम ने देशवासियों को चखाया था, वह आज 32 साल बाद भी ज़्यादा आनंद देता है। इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं, कुछ खास ख़बरें, जिनमें हमने याद किया है उन शानदार पलों को... आइए, आप भी पढ़िए... (ख़बर पढ़ने के लिए हेडलाइन पर क्लिक करें)
यादों में '83: 25 जून को लॉर्ड्स में इतिहास रचने वाली टीम से जुड़ी 15 ख़ास बातें
यादों में '83: भारतीय क्रिकेट में बदलाव के सूत्रधार रहे मोहिन्दर 'जिमी' अमरनाथ
यादों में '83: एक भारतीय क्रिकेटर, जो पूरी सीरीज़ में ड्रेसिंग रूम में ही बैठा रह गया
यादों में '83: जब एक अनूठी कामयाबी ने बदल दी 75 करोड़ भारतीय फ़ैन्स की दुनिया
यादों में '83: वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की अप्रत्याशित जीत पर क्या बोले दिग्गज
यादों में '83: अब तक 22 बार टूटा 'विश्वरिकॉर्ड', फिर भी क्यों खास हैं कपिल के 175*
यादों में '83 : क्रिकेट के इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर किया था 'अंडरडॉग' टीम इंडिया ने
यादों में '83: एक ऐसी जीत, जिसने पूरे भारत को बदलकर रख दिया...
यादों में '83: 25 जून को लॉर्ड्स में इतिहास रचने वाली टीम से जुड़ी 15 ख़ास बातें
कपिल देव के नेतृत्व में जिस भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 वर्ल्ड कप फ़ाइनल में वेस्ट इंडीज़ को हराकर नया इतिहास बनाया, उसके बारे में आप कितना जानते हैं...?
यादों में '83: भारतीय क्रिकेट में बदलाव के सूत्रधार रहे मोहिन्दर 'जिमी' अमरनाथ
उस टीम ने वर्ल्ड कप में तब सिर्फ़ एक मैच जीता था। उस टीम से किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। उस टीम में कोई हीरो नहीं था। उस टीम में सीमित ओवर मैच के लिए न तो विशेषज्ञ बल्लेबाज़ था और न गेंदबाज़।
यादों में '83: एक भारतीय क्रिकेटर, जो पूरी सीरीज़ में ड्रेसिंग रूम में ही बैठा रह गया
इस ऐतिहासिक कामयाबी के बारे में सुनील वाल्सन कहते हैं - मैं उन 14 भाग्यशाली खिलाड़ियों में शामिल था। कोई बात नहीं कि मुझे मौका नहीं मिला, लेकिन यह सपने के पूरा होने जैसा था।
यादों में '83: जब एक अनूठी कामयाबी ने बदल दी 75 करोड़ भारतीय फ़ैन्स की दुनिया
25 जून, 1983। कप्तान कपिल देव की टीम ने दुनिया की सबसे ताक़तवर मानी जाने वाली टीम को लॉर्ड्स पर 43 रनों से पटखनी दी। जंगल की आग की तरह इस ख़बर का जश्न भारत के छोटे से गांव से लेकर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे मेट्रो की सड़कों पर उतर आया।
यादों में '83: वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की अप्रत्याशित जीत पर क्या बोले दिग्गज
1983 वर्ल्ड कप जीते भारत को 32 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी टीम के खिलाड़ियों को 25 जून का वो दिन याद है। ओपनर कृष्णमचारी श्रीकांत हमेशा से फ़ील्ड में चुस्त रहा करते थे और फ़ाइनल में भी उनकी अहम भूमिका रही।
यादों में '83: अब तक 22 बार टूटा 'विश्वरिकॉर्ड', फिर भी क्यों खास हैं कपिल के 175*
भले ही कपिल देव वन-डे इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारियों की सूची में 23वें नंबर पर खिसक गए हैं, लेकिन आज भी भारतीय प्रशंसकों के दिलोदिमाग में टनब्रिज वेल्स में खेली गई कपिल की वह पारी हर बड़ी पारी से ज़्यादा बड़ी है।
यादों में '83 : क्रिकेट के इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर किया था 'अंडरडॉग' टीम इंडिया ने
फाइनल में पूरी कैरेबियाई टीम 140 रन पर ऑल-आउट हो गई और क्रिकेट के इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर सबके सामने था। कपिल देव के रूप में भारतीय टीम को लाजवाब कप्तान मिल चुका था और क्रिकेट की दुनिया में भारत ने अपने आगमन का बिगुल बजा दिया था।
यादों में '83: एक ऐसी जीत, जिसने पूरे भारत को बदलकर रख दिया...
25 जून, 1983 को भारतीय टीम ने क्रिकेट की दुनिया को चौंकाते हुए वर्ल्ड कप जीतने का करिश्मा कर दिखाया था। यह जीत भारत के क्रिकेट की दुनिया के बादशाह बनने भर की जीत नहीं थी, यह क्रिकेट के रोमांच को बढ़ाने वाली जीत भर भी नहीं थी, बल्कि यह वह जीत थी जिसने पूरे भारत को बदल दिया, हमेशा हमेशा के लिए।
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