आशीष नेहरा ने वर्ष 1999 में अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टीम इंडिया के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला लिया है. नेहरा ने गुरुवार को कहा, "मैंने विराट कोहली को जब अपना फ़ैसला बताया. उन्होंने पूछा कि मैं क्यों ऐसा फ़ैसला ले रहा हूं जबकि मैं और एक-दो साल खेल सकता हूं. फिर उन्होंने कहा कि मैं IPL में खेल सकता हूं. लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं ये फ़ैसला कर चुका हूं कि अगर अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेलूंगा तो IPL में भी नहीं खेलूंगा." 38 साल के टीम नेहरा अपने रिटायरमेंट का फ़ैसला सुनाने आज प्रेस का सामने आये तो अपने इरादे को लेकर किसी असमंजस में नहीं दिखे. उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि उनमें अभी और खेलने की क्षमता है. लेकिन मौजूदा हालात में जिस तरह भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह गेंदबाज़ी कर रहे हैं ऐसे में उन्हें अपनी जगह बनती नहीं दिख रही.
नेहरा ने कहा कि उन्हें ये अच्छा लग रहा है कि लोग उनसे रिटायरमेंट की वजह पूछ रहे हैं. उन्होंने कहा, "क्यों नहीं पूछे जाने से बेहतर है क्यों (रिटायरमेंट) पूछा जाना." नेहरा ने बताया कि कि उनकी टीम मैनेजमेंट से बात हो गई है और बीसीसीआई को भी उन्होंने अपने बारे में बता दिया है. उन्होंने कहा कि वे भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच दिल्ली में अपना आख़िरी मैच खेलना चाहते हैं. न्यूज़ीलैंड की टीम भारत में (22 अक्टूबर से शुरू) तीन वनडे और तीन टी-20 की सीरीज़ खेलने आ रही है. ये सीरीज़ नेहरा के क्रिकेट करियर का अंतिम पड़ाव साबित होगी.
यह भी पढ़ें: जसप्रीत बुमराह बोले, आशीष नेहरा से काफी कुछ सीखने को मिलता है
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हैदराबाद में होने वाले आख़िरी T20 से पहले नेहरा जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस के लिए आए तो उन्हें अंदाज़ा था कि मीडिया को उनके इस फ़ैसले की जानकारी पहले से ही हो चुकी है. अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर वे भावुक होते दिखे मगर फिर खुद को संभाल लिया. उन्होंने कहा कि उनके लिए अहम है कि ड्रेसिंग रूम में उनके बारे में क्या राय रखी जाती है. इसलिए दिल्ली में होने वाले अपने आख़िरी अंतर्राष्ट्रीय मैच को लेकर वो बेहद उत्साहित दिखे.
'कमबैक मैन' नेहरा न तो अपने किसी एक मैच को जज करना चाहते हैं और न ही किसी एक कप्तान को. उन्होंने कहा, "आख़िरी 2-3 साल मेरे लिए अहम रहे. लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसे 11-12 सर्जरी के बाद कमबैक कर पाया. वे ये भी पूछते हैं कि 3 महीने के बाद या 6 महीने के बाद मैं कैसे रिहैब करते हुए वापसी कर पाता हूं. ये बातें मेरे लिए बेहद अहम हैं." वे कहते हैं कि उन्होंने सबसे ज़्यादा सौरव गांगुली, एमएस धोनी, राहुल द्रविड़ से लेकर विराट कोहली तक की कप्तानी में खेला है. लेकिन वे किसी की तुलना करना ठीक नहीं समझते. उन्होंने कहा कि इन सब कप्तानों की अपनी अलग ताक़त-कमज़ोरी है और इसलिए वे इनकी तुलना करना बेहद ग़लत मानते हैं.
'डेथ ओवर स्पेशलिस्ट' नेहरा बताते हैं कि कई कप्तानों ने उन्हें आख़िरी ओवर डालने की ज़िम्मेदारी दी. उनके लिए अहम ये है कि कप्तानों को उन पर आख़िरी ओवर डलवाने का भरोसा था. कराची में डाला गया आख़िरी ओवर हो या इंग्लैंड के ख़िलाफ़ डाला गया आख़िरी ओवर, वे किसी एक मैच को अलग कर याद नहीं करना चाहते. कराची में 13 मार्च, 2004 को खेले गए उस मैच में भारत ने खोकर 349/7 रन बनाये थे. उस रोमांचक मैच में पाकिस्तान को जीत के लिए आख़िरी ओवर में 9 रनों की ज़रूरत थी. नेहरा ने उस मैच के आख़िरी ओवर में सिर्फ़ 3 रन खर्च कर 1 विकेट भी अपने नाम किया. उस मैच को 5 रनों से जीतकर भारत ने उस सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली थी. उसी तरह नेहरा इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले गए अपने मैच का ज़िक्र तो करते हैं लेकिन उसे अहमियत देकर याद नहीं करना चाहते.
वीडियो: टीम इंडिया की सीरीज जीत में रोहित शर्मा चमके
सभी तरह के क्रिकेट को अलविदा कहने का फ़ैसला ले चुके 38 साल के आशीष नेहरा ऑस्ट्रेलिया को हल्का नहीं आंकते. उनका मानना है कि ये ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत की वनडे-टेस्ट टीम की तरह आने वाले एक-डेढ़ साल में ख़तरनाक साबित हो सकती है. वे आगे क्या करेंगे इसे लेकर उनके पास तय योजना तो नहीं है लेकिन उन्हें मौजूदा भारतीय टीम से आने वाले दिनों में बहुत उम्मीदें हैं.
नेहरा ने कहा कि उन्हें ये अच्छा लग रहा है कि लोग उनसे रिटायरमेंट की वजह पूछ रहे हैं. उन्होंने कहा, "क्यों नहीं पूछे जाने से बेहतर है क्यों (रिटायरमेंट) पूछा जाना." नेहरा ने बताया कि कि उनकी टीम मैनेजमेंट से बात हो गई है और बीसीसीआई को भी उन्होंने अपने बारे में बता दिया है. उन्होंने कहा कि वे भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच दिल्ली में अपना आख़िरी मैच खेलना चाहते हैं. न्यूज़ीलैंड की टीम भारत में (22 अक्टूबर से शुरू) तीन वनडे और तीन टी-20 की सीरीज़ खेलने आ रही है. ये सीरीज़ नेहरा के क्रिकेट करियर का अंतिम पड़ाव साबित होगी.
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हैदराबाद में होने वाले आख़िरी T20 से पहले नेहरा जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस के लिए आए तो उन्हें अंदाज़ा था कि मीडिया को उनके इस फ़ैसले की जानकारी पहले से ही हो चुकी है. अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर वे भावुक होते दिखे मगर फिर खुद को संभाल लिया. उन्होंने कहा कि उनके लिए अहम है कि ड्रेसिंग रूम में उनके बारे में क्या राय रखी जाती है. इसलिए दिल्ली में होने वाले अपने आख़िरी अंतर्राष्ट्रीय मैच को लेकर वो बेहद उत्साहित दिखे.
'कमबैक मैन' नेहरा न तो अपने किसी एक मैच को जज करना चाहते हैं और न ही किसी एक कप्तान को. उन्होंने कहा, "आख़िरी 2-3 साल मेरे लिए अहम रहे. लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसे 11-12 सर्जरी के बाद कमबैक कर पाया. वे ये भी पूछते हैं कि 3 महीने के बाद या 6 महीने के बाद मैं कैसे रिहैब करते हुए वापसी कर पाता हूं. ये बातें मेरे लिए बेहद अहम हैं." वे कहते हैं कि उन्होंने सबसे ज़्यादा सौरव गांगुली, एमएस धोनी, राहुल द्रविड़ से लेकर विराट कोहली तक की कप्तानी में खेला है. लेकिन वे किसी की तुलना करना ठीक नहीं समझते. उन्होंने कहा कि इन सब कप्तानों की अपनी अलग ताक़त-कमज़ोरी है और इसलिए वे इनकी तुलना करना बेहद ग़लत मानते हैं.
'डेथ ओवर स्पेशलिस्ट' नेहरा बताते हैं कि कई कप्तानों ने उन्हें आख़िरी ओवर डालने की ज़िम्मेदारी दी. उनके लिए अहम ये है कि कप्तानों को उन पर आख़िरी ओवर डलवाने का भरोसा था. कराची में डाला गया आख़िरी ओवर हो या इंग्लैंड के ख़िलाफ़ डाला गया आख़िरी ओवर, वे किसी एक मैच को अलग कर याद नहीं करना चाहते. कराची में 13 मार्च, 2004 को खेले गए उस मैच में भारत ने खोकर 349/7 रन बनाये थे. उस रोमांचक मैच में पाकिस्तान को जीत के लिए आख़िरी ओवर में 9 रनों की ज़रूरत थी. नेहरा ने उस मैच के आख़िरी ओवर में सिर्फ़ 3 रन खर्च कर 1 विकेट भी अपने नाम किया. उस मैच को 5 रनों से जीतकर भारत ने उस सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली थी. उसी तरह नेहरा इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले गए अपने मैच का ज़िक्र तो करते हैं लेकिन उसे अहमियत देकर याद नहीं करना चाहते.
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सभी तरह के क्रिकेट को अलविदा कहने का फ़ैसला ले चुके 38 साल के आशीष नेहरा ऑस्ट्रेलिया को हल्का नहीं आंकते. उनका मानना है कि ये ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत की वनडे-टेस्ट टीम की तरह आने वाले एक-डेढ़ साल में ख़तरनाक साबित हो सकती है. वे आगे क्या करेंगे इसे लेकर उनके पास तय योजना तो नहीं है लेकिन उन्हें मौजूदा भारतीय टीम से आने वाले दिनों में बहुत उम्मीदें हैं.
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