
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा कि कोविड-19 (Covid-19) महामारी के करण रद्द हुए 2020 रणजी ट्रॉफी सत्र (Ranji Trophy) के बाद देश के प्रथम श्रेणी खिलाड़ियों को जिस मुआवजे का वादा किया गया था, वह अभी तक वितरित नहीं किया गया है क्योंकि राज्य इकाइयों ने अभी तक जरूरी विवरण नहीं भेजा है. ब्रिटेन के ‘टेलीग्राफ' अखबार में छपे हालिया लेख में यह बात सामने आयी कि बीसीसीआई (BCCI) ने अभी तक भारतीय महिला टीम (Indian Women Team) को टी20 विश्व कप (T20 World Cup) उप-विजेता की 5,50,000 डॉलर की पुरस्कार राशि नहीं दी है. बोर्ड ने इसके जवाब में इस हफ्ते यह राशि देने का वादा किया. इस खबर से खिलाड़ियों के भुगतान में अत्यधिक देरी की बात भी सामने आयी, भले ही खिलाड़ी महिला हों या पुरुष. रणजी ट्रॉफी मुआवजे में देरी भी एक अन्य घटना है और धूमल ने स्वीकार किया कि सभी के लिये एक स्वीकार्य फार्मूला तैयार करना इतना आसान और सीधा नहीं है. धूमल ने कहा, ‘हमें राज्यों से चर्चा करनी होगी क्योंकि उन्हें ही हमें बताना होगा कि कौन से खिलाड़ी खेलते और कितने मैच खेलते और कौन रिजर्व खिलाड़ी होते. किसी भी राज्य ने मुआवजे पैकेज के लिये कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है.'
BCCI to contribute 10-Litre 2000 Oxygen concentrators to boost India's efforts in overcoming the COVID-19 pandemic.
— BCCI (@BCCI) May 24, 2021
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इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2021) के इस चरण के दौरान सभी आठ टीमों में 73 अनकैप्ड भारतीय घरेलू खलाड़ी जुड़े थे जिसमें बासिल थम्पी और दीपक हुड्डा भी शामिल थे जो भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं. इन खिलाड़ियों का अनुबंध 20 लाख रुपये से लेकर करीब 10 करोड़ रूपये (कृष्णप्पा गौतम) तक था. हालांकि 700 के करीब खिलाड़ियों के पास आईपीएल अनुबंध नहीं है और वे पूरे घरेलू सत्र में 10 से 20 लाख रुपये तक कमाई करते हैं. इसमें से ज्यादातर राशि रणजी ट्रॉफी से आती है जिसमें उन्हें एक मैच के लिये 1.40 लाख रुपये की फीस मिलती है.
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बीसीसीआई के एक पूर्व और राज्य इकाई के अनुभवी अधिकारी ने कहा, ‘‘कोषाध्यक्ष सही हैं. बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने मुआवजे की घोषणा की थी, लेकिन यह कैसे निर्धारित करोगे कि कौन सा खिलाड़ी सत्र में आठ या 10 मैच खेलता? रिजर्व खिलाड़ियों को आधी राशि मिलेगी, तो आप इसकी गणना कैसे करोगे? उन्होंने कहा, ‘आप प्रत्येक खिलाड़ी को एक समान राशि नहीं दे सकते. राज्यों को एकमुश्त राशि देना एक विकल्प है, लेकिन आप राज्यों पर निगरानी कैसे रखोगे?'
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कोविड-19 महामारी और इसके चलते बंद हुए बीसीसीआई मुख्यालय से यह विलंब हुआ लेकिन ज्यादातर घरेलू खिलाड़ियों को पिछले कुछ सत्र से सकल राजस्व हिस्सेदारी (जीआरएस) नहीं मिली है. बीसीसीआई हमेशा अपने टीवी प्रसारण राजस्व से घरेलू क्रिकेटरों को कुछ हिस्सा देता है और यह सामान्य तौर पर सितंबर में सालाना खातों के निपटारे के बाद मिल जाता है. धूमल के अनुसार घरेलू खिलाड़ियों का जीआरएस 2016-17 सत्र के बाद से लंबित है.
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