वर्ल्ड कप टी-20 और एशिया कप के लिए टीम इंडिया स्क्वाड.
वर्ल्ड टी-20 और एशिया कप के लिए दिल्ली में शुक्रवार को टीम इंडिया का एलान हुआ। दोनों ही टूर्नामेंट के लिए एक ही टीम रखी गई है। यदि टीम पर नजर डालें, तो इसमें अधिकांश खिलाड़ी वहीं हैं, जो हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज में खेले हैं। कुल मिलाकर चयनकर्ताओं ने कप्तान धोनी की 'विजेता' टीम पर ही दांव लगाया है। हम आपको टीम में चुने गए 15 खिलाड़ियों और उनके चयन के कारण के बारे में बता रहे हैं-
रोहित शर्मा : इसलिए टीम में
ओपनर के रूप में रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे में 441 रन बनाए, जिनमें दो सेंचुरी और एक फिफ्टी लगाई। इसके बाद टी-20 सीरीज के तीन मैचों में 143 रन ठोके, जिसमें दो फिफ्टी शामिल रहीं।
शिखर धवन : ऑस्ट्रेलिया में पाया फॉर्म
ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले धवन को लेकर कुछ सवाल उठ रहे थे, लेकिन उन्होंने शानदार प्रदर्शन से टीम में जगह पक्की कर ली। उन्होंने सीरीज के पांच वनडे मैचों में 287 रन बनाए, जिनमें उनका औसत 57.40 रहा। इस दौरान उन्होंने एक सेंचुरी और दो फिफ्टी जमाई।
विराट कोहली : जगह को लेकर कोई संदेह नहीं
टेस्ट मैचों में तो विराट फॉर्म में थे, लेकिन वनडे में स्कोर नहीं कर पा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने अपना फॉर्म हासिल कर लिया। उन्होंने तीन टी-20 मैचों में 199 रन बनाए, वहीं वनडे में पांच मैचों में 381 रन बनाए।
सुरेश रैना : ऑस्ट्रेलिया में मैच विजयी पारी और टी-20 रिकॉर्ड
रैना को वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टी-20 मैच में उन्होंने 49 रन की नाबाद विजयी पारी खेली थी। उन्होंने इस दौरान अंतरराष्ट्रीय टी-20 में अपने 1,000 रन पूरे कर लिए। अंतरराष्ट्रीय टी-20 में 1000 रन बनाने वाले वह दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं।
युवराज सिंह : इसलिए टीम में
एक समय युवराज सिंह मध्यक्रम में टीम इंडिया की जान रहे हैं। हालांकि वे लंबे समय से टीम से बाहर थे, लेकिन घरेलू क्रिकेट और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज के में शानदार पारी खेलकर दिल जीतने में कामयाब रहे।
अजिंक्य रहाणे : विश्वसनीय के साथ तेज बल्लेबाजी में भी माहिर
टीम के भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिने जाते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर 'गेयर' बदलते हुए विकेट के दोनों ओर शॉट मारने में सक्षम हैं। शानदार फील्डर भी हैं।
पवन नेगी: हरफनमौला के रूप में चुने गए
दिल्ली के पवन नेगी आईपीएल में अब तक ऑलराउंडर की हैसियत से खेलते रहे हैं। लेग स्पिन गेंदबाजी के अलावा लोअर ऑर्डर में अच्छी करने में भी सक्षम हैं।
रविचंद्रन अश्चिन : भारतीय विकेटों पर धोनी के ट्रंप कार्ड
ऑस्ट्रेलिया में वनडे और टी-20 सीरीज में गेंदबाजी में भले ही सफल नहीं रहे हों, लेकिन भारत के घूमते विकेटों पर कप्तान धोनी के ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं।
हार्दिक पांड्या : गेंद को हिट करने में मामले में बेजोड़
आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेली गई तूफानी पारियां अब तक प्रशंसकों के दिमाग में ताजा हैं। गेंद को जबर्दस्त तरीके से हिट करने में माहिर हैं। ऑलराउंडर के तौर पर टीम में जगह मिली।
महेंद्र सिंह धोनी: कैप्टन कूल से फिर आस
अपनी कप्तानी में 2006 में टीम को टी-20 वर्ल्डकप जिता चुके हैं। डेथ ओवर के बेहद खतरनाक बल्लेबाज धोनी मुश्किल के क्षणों में दबाव को हावी नहीं होने देते। विकेट के पीछे भी खासे मुस्तैद हैं।
जसप्रीत बुमराह : ऑस्ट्रेलिया दौरे में रहे थे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज
इंटरनेशनल क्रिकेट में बहुत कम अनुभव होने के बावजूद गुजरात के इस गेंदबाज को ऑस्ट्रेलिया दौरे के शानदार प्रदर्शन का 'इनाम' टी-20 वर्ल्डकप की टीम के चयन के रूप में मिला।
रवींद्र जडेजा : अहम मौके पर विकेट निकालने की क्षमता
ऑलराउंडर जडेजा भले ही अपनी बल्लेबाजी क्षमता से न्याय नहीं कर पाए हों, लेकिन कप्तान के विश्वासपात्र हैं। बल्लेबाजी और गेंदबाजी, दोनों में समान रूप से माहिर। टीम के सबसे अच्छे क्षेत्ररक्षकों में से एक हैं।
मोहम्मद शमी: रिवर्स स्विंग करने में हैं सक्षम
चोट के बाद टीम में वापसी कर रहे हैं, लेकिन अपनी गेंदों की गति और रिवर्स स्विंग कराने की क्षमता के कारण उपयोगी साबित होते हैं।
हरभजन सिंह: अनुभव को दी गई तरजीह
हरभजन भले ही हाल के वर्षों में टीम इंडिया के नियमित सदस्य नहीं रहे हैं, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के लंबे अनुभव के कारण टी-20 में उन्हें चुना गया है।
आशीष नेहरा : उम्र को मात देता सटीक गेंदबाज
उनका गेंदबाजी कौशल इसी से समझा जा सकता है कि 36 साल की उम्र होने के बावजूद टीम में रखे गए हैं। न केवल सटीक गेंदें फेंकते हैं, बल्कि विकेट लेने में भी माहिर। बाएं हाथ का तेज गेंदबाज होना प्लस पाइंट।
रोहित शर्मा : इसलिए टीम में
ओपनर के रूप में रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच वनडे में 441 रन बनाए, जिनमें दो सेंचुरी और एक फिफ्टी लगाई। इसके बाद टी-20 सीरीज के तीन मैचों में 143 रन ठोके, जिसमें दो फिफ्टी शामिल रहीं।
- टी-20 रिकॉर्ड - 47 मैच, 1010 रन, बेस्ट - 106*
- मजबूत पक्ष- शॉर्ट पिच गेंदों और स्पिन को खेलने में माहिर
- कमजोरी- अतिउत्साह में विकेट फेंक देना
शिखर धवन : ऑस्ट्रेलिया में पाया फॉर्म
ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले धवन को लेकर कुछ सवाल उठ रहे थे, लेकिन उन्होंने शानदार प्रदर्शन से टीम में जगह पक्की कर ली। उन्होंने सीरीज के पांच वनडे मैचों में 287 रन बनाए, जिनमें उनका औसत 57.40 रहा। इस दौरान उन्होंने एक सेंचुरी और दो फिफ्टी जमाई।
- टी-20 रिकॉर्ड - 11 मैच, 188 रन, बेस्ट - 42
- मजबूत पक्ष- भारत के कम उछाल वाले विकेट पर कोई परेशानी नहीं
- कमजोरी- शॉर्ट पिच और स्विंग गेंदों के सामने कमजोर
विराट कोहली : जगह को लेकर कोई संदेह नहीं
टेस्ट मैचों में तो विराट फॉर्म में थे, लेकिन वनडे में स्कोर नहीं कर पा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने अपना फॉर्म हासिल कर लिया। उन्होंने तीन टी-20 मैचों में 199 रन बनाए, वहीं वनडे में पांच मैचों में 381 रन बनाए।
- टी-20 रिकॉर्ड - 33 मैच, 1215 रन, बेस्ट- 90*
- मजबूत पक्ष- हर तरह की गेंदों को खेलने में माहिर
- कमजोरी- शुरुआत में ऑफ स्टंप से बाहर निकलती गेंदों पर परेशानी
सुरेश रैना : ऑस्ट्रेलिया में मैच विजयी पारी और टी-20 रिकॉर्ड
रैना को वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टी-20 मैच में उन्होंने 49 रन की नाबाद विजयी पारी खेली थी। उन्होंने इस दौरान अंतरराष्ट्रीय टी-20 में अपने 1,000 रन पूरे कर लिए। अंतरराष्ट्रीय टी-20 में 1000 रन बनाने वाले वह दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड - 49 मैच, 1073 रन, बेस्ट - 101
- मजबूत पक्ष- स्पिन के खिलाफ माहिर, स्ट्राइक रेट में कोई जवाब नहीं
- कमजोरी- शॉर्ट पिच गेंदों के सामने लाचार
युवराज सिंह : इसलिए टीम में
एक समय युवराज सिंह मध्यक्रम में टीम इंडिया की जान रहे हैं। हालांकि वे लंबे समय से टीम से बाहर थे, लेकिन घरेलू क्रिकेट और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज के में शानदार पारी खेलकर दिल जीतने में कामयाब रहे।
- टी-20 रिकॉर्ड - 43 मैच, 983 रन, बेस्ट - 77*
- मजबूत पक्ष - स्ट्राइक रेट, जमने पर हर तरह की गेंदों को खेलने में सक्षम
- कमजोरी - शुरुआत में शॉर्ट पिच गेंदों के सामने दिक्कत
अजिंक्य रहाणे : विश्वसनीय के साथ तेज बल्लेबाजी में भी माहिर
टीम के भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिने जाते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर 'गेयर' बदलते हुए विकेट के दोनों ओर शॉट मारने में सक्षम हैं। शानदार फील्डर भी हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड - 13 मैच, 61 रन, औसत 21.00, स्ट्राइक रेट - 116.17
- मजबूत पक्ष - एक छोर को संभालते में माहिर।
- कमजोर पक्ष - स्ट्राइक रोटेट करने में नाकामी के लिए आलोचकों के निशाने पर रहे हैं।
पवन नेगी: हरफनमौला के रूप में चुने गए
दिल्ली के पवन नेगी आईपीएल में अब तक ऑलराउंडर की हैसियत से खेलते रहे हैं। लेग स्पिन गेंदबाजी के अलावा लोअर ऑर्डर में अच्छी करने में भी सक्षम हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड- इंटरनेशनल टी-20 अब तक नहीं खेला है।
- मजबूत पक्ष - बाएं हाथ के स्पिनर के रूप में लगातार विकेट लिए हैं।
- कमजोर पक्ष - इंटरनेशनल क्रिकेट के लिहाज से नए। देखना होगा कि दबाव किस तरह झेलते हैं।
रविचंद्रन अश्चिन : भारतीय विकेटों पर धोनी के ट्रंप कार्ड
ऑस्ट्रेलिया में वनडे और टी-20 सीरीज में गेंदबाजी में भले ही सफल नहीं रहे हों, लेकिन भारत के घूमते विकेटों पर कप्तान धोनी के ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड - 31 मैच, 33 विकेट, औसत 26.45, इकोनॉमी 7:27
- मजबूत पक्ष - गेंदों में विविधिता का अच्छा मिश्रण करते हैं। कैरम बॉल है खासियत।
- कमजोर पक्ष - टीम के सबसे सुस्त क्षेत्ररक्षकों में गिने जाते हैं।
हार्दिक पांड्या : गेंद को हिट करने में मामले में बेजोड़
आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेली गई तूफानी पारियां अब तक प्रशंसकों के दिमाग में ताजा हैं। गेंद को जबर्दस्त तरीके से हिट करने में माहिर हैं। ऑलराउंडर के तौर पर टीम में जगह मिली।
- टी-20 रिकॉर्ड- तीन मैच, तीन विकेट, औसत 26.00, इकोनॉमी 11.14
- मजबूत पक्ष- गेंदों पर बहुत करारे प्रहार करते हैं। खतरनाक बल्लेबाजों में गिनती की जाती है।
- कमजोर पक्ष - गेंदबाजी के लिहाज से अभी तक औसत ही साबित हुए हैं।
महेंद्र सिंह धोनी: कैप्टन कूल से फिर आस
अपनी कप्तानी में 2006 में टीम को टी-20 वर्ल्डकप जिता चुके हैं। डेथ ओवर के बेहद खतरनाक बल्लेबाज धोनी मुश्किल के क्षणों में दबाव को हावी नहीं होने देते। विकेट के पीछे भी खासे मुस्तैद हैं।
- टी-20 - 55 मैच, 899 रन, औसत 33.29, 27 कैच, 13 स्टंपिंग
- मजबूत पक्ष - दुनिया के सबसे अच्छे फिनिशर में शुमार किए जाते हैं।
- कमजोर पक्ष - हाल के वर्षों में बल्लेबाजी के फॉर्म में गिरावट देखने में आई है।
जसप्रीत बुमराह : ऑस्ट्रेलिया दौरे में रहे थे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज
इंटरनेशनल क्रिकेट में बहुत कम अनुभव होने के बावजूद गुजरात के इस गेंदबाज को ऑस्ट्रेलिया दौरे के शानदार प्रदर्शन का 'इनाम' टी-20 वर्ल्डकप की टीम के चयन के रूप में मिला।
- टी-20 रिकॉर्ड - तीन मैच, छह विकेट, औसत 17.16, इकोनॉमी 8.95
- मजबूत पक्ष - यॉर्कर फेंकने में माहिर हैं जो 'डेथ' ओवर में रन रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
- कमजोर पक्ष - पर्याप्त इंटरनेशनल अनुभव नहीं। दबाव के क्षणों में गेंदबाजी की 'सही परीक्षा' होगी।
रवींद्र जडेजा : अहम मौके पर विकेट निकालने की क्षमता
ऑलराउंडर जडेजा भले ही अपनी बल्लेबाजी क्षमता से न्याय नहीं कर पाए हों, लेकिन कप्तान के विश्वासपात्र हैं। बल्लेबाजी और गेंदबाजी, दोनों में समान रूप से माहिर। टीम के सबसे अच्छे क्षेत्ररक्षकों में से एक हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड - 25 मैच, 19 विकेट, औसत 32 .78, इकोनॉमी 7.35, रन बनाए 84, औसत 9.3
- मजबूत पक्ष - गेंदबाजी में बेहद सटीक। इस कारण डेथ ओवर में गेंदबाजी करने में सक्षम हैं।
- कमजोर पक्ष - बल्लेबाजी में अभी तक कौशल नहीं दिखा।
मोहम्मद शमी: रिवर्स स्विंग करने में हैं सक्षम
चोट के बाद टीम में वापसी कर रहे हैं, लेकिन अपनी गेंदों की गति और रिवर्स स्विंग कराने की क्षमता के कारण उपयोगी साबित होते हैं।
- टी-20 रिकॉर्ड - चार मैच, पांच विकेट, औसत 25.00, इकोनॉमी 8.92
- मजबूत पक्ष - गेंदबाजी में विविधता का इस्तेमाल करते हैं। टीम के स्ट्राइक बॉलरों में से एक हैं।
- कमजोर पक्ष - चोट के बाद टीम में वापसी की है। ऐसे में फिटनेस की सही परीक्षा होगी।
हरभजन सिंह: अनुभव को दी गई तरजीह
हरभजन भले ही हाल के वर्षों में टीम इंडिया के नियमित सदस्य नहीं रहे हैं, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के लंबे अनुभव के कारण टी-20 में उन्हें चुना गया है।
- टी-20 रिकॉर्ड - 27 मैच, 24 विकेट, औसत 25.91, इकोनॉमी 6.34
- मजबूत पक्ष - दबाव के क्षणों में गेंदबाजी करने में माहिर हैं। 'दूसरा' से खासा परेशान करते हैं।
- कमजोर पक्ष - करियर के अंतिम दौर में हैं। लंबे समय से नहीं खेलने के कारण दबाव में रहेंगे।
आशीष नेहरा : उम्र को मात देता सटीक गेंदबाज
उनका गेंदबाजी कौशल इसी से समझा जा सकता है कि 36 साल की उम्र होने के बावजूद टीम में रखे गए हैं। न केवल सटीक गेंदें फेंकते हैं, बल्कि विकेट लेने में भी माहिर। बाएं हाथ का तेज गेंदबाज होना प्लस पाइंट।
- टी-20 रिकॉर्ड - 11 मैच, 15 विकेट, औसत 24.66, इकोनॉमी 8.60
- मजबूत पक्ष - डेथ ओवर्स में गेंदबाजी के मामले आगे, गेंद को विकेट के दोनों ओर स्विंग कराते हैं।
- कमजोर पक्ष - टीम के सबसे सुस्त क्षेत्ररक्षक माने जाते हैं। फिटनेस के मामले में भी कमजोर।
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