नई दिल्ली: गांधी-मंडेला सीरीज से पहले डीडीसीए के अधिकारी लगातार अदालत के चक्कर लगाते रहे। आखिरकार अदालत ने उनके पक्ष में फैसला भी सुनाया, लेकिन इसके साथ कई सुझाव और निर्देश भी जारी कर दिए। अब बड़ा सवाल यह है कि डीडीसीए इसका इस्तेमाल सामने की मुश्किल को दूर करने के लिए ही करता है या अपने मसलों को दुरुस्त कर अपनी छवि साफ करने के लिए भी।
गुरुवार सुबह दिल्ली हाइकोर्ट के बाहर डीडीसीए यानी दिल्ली क्रिकेट संघ के अधिकारियों के चेहरों पर बड़ी राहत दिखी। दिल्ली में दो हफ्ते बाद होने वाले टेस्ट मैच से पहले हाइकोर्ट ने क्रिकेट, क्रिकेटर्स और क्रिकेट फैन्स को ध्यान में रखते हुए जो फैसले सुनाए हैं, उनसे गांधी-मंडेला सीरीज के चौथे टेस्ट मैच पर मंडराते बादल पूरी तरह छंट गए दिखते हैं।
पूर्व टेस्ट क्रिकेटर और डीडीसीए के कार्यकारी अध्यक्ष चेतन चौहान ने कोर्ट के बाहर जोर देकर कहा, "जैसा कि मैं पहले कह रहा था। मैच होगा और मैच दिल्ली में ही होगा..ये तय हो गया है।"
एमसीडी से प्रोविज़नल ऑक्यूपैंसी सर्टिफ़िकेट लेने के बाद डीडीसीए को एक्साइज़ विभाग से भी एनओसी की जरूरत थी। यह और बात है कि इस एनओसी के लिए भी डीडीसीए को अदालत का दरवाज़ा ही खटखटाना पड़ा। चेतन चौहान कहते हैं, "माननीय जज ने (एक्साइज विभाग, दिल्ली सरकार से) कहा कि आप जो रकम कह रहे हैं उसमें प्रिंसिपल अमांउट तो 5 करोड़ रुपया ही है, बाक़ी तो पेनल्टी और इंटरेस्ट अमाउंट है।"
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि डीडीसीए को उन्हें इंटरटेनमेंट टैक्स के तौर पर 24.45 करोड़ रुपए अदा करने हैं। इसमें से 5 करोड़ रुपए मूल राशि है, जबकि 6 करोड़ रुपए पेनल्टी के अलावा 24 % सालाना ब्याज की दर से उन्हें 13.45 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर देने हैं, जबकि डीडीसीए दावा कर रहा है कि उसने एक्साइज विभाग को जरूरत से ज्यादा रकम दे दी है और उसे बाकी पैसे वापस मिलने चाहिए।
बड़ी बात यह है कि डीडीसीए अगले टेस्ट मैच का आयोजन वक्त पर नहीं करवा पाता, तो अगले साल टी-20 वर्ल्ड कप के मैच की दावेदारी बहुत कमज़ोर हो जाती।
डीडीसीए के कोषाध्यक्ष Ravindra मनचंदा कहते हैं, "...बिल्कुल ऐसा ही होता कि अगर हम ये मैच नहीं करवा पाते, तो हमारे हाथ से टी-20 वर्ल्ड कप का मैच भी निकल जाता। अहम यह है कि हम इसका आयोजन करवा पा रहे हैं, तो हमें टी-20 मैच के आयोजन का मौका भी मिलेगा।"
डीडीसीए के अधिकारियों के पास एक बड़ा मौक़ा है कि वो अगले एक-दो महीने में अंदरूनी मसलों के हल निकाल लें। सिर्फ टेस्ट मैच के आयोजन को ही सबकुछ मान लेने के चक्कर में पूरी सफाई का एक बड़ा मौका हाथ से निकल सकता है।